सीबीएसई की परीक्षा में स्कूल में 30 में से 24 अंक, पर थ्यौरी में 70 में शून्य। अजमेर की एक पब्लिक स्कूल में हो रहा है ऐसा कमाल।
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सीबीएसई ने वर्ष 2018 में अजमेर के वैशाली नगर स्थित लाॅरेंस एंड मेयो पब्लिक स्कूल की 12वीं कक्षा का जो परिणाम घोषित किया है उसमें चैंकाने वाले तथ्य उजागर हुए हैं। बोर्ड द्वारा जारी मार्कशीट के अनुसार स्कूल के एक छात्र को केमिस्ट्री विषय के प्रेक्टिकल में 30 में से 24 अंक दिए तो वहीं इसी छात्र को स्कूल के बाहर बने परीक्षा केन्द्र में थ्यौरी में 70 में से 00 अंक मिले हैं। इसी छात्र को फिजिक्स में 30 में से 27 जबकि थ्यौरी में मात्र 7 अंक प्राप्त हुए हैं। एक अन्य छात्र को इकाॅनोमिक्स में स्कूल में 20 में से 18 जबकि बोर्ड द्वारा ली गई परीक्षा में 80 में से मात्र 11 अंक मिले हैं। इसी छात्र को बिजनस स्टडीज में 20 में 18 व 80 में से मात्र 5 अंक हैं तथा अकाउंटेंसी में 20 में से 18 व 80 में से मात्र 2 अंक प्राप्त हुए हैं। एक अन्य छात्र को फिजिक्स में 20 में से 24 व 70 में से 9, केमिस्ट्री में 30 में 22 व 70 में से मात्र 3 अंक मिले हैं। एक और अन्य छात्र को फिजिक्स में 30 में से 25 व 70 में से मात्र 6, केमिस्ट्री में 30 में से 22 व 70 में से 02 अंक ही मिले हैं। एक अन्य छात्र को फिजिक्स में 30 में से 21 व 70 में से 06, केमिस्ट्री 30 में से 22 व 70 में से मात्र 2, बायोलाॅजी में 30 में से 22 व 70 में से मात्र 11 अंक मिले हैं। ऐसे कई उदाहरण है, जिनसे पता चलता है कि सीबीएसई की स्कूल में होने वाली प्रेक्टिकल परीक्षा में विद्यार्थियों को 90 प्रतिशत तक अंक मिले हैं, जबकि परीक्षा केन्द्रों पर होने वाली लिखित परीक्षा में इन्हीं विद्यार्थियों को शून्य तक अंक मिले हैं। हालांकि उक्त सभी छात्र परीक्षा में फेल माने गए, लेकिन यह बात अपने आप में गंभीर है कि प्राप्तांकों में इतना अंतर है। जिन विद्यार्थियों को मेरिट में आना होता है, उनके लिए तो एक दो नम्बर ही बहुत मायने रखते हैं। इस संबंध में लाॅरेंस एंड मेयो पब्लिक स्कूल के प्राचार्य संजीव शर्मा से कई बार सम्पर्क किया गया, यहां तक कि उन्हें एसएमएस भी किया, लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। वहीं इस संबंध में सीबीएसई के सूत्रों का कहना है यदि कोई शिकायत मिलती है तो उसकी जांच की जाएगी। सीबीएसई के पास स्वयं का ऐसा कोई मैकेनिजम नहीं है जिसके अंतर्गत ऐसे मामलों को पकड़ा जा सके। इस मामले में स्कूलों में होने वाली प्रेक्टिकल परीक्षा लेने वाले सुपरवाइजरों की भूमिका को भी संदिग्ध माना जा रहा है। जो मामला उजागर हुआ है उसमें सीबीएसई की प्रतिष्ठा भी जुड़ी हुई है।