एक बार फिर अलगाववादियों के साथ खड़े हैं महबूबा और फारुख अब्दुल्ला।

एक बार फिर अलगाववादियों के साथ खड़े हैं महबूबा और फारुख अब्दुल्ला। अब पंचायत चुनाव के बहिष्कार की धमकी।
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अनुच्छेद 35ए के मुद्दे पर एक बार फिर जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती और नेशनल काॅन्फ्रेंस के शीर्ष नेता फारुख अब्दुल्ला कश्मीर के अलगाववादियों के साथ खडे़ हैं। दोनों नेताओं का कहना है कि अनुच्छेद 35ए पर केन्द्र सरकार को अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए। यदि सरकार अपनी राय जाहिर नहीं करती है तो कश्मीर में होने वाले पंचायत चुनाव का बहिष्कार किया जाएगा। हाल ही में जब सुप्रीम कोर्ट में 35ए पर सुनवाई हुई थी, तब केन्द्र सरकार ने पंचायत चुनाव की दुहाई देकर सुनवाई को टालने का आग्रह किया था। सरकार के इस आग्रह पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई को जनवरी तक के लिए टाल दिया। सरकार को उम्मीद थी कि अब कश्मीर में पंचायत चुनाव हो सकेंगे। लेकिन चुनाव की घोषणा से पहले ही महबूबा मुफ्ती और फारुख अब्दुल्ला ने केन्द्र सरकार के सामने एक नई समस्या खड़ी कर दी है। हालांकि अभी नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार की राय सामने नहीं आई है, लेकिन माना जा रहा है कि दोनों नेताओं की मांग से केन्द्र सरकार दबाव में है। असल में अनुच्छेद 35ए और 370 की वजह से ही कश्मीर पूरे देश से अलग थलग है। इसी का फायदा कश्मीर घाटे के अलगाववादियों को मिलता है। इन अनुच्छेदों के प्रावधानों से ही अलगाववादी कश्मीर को भारत से अलग करना चाहते हैं। हालांकि महबूबा मुफ्ती और फारुख अब्दुल्ला भारतीय संविधान की शपथ लेकर मुख्यमंत्री और केन्द्रीय मंत्री तक रह चुके हैं, लेकिन जब ये नेता विपक्ष में होते हैं तो अलगाववादियों के साथ खडे़ नजर आते हैं। देखना है कि इस नई मुसीबत से केन्द्र सरकार कैसे निपटती है।
एस.पी.मित्तल) (12-09-18)
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