वसुंधरा जी, सबसे ज्यादा नाराजगी तो आपको लेकर है। आप किन रूठों को मनाने की बात कर रही हैं? महेन्द्र भारद्वाज जैसे मीडिया सलाहकार भी ईमेज खराब कर रहे हैं।
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6 अक्टूबर को अजमेर के किशनगढ़ में मार्बल एसोसिएशन के सभागार में राजस्थान के 163 भाजपा विधायकों एवं प्रमुख पदाधिकारियों की बैठक हुई। इस बैठक में प्रदेश के चुनाव प्रभारी और केन्द्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर भी उपस्थित थे। इस बैठक को लेकर 7 अक्टूबर को राजस्थान पत्रिका में एक खबर छपी। खबर के मुताबिक बैठक में सीएम ने भाजपा विधायकों से कहा कि चुनाव में मतदान से पहले रूठों को मनाएं। लोगों के रूठे रहने से चुनाव जीतना मुश्किल है। चलो सीएम को पांच वर्ष बाद इस बात का अहसास तो हुआ कि भाजपा विधायकों के व्यवहार से लोग नाराज हैं। लेकिन सवाल यह है कि जो लोग सीएम के व्यवहार से नाराज हैं उन्हें कौन मनाएंगा? विधायकों से तो उनके निर्वाचन क्षेत्र वाले ही नाराज होंगे, लेकिन सीएम राजे से तो नाराजगी रखने वालेे लोग प्रदेशभर में मिले जाएंगें। क्या सीएम ने अपने से रूठों को मनाने की कोई पहल की है? लेकिन माने या नहीं, लेकिन उनके प्रति नाराजगी से भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमितशाह भी परिचित हैं, इसलिए कार्यकर्ताओं की बैठक में शाह बार-बार कह रहे हैं कि नाराजगी किसी नेता से हो सकती है, लेकिन भाजपा से नहीं। असल में सीएम को वो ही लोग पसंद हैं, जो मिजाजपुर्सी करते हों। यही वजह है कि सीएम ने अपने आस-पास एक ऐसी चैकड़ी बना ली है जो सच्चाई से अवगत नहीं होने देती। यह चैकड़ी जो सूचना देती है वही सीएम तक पहुंचती है। सीएम को कोई बात बुरी न लग जाए, इसलिए मंत्री आदि भी चुप रहते हैं। अब तो राजेन्द्र सिंह राठौड़ जैसे भरोसेमंद मंत्री भी वो ही बोलते हैं जो सीएम को पसंद हैं। महेन्द्र भारद्वाज जैसे सलाहकारों ने मीडिया से सीएम की दूरी बहुत बढ़ा दी है। भारद्वाज ऐसे मीडिया सलाहकार हैं जो सीएम का नाम लेकर पत्रकारों को नौकरी से हटवाते हैं या नियुक्ति करवाते हैं। भारद्वाज की वजह से सरकार के जनसम्पर्क निदेशालय का भट्टा बैठा हुआ है। समझ में नहीं आती कि भारद्वाज में क्या गुण देख कर सीएम ने अपना मीडिया सलाहकार बना रखा है। चूंकि विज्ञापनों की खैरात मिलती है इसलिए कई पत्रकार मालिक आदि भांड की भूमिका निभाते हैं। मीडिया की सीएम से नाराजगी का एक बड़ा कारण महेन्द्र भारद्वाज भी हैं। जब तक भारद्वाज को मीडिया सलाहकार के पद से नहीं हटाया जाता, तब तक सीएम के संबंध मीडिया से नहीं सुधर सकते हैं। यह बात अलग है कि सीएम को भी भारद्वाज जैसे चापलूस मीडिया सलाहकार ही चाहिए। भारद्वाज को भी अब यह समझना चाहिए कि आचार संहिता लग चुकी है और खैरात बांटने पर प्रतिबंध लग गया है। भारद्वाज के हटने के बाद ही वसुंधरा राजे को पता चलेगा कि उनके नाम का कितना दुरुपयोग हुआ है।