प्रधानमंत्री के शिलान्यास के चार माह बाद भी अजमेर में नहीं हुआ ऐलीवेटेड रोड काम शुरू। रोडवेज बस स्टैंड वाला ट्रेफिक उपयोग नहीं कर सकेगा ऐलीवेटेड रोड का।
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यह ब्लाॅग मैं 5 नवम्बर को लिख रहा हंू और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 7 जुलाई 2018 को जयपुर के एक समारोह में अजमेर के ऐलीवेटेड रोड का शिलान्यास कम्प्यूटर तकनीक से किया था। चूंकि प्रधानमंत्री ने शिलान्यास किया, इसलिए यह माना गया कि दो-चार दिन में ही रोड का निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा। लेकिन चार माह गुजर जाने के बाद भी रोड का कार्य शुरू नहीं हो सका है। जबकि इनफोसिया एंड ग्राफिक्स कंपनी को यह रोड दो वर्ष में बनाना है। यानि 24 माह में से 4 माह तो गुजर गए हैं। अब 220 करोड़ रुपए की लागत वाला ऐलीवेटेड रोड मात्र 20 माह में कैसे बनेगा? इस सवाल का जवाब रोड की निगरानी करने वाली संस्था आरएसआरडीसी के इंजीनियरों के पास भी नहीं है। चार माह की अवधि में इंजीनियरों ने अजमेर में पुरानी आरपीएससी भवन के बाहर सिर्फ शिलान्यास वाला पत्थर लगाया है। सवाल यह भी है कि जब तैयारी नहीं थी, तो फिर प्रधानमंत्री से शिलान्यास क्यों करवाया गया? इसे प्रधानमंत्री के साथ मजाक ही कहा जाएगा कि ऐलीवेटेड रोड की तकनीक किसी आईआईटी संस्थान से मंजूर कराए बगैर ही शिलान्यास करवा लिया गया। हालांकि चुनाव आचार संहिता ऐलीवेटेड रोड के निर्माण कार्य को प्रभावित नहीं करेगी, लेकिन विधानसभा चुनाव के दौरान यदि अजमेर के सबसे व्यस्ततम स्टेशन रोड पर निर्माण कार्य शुरू होता है तो शहर वासियों को भारी परेशानी होगी। बीच सड़क पर ऐलीवेटेड रोड के लिए स्टील के खम्भे खड़े करने से यातायात बुरी तरह प्रभावित होगा। अजमेर में भी 12 नवम्बर से नामांकन और 7 दिसम्बर को मतदान होना है। देखना है कि चुनाव प्रचार के दौरान शहरवासी यातायात की मुसीबत को सहन कर पाएंगे? अजमेर में पहले ही तीन चार दिन में एक बार पेयजल की सप्लाई हो रही है, इस पर यदि ऐलीवेटेड रोड के निर्माण कार्य से होने वाली मुसीबत का सामना करना पड़ेगा तो फिर 11 दिसम्बर को ही परिणाम सामने आ पाएंगे।
रोडवेज वाले टेªफिक के लिए काम का नहींः
जयपुर रोड अथवा रोडवेज बस स्टैंड की ओर से आने वाले ट्रेफिक के लिए ऐलीवेटेड रोड काम का नहीं है। यदि किसी वाहन को जयपुर रोड से मार्टिंडल ब्रिज की ओर जाना है तो उसे ऐलीवेटेड रोड के नीचे वाली पुरानी सड़क से ही जाना होगा, यानि उसे ऐलीवेटेड रोड का उपयोग करना है तो उसे महावीर सर्किल के निकट सोनी जी की नसिया तक आना होगा। ऐलीवेटेड रोड का जो प्लान बनाया है उसके मुताबिक मार्टिंडल ब्रिज से गांधी भवन तक फोरलेन होगा, जिस पर दो तरफ यातायात चल सकेगा। गांधी भवन से आगरा गेट चैराहे तक भी फोरलेन रोड होगा। लेकिन दो लेन आगरा गेट चैराहे पर ही समाप्त हो जाएगी, जबकि दो लेन सोनी जी की नसिया पर उतरेगी। यानि आगरा गेट पर दो लेन उतारने के लिए कोतवाली के बाहर से ही ढलान शुरू हो जाएगी। आगरा गेट से सोनी जी की नसिया तक का रोड एक तरफा ही होगा, यानि जिस ट्रेफिक को सीधे मार्टिंडल ब्रिज जाना है वह ही इसका उपयोग सोनी जी की नसिया से कर सकेगा। बीच में उतरने का कोई विकल्प नहीं रखा गया है। इसी प्रकार गांधी भवन चैराहे से कचहरी रोड होते हुए पुरानी आरपीएससी भवन तक दो लेन ऐलीवेटेड रोड बनाया जाएगा। इसका उपयोग सिर्फ मार्टिंडल ब्रिज से आने वाला टेªफिक ही कर सकेगा। चूंकि कचहरी रोड पहले से ही छोटा है इसलिए इस पर दो लेन वाला रोड ही बनाया जा रहा है। प्लान के मुताबिक मार्टिंडल ब्रिज से रेलवे स्टेशन, मदार गेट, नला बाजार, नया बाजार आने वाले शहरवासियों को पुराने सड़क मार्ग का ही उपयोग करना होगा। ऐलीवेटेड रोड को लेकर जो सर्वे किया गया उसके अनुसार स्टेशन रोड से प्रतिदिन एक लाख वाहन गुजरते हैं। इनमें से पचास प्रतिशत वाहन मार्टिंडल ब्रिज और आगरा गेट अथवा रोडवेज बस स्टैंड वाले होते हैं। ऐसे वाहनों में सवार लोगों को स्टेशन रोड मदार गेट नया बाजार आदि में कोई कार्य नहीं होता। इंजीनियरों का मानना है कि ऐसा पचास प्रतिशत ट्रेफिक ऐलीवेटेड रोड का उपयोग कर सकेगा। फलस्वरूप स्टेशन रोड पर यातायात का दबाव कम हो जाएगा। इससे बाजारों पर भी कोई फर्क नहीं पड़ेगा।