श्रीश्री रविशंकर सीबीआई के अफसरों को छोड़ने की कला भी सीखाएं।
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Sp mittal
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November 10, 2018
श्रीश्री रविशंकर सीबीआई के अफसरों को छोड़ने की कला भी सीखाएं।
इस कला से ही देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी सफल हो सकती है।
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आध्यात्मिक गुरु और आर्ट आॅफ लिविंग के प्रणेता श्रीश्री रविशंकर ने 10 नवम्बर से दिल्ली में सीबीआई के अफसरों और कार्मिकों के लिए तीन दिवसीय शिविर लगाया है। चूंकि श्रीश्री आर्ट आॅफ लिविंग के प्रणेता है, इसलिए शिविर में जीने की कला सिखाई जाएगी। इसमें कोई दो राय नहीं कि श्रीश्री के प्रवचनों और योग साधना से जीवन में सरलता आती है। इसलिए श्रीश्री के अनुयायी देश विदेश में फैले हुए हैं। अपने आत्मबल के बूते श्रीश्री अयोध्या में मंदिर निर्माण के लिए दोनों पक्षों में मध्यस्थता की भूमिका भी निभा रहे हैं। सब जानते है कि इन दिनों देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी सीबीआई में अशांति का माहौल है। सीबीआई के निदेशक आलोक वर्मा और अतिरिक्त निदेशक राकेश अस्थाना को एक दूसरे पर अवैध वसूली के आरोप लगाए हैं। दोनों अधिकारी अब अपनी ईमानदारी के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए हैं। सरकार चाहती है कि सीबीआई में शांति बनी रहे, इसलिए श्रीश्री को तीन दिन का शिविर लगाने की अनुमति दी है। हालांकि श्रीश्री आध्यात्मिक गुरु है और देश विदेश के हालातों की जानकारी है। लेकिन मेरे जैसे कलम घसीट का मानना है कि वर्तमान हालातों में सीबीआई के अफसरों को जीवन में छोड़ने की कला सिखनी चाहिए। जीने की कला सीखने की वजह से तो सीबीआई के यह हाल हुए है। मनुष्य में यदि छोड़ने की कला आ जाए तो फिर उसका जीवन अपने आप सरल और ईमानदार हो जाएगा। समस्या यह है कि मनुष्य छोड़ना नहीं चाहता है। छोड़ना इतना आसान नहीं होता कि कोई मनुष्य तीन दिन में सीख ले। छोड़ने के लिए मन पर नियंत्रण होना बेहद जरूरी है। जो मनुष्य छोड़ने की कला सीख गया उसे ईश्वर की ओर से सब चीजों की प्राप्ति हो जाती है। छोड़ने की कला आ जाने के बाद दुनिया के सबसे बड़े धन संतोष की भी प्राप्ति हो जाती है। श्रीश्री देश के उन आध्यात्मिक गुरुओं में शामिल हो गए हैं जो सीबीआई जैसी संस्था के अफसरों को जीने की कला सीखा रहे हैं। निःसंदेह इससे श्रीश्री के सम्मान में और वृद्धि होगी। अच्छा हो कि श्रीश्री अपने शिविर में अफसरों को छोड़ने की कला सीखने के लिए तैयार कर लें। हालांकि तीन दिन में छोड़ने की कला नहीं सिखाई जा सकती, लेकिन श्रीश्री अपने आध्यात्म बल से अफसरों के मन में छोड़ने की कला का बीजारोपण तो कर ही सकते हैं। मुझे भी आध्यात्म में रुचि है, इसलिए मैं उस सर्वोच्च सत्ता के असर और प्रभाव को जानता और समझता हंू। इसी अनुभव से यह कह सकता हंू कि जब जब मनुष्य कुछ छोड़ता है तो उसे कई गुना ज्यादा की प्राप्ति होती है।