टोंक से चुनाव लड़ने का निर्णय मेरा नहीं-सचिन पायलट।

टोंक से चुनाव लड़ने का निर्णय मेरा नहीं-सचिन पायलट।
मैं तो कठिन समय में राजस्थान कांग्रेस का अध्यक्ष बना था।
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21 नवम्बर को जयपुर में आयोजित राजस्थान पत्रिका के की-नोट कार्यक्रम में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट ने कहा कि विधानसभा का चुनाव टोंक से लड़ने का निर्णय उनका नहीं है। मैंने तो पार्टी के दिशा-निर्देशों के अनुरूप नामांकन दाखिल किया है। पार्टी को मेरी उम्मीदवारी से जहां सबसे ज्यादा फायदा होना है, वहीं मुझे लड़ाया गया है। टांेक के पास ही अजमेर जिला है, जहां का मैं सांसद रह चुका हंू। सब जानते हैं कि जनवरी 2014 में मुझे प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष तब बनाया गया, जब राजस्थान में कांग्रेस का कठिन समय था। 200 में से मात्र 21 विधायक कांग्रेस के जीते। इसके बाद लोकसभा के चुनाव में हम सभी 25 सीटों पर हार गए, लेकिन मैंने कभी हार मानना सीखा ही नहीं है। बाद के जितने भी चुनाव हुए उनमें कांग्रेस को अपार सफलता मिली। और अब राजस्थान में कांग्रेस की सरकार बनने जा रही है। मैं राजनीतिक में कभी भी द्वेषता नहीं रखता हंू, क्योंकि चुनाव में तो हार जीत चलती रहती है। 2014 में मैं जब अजमेर से लोकसभा का चुनाव हारा तो मतगणना केन्द्र के परिसर में मुझे विजयी प्रत्याशी सांवरलाल जाट नजर आए। मैं अपने समर्थकों को हटाते हुए जाट के पास गया और उन्हें शुभकामनाएं दी। इसी तरह 19 नवम्बर को नामांकन के समय टोंक में भाजपा प्रत्याशी यूनुस खान से मेरी मुलाकात हुई तो मैंने उन्हें स्वस्थ्य रहने और लम्बी उम्र की शुभकामनाएं दी। मैं चाहता हंू कि राजनीति में साफ-सुथरा माहौल हो। चुनाव तो वही जीतेगा, जिसे जनता वोट देगी। राजनीति का क्षेत्र कोई दंगल नहीं है। प्रतिस्पर्धा हो पर दुश्मनी नहीं। राजनीति में घमंड की कोई गुंजाइश नहीं है। राजा या रानी, मंत्री या मुख्यमंत्री, सभी जनता के सामने सिर झुकाना पड़ता है। मुझे अच्छा लगे या नहीं, लेकिन जनता का फैसला स्वीकार करना होगा। विपक्ष मजबूत होगा तो लोकतंत्र भी मजबूत होगा।
फेक न्यूज के संदर्भ में पायलट ने कहा कि समय तेजी से बदल रहा है। आज जिस तरह मीडिया में फेक न्यूज का बोलबाला है, यह समय भी निकल जाएगा। पाठक उसी मीडिया को स्वीकार करेगा जो सही और सटीक होगी। पायलट ने इस बात पर अफसोस जताया कि पेशेवर लोग फेक न्यूज प्लांट करवाते हैं। सबसे ज्यादा उपयोग सोशल मीडिया का हो रहा है। आईटी तकनीक के जानकार फर्जी वीडियो बनाकर सोशल मीडिया प्लेट फार्म पर पोस्ट कर रहे हैं। हमें ऐसे फर्जी वीडियो अथवा लेखन को फारवर्ड नहीं करना चाहिए। कार्यक्रम में पत्रिका समूह के प्रधान सम्पादक डाॅ. गुलाब कोठारी ने मीडिया में सरकारों के दखल के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने मेरे और मेरे पिता के विचारों में अंतर था, लेकिन अब मेरे और मेरे पुत्रों के विचारों में अंतर बहुत ज्यादा हो गया है। पौत्रों के विचार तो बिल्कुल अलग हैं।
एस.पी.मित्तल) (21-11-18)
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