अयोध्या जैसी साधु संतों की सभा 25 नवम्बर को नागपुर, बैंगलूरू आदि में भी हो रही है।

अयोध्या जैसी साधु संतों की सभा 25 नवम्बर को नागपुर, बैंगलूरू आदि में भी हो रही है। विहिप के केन्द्रीय मंत्री उमाशंकर ने कहा कार सेवा जैसा कोई प्रोग्राम नहीं।
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उत्तर प्रदेश के अयोध्या में 25 नवम्बर को हो रहे साधु संतों और श्रद्धालुओं के सम्मेलन को लेकर मीडिया में बहुत कुछ प्रसारित किया जा रहा है। तथ्यों से परे मीडिया की खबरों की वजह से अनेक मुस्लिम संगठन और समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव अयोध्या में दहशत होने की बात कर रहे हैं। टीवी चैनलों पर बैठे कुछ मुस्लिम प्रतिनिधि तो कानून व्यवस्था पर सरकार को सीधे चुनौती दे रहे हैं। प्रिंट और इलेक्ट्राॅनिक मीडिया की ऐसी ही खबरों के बीच 24 नवम्बर को मेरा संवाद विश्व हिन्दू परिषद के केन्द्रीय मंत्री उमाशंकर से हुआ। 25 नवम्बर को अयोध्या में होने वाली धर्मसभा की तैयारियों का जिम्मा भी उमाशंकर के पास ही है। उमाशंकर पिछले कई दिनों से अयोध्या में ही हैं। उमाशंकर ने सबसे पहले यह स्पष्ट किया कि 25 नवम्बर को मंदिर निर्माण के लिए कार सेवा जैसा कोई प्रोग्राम नहीं है। इस सम्मेलन में उत्तर प्रदेश से बाहर के किसी भी व्यक्ति को नहीं बुलाया गया है। साधु संत भी उत्तर प्रदेश के ही हैं। अयोध्या जैसी सभाएं 25 नवम्बर को ही महाराष्ट्र के नागपुर में और कर्नाटक के बैंगलूरू शहर में भी हो रही हैं। यह सही है कि इन सभी स्थानों पर दो-दो लाख से भी ज्यादा लोग जुटेंगे। इन सभाओं का मुख्य उद्देश्य अयोध्या में भगवान राम के मंदिर के निर्माण में आने वाली बाधाओं को हटाना है। जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं उनमें ऐसी सभाएं नहीं हो रही है। राज्यों की सभाओं के बाद दिल्ली में दिसम्बर माह में ही एक बड़ी सभा होगी। इस सभा में 5 लाख से भी ज्यादा लोगों को एकत्रित करने का लक्ष्य रखा गया है। भारत के ज्यादातर लोग चाहते हैं कि अयोध्या में भगवान राम का भव्य मंदिर बने और विहिप उसी दिशा में कार्य कर रही है। यह सही है कि सुप्रीम कोर्ट में मंदिर निर्माण का मुद्दा विचाराधीन है। कोर्ट में तो सिर्फ जमीन के मालिकाना हक का विवाद है। दीपक मिश्रा के चीफ जस्टिस रहते समय इस मुकदमे में सुनवाई को जो गति मिली थी, वो अब धीमी पड़ गई है। उमाशंकर ने कहा कि इस संदर्भ में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सुप्रीम कोर्ट के मशहूर वकील कपिल सिब्बल का बयान बहुम मायने रखता है। सिब्बल ने पूर्व में ही कहा था कि अयोध्या मुद्दे पर मई 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव के बाद सुनवाई हो। उमाशंकर ने इस बात पर अफसोस जताया कि जनभावनाओं से जुड़े इस मामले में भी गंभीरता नहीं दिखाई जा रही है। जबकि आतंकवादियों के मामलों में सुप्रीम कोर्ट में रात के समय भी सुनवाई हो जाती है। विहिप का प्रयास देश भर में मंदिर के पक्ष में जनगणना करना है। यदि  न्यायालय में विलम्ब हो रहा है तो फिर सरकार को कानून बनाकर अयोध्या में मंदिर का निर्माण करना चाहिए। विहिप का किसी सरकार के विरुद्ध आंदोलन नहीं है। विहिप का जनभावनाओं के साथ है। उन्होंने कहा कि 25 नवम्बर को अयोध्या में कोई गड़बड़ी नहीं होगी, चूंकि विहिप की पहल पर ही साधू संतों का सम्मेलन हो रहा है। इसलिए मंदिर निर्माण पर ठोस निर्णय लिया जाएगा। हमारा केन्द्र ओर उत्तर प्रदेश की सरकार से भी आग्रह है कि उन तमाम बाधाओं को हटाया जाए जो मंदिर निर्माण में आ रही हैं। यह अच्छी बात है कि उत्तर प्रदेश के कुछ मुस्लिम संगठनों ने भी अयोध्या में मंदिर निर्माण पर अपनी सहमति दी है। सुप्रीम कोर्ट में सभी पक्षों ने अपनी बात रखी है। अब कोर्ट को भी चाहिए कि जल्द से जल्द फैसला करे।
एस.पी.मित्तल) (24-11-18)
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