मुख्यमंत्री के पद को लेकर अलग-अलग हो गए अशोक गहलोत और सचिन पायलट

मुख्यमंत्री के पद को लेकर अलग-अलग हो गए अशोक गहलोत और सचिन पायलट
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हो सकता है कि 13 दिसम्बर को मेरा यह ब्लाॅग पाठकों तक पहुंचे तब तक राजस्थान के सीएम की घोषणा हो जाए। लेकिन मेरा यह मानना है कि नए सीएम की घोषणा कांग्रेस विधायक दल की बैठक में होगी। 12 दिसम्बर को जयपुर में कांग्रेस विधायक दल की जो बैठक हुई उसमें नेता नहीं चुना गया। बैठक में नेता के चयन का अधिकार राहुल गांधी को दिया गया। लेकिन इस प्रक्रिया को वैधानिक नहीं माना जा सकता। मुख्यमंत्री के लिए विधायक दल की बैठक में नेता चुना जाना जरूरी होता है। मेरा मानना है कि 14 दिसम्बर को विधायक दल की बैठक होगी, जिसमें विधिवत रूप से नेता चुनाव जाएगा। यदि गहलोत सीएम बनते हैं तो सचिन पायलट उनके नाम का प्रस्ताव करेंगे और यदि पायलट सीएम बनते हैं तो गहलोत प्रस्तावक होंगे। इस प्रक्रिया के बाद ही राज्यपाल के समक्ष सरकार बनाने का दावा पेश किया जाएगा। ऐसा संभव नहीं है कि विधायक दल की बैठक में नेता चुने जाने से पहले ही गहलोत या पायलट सीएम की शपथ लेने के लिए राजभवन पहुंच जाए। यह हो सकता है कि 13 दिसम्बर की रात को ही विधायक दल की बैठक हो और नेता के चयन के साथ ही सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया जाए।
अलग-अलग हो गए गहलोत और पायलट:
राजनीति कैसी चीज है इसका अंदाजा 12 और 13 दिसम्बर को जयपुर और दिल्ली में हुई राजनीतिक गतिविधियों से लगाया जा सकता है। राजस्थान के सीएम के पद को लेकर 12 दिसम्बर को जयपुर में अशोक गहलोत और सचिन पायलट आमने सामने हो गए। हालात यहां तक बिगड़े के केन्द्रीय पर्यवेक्षक केसी वेणुगोपाल को दबाव में विधायकों से बात करनी पड़ी। सवाल उठता है कि जब सीएम चुनने का दायित्व राहुल गांधी पर छोड़ दिया गया था तो फिर विधायक दल की बैठक के बाद वेणुगोपाल को राय शुमारी क्यों करनी पड़ी?  12 दिसम्बर को गहलोत और पायलट में जो झगड़ा हुआ वो 13 दिसम्बर को दिल्ली में राहुल गांधी के निवास पर भी खुल कर सामने आया। राहुल ने दोनों नेताओं को तलब किया था, लेकिन दोनों ने राहुल गांधी से अलग अलग मुलाकात की। पहले सचिन पायलट ने और बाद में अशोक गहलोत ने। यानि पूरा चुनाव दोनों नेताओं ने एक साथ मिलकर लड़ा, लेकिन मुख्यमंत्री के पद को लेकर दोनों अलग-अलग हो गए।
सोनिया-प्रियंका की भूमिका:
राजस्थान के सीएम के पद को लेकर जिस तरह गहलोत और पायलट में झगड़ा शुरू हुआ उसे देखते हुए 13 दिसम्बर को इस प्रक्रिया में कांग्रेस की शीर्ष नेता श्रीमती सोनिया गांधी और राहुल गांधी की बहन श्रीमती प्रियंका को भी मैदान में आना पड़ा। सोनिया और प्रियंका सुबह 9 बजे ही राहुल गांधी के निवास पर पहुंच गई। इस अवसर पर राजस्थान के प्रभारी अविनाश पांडे भी मौजूद थे। कहा जा रहा है कि राजस्थान के झगड़े को सुलझाने में सोनिया और प्रियंका ने राहुल गांधी को सलाह दी। इसी के बाद अशोक गहलोत के समर्थकों में उत्साह देखा गया। सूत्रों की माने तो सोनिया और प्रियंका ने सलाह दी कि गांधी परिवार के पुराने वफादार  अशोक गहलोत को ही कमान सौंपी जाए।
एस.पी.मित्तल) (13-12-18)
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