क्या अब लोकसभा चुनाव की आचार संहिता से पहले कांगे्रस की सरकार राजस्थान के 26 हजार युवाओं को थर्ड ग्रेड शिक्षक की नौकरी दे देगी? हाईकोर्ट ने नियुक्ति का रास्ता साफ किया। शिक्षा बोर्ड सचिव मेघना च ौधरी की मेहनत से राहत मिली।
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8 फरवरी को राजस्थान हाईकोर्ट की जयपुर पीठ के न्यायाधीश मोहम्मद रफीक और गोवर्धन बाराढार ने राज्य स्तरीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (रीट) लेवल प्रथम के परिणाम को हरी झंडी दे दी है। इसके साथ ही परिणाम को चुनौती देने वाली महेन्द्र जाटोलिया एवं अन्य परीक्षार्थियों की याचिकाओं को खारिज कर दिया है। रीट की परीक्षा का परिणाम मई 2018 में अजमेर स्थित माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने घोषित किया था। बोर्ड के परिणाम में खामिया बताते हुए याचिकाएं दायर की गई थी, लेकिन अब हाईकोर्ट ने बोर्ड के परिणाम को सही माना है। पूवर्ती भाजपा सरकार ने प्रदेश में 54 हजार शिक्षकों की भर्ती निकाली थी। इसमें से द्वितीय श्रेणी के 28 हजार शिक्षकों की नियुक्ति मिल गई। हाईकोर्ट के आठ फरवरी के फैसले के बाद यह सवाल उठ रहा है कि क्या अब मौजूदा कांग्रेस सरकार 26 हजार युवाओं को तृतीय श्रेणी के शिक्षकों की नौकरी लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लगने से पहले दे देगी? माना जा रहा है कि चुनाव की आचार संहिता मार्च के प्रथम सप्ताह में लग जाएगी। हालांकि गत वर्ष कांगे्रस ने ही भाजपा सरकार पर इसी मुद्दे पर विधानसभा चुनाव में राजनीतिक फायदा लेने का आरोप लगाया था। अब वैसी ही स्थितियां कांग्रेस सरकार के सामने हैं। अलबत्ता प्रदेशभर के युवा खुश हैं। जिन्होंने रीट लेवल प्रथम की परीक्षा उत्तीर्ण की है उन्हें उम्मीद है कि चुनाव की आचार संहिता लगने से पहले नियुक्ति मिल जाएगी। यदि ऐसा होता है तो प्रदेश के 26 हजार परिवारों में खुशी होगी। शिक्षा विभाग रीट परीक्षा के परिणाम के आधार पर ही मेरिट बनाकर शिक्षकों को नियुक्ति देगा। हालांकि ऐसे युवाओं को गत वर्ष जून माह में ही नौकरी मिल जानी चाहिए थी।
नियुक्ति पत्र तैयार है-देवनानीः
54 हजार शिक्षकों की भर्ती निकलवाने में सक्रिय भूमिका निभाने वाले पूर्व शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी ने हाईकोर्ट के ताजा फैसले का स्वागत किया है। देवनानी ने बताया कि शिक्षा बोर्ड ने जब परिणाम घोषित किया था, उसके बाद शिक्षा विभाग ने चयनित शिक्षकों के नियुक्ति पत्र तैयार करवा लिए थे। लेकिन कांग्रेस के विरोध की वजह से नियुक्ति पत्र जारी नहीं हो सके। इस बीच मामला फिर से कोर्ट में चला गया था, लेकिन अब जब हाईकोर्ट की डबल बैंच से भी निर्णय आ गया है तब सरकार को चाहिए कि चयनित शिक्षकों को नियुक्ति पत्र देकर स्कूल का आवंटन कर दे। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लगने से पहले सरकार को यह कार्यवाही पूरी कर लेनी चाहिए। यदि आचार संहिता से पहले सरकार 26 हजार शिक्षकों को नौकरी देती है तो हम इस निर्णय का स्वागत करेंगे क्योंकि हमारे लिए 26 हजार परिवारों की खुशी पहले हैं। प्रदेश की जनता सब जानती है कि कौन सी सरकार क्या कर रही है।
बोर्ड सचिव मेघना की मेहनतः
हाईकोर्ट में फंसे परीक्षा परिणाम को कानूनी झमेलों से बाहर निकलवाने में शिक्षा बोर्ड की सचिव मेघना च ौधरी की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। चूंकि बोर्ड ने ही रीट परीक्षा आयोजित की थी, इसलिए मेघना ने इस पूरे प्रकरण को अपनी प्रतिष्ठा से जोड़ लिया। हाईकोर्ट में हर पेशी पर मेघना स्वयं उपस्थित रही। चाहे पूवर्ती भाजपा सरकार के महाधिवक्ता हो, या फिर कांग्रेस सरकार के महाधिवक्ता एनएम सिंघवी। मेघना सभी के सम्पर्क रही और बोर्ड का पक्ष रखने में कोई कसर नहीं छोड़ी, यही वजह रही जब सिंगल बैंच के बाद मामला डीबी में गया तो मेघना ने ज्यादा मजबूती के साथ बोर्ड का पक्ष रखा। ऐसा ही रुख मेघना ने रीट द्वितीय लेवल की परीक्षा में भी अपनाया था। मेघना के इस रुख की हाईकोर्ट के वकीलों ने भी प्रशंसा की है। हाईकोर्ट के फैसलों पर मेघना ने संतोष जाहिर किया है। मेघना का कहना है कि रीट परिणाम प्रदेश के 54 हजार पविारों की खुशियों से जुड़ा है। इसलिए उन्होंने परीक्षा के आयोजन और फिर हाईकोर्ट में कोई कसर नहीं रखी। यह शिक्षा बोर्ड की प्रतिष्ठा का भी सवाल था। मेघना इसे ईश्वर की कृपा ही मानती है कि आखिर सत्य की जीत हुई है। जिन युवाओं को नौकरी मिल रही है उन परिवारों की खुशी देखने लायक है। मेघना ने उम्मीद जताई है कि शेष 26 हजार शिक्षकों को जल्द से जल्द नौकरी मिल जाएगी। मोबाइल नम्बर 9829043222 पर मेघना को उनकी मेहनत के लिए शुभकामनाएं दी जा सकती है।