सत्ता बदलती है व्यवस्था नहीं।

सत्ता बदलती है व्यवस्था नहीं। सरकारी अस्पतालों में पुरुष सफाई कर्मी करवाते हैं महिलाओं का प्रसव।
राजस्थान के चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा का अजीब बयान।
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दैनिक भास्कर में 10 फरवरी को एक खोजपूर्ण रिपोर्ट प्रकाशित हुई है। इस रिपोर्ट में बताया गया कि बांसवाड़ा के घाटोल स्वास्थ्य केन्द्र में सफाई कर्मचारी हीरालाल एक ग्रामीण महिला का प्रसव करवाता मिला। लेबर में गर्भवती महिला की एक बृहद रिश्तेदार भी मौजूद थी। रिपोर्ट के मुताबिक राजस्थान के सरकारी स्वास्थ्य केन्द्रों में कमोबेश ऐसी ही स्थिति है। किसी प्रदेश की सरकार के लिए इससे ज्यादा शर्मनाक स्थिति नहीं हो सकती। राजस्थान में तो ये हालात तब हैं, जब कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को जननायक का तमंगा मिला हुआ है। जिस प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में महिलाओं के प्रसव पुरुष सफाई कर्मचारी करवाते हों, उस प्रदेश का मुख्यमंत्री जननायक कैसे हो सकता है? यह माना कि गहलोत को सीएम बने अभी दो माह भी नहीं हुए हैं, लेकिन यह भी सही है कि पिछले बीस वर्षों से अशोक गहलोत और वसुंधरा राजे (भाजपा) ही राजस्थान की सीएम रही है। गहलोत तीसरी बार प्रदेश के सीएम बने हैं। यानि इस बिगड़ी व्यवस्था के लिए भाजपा और कांग्रेस दोनों की सरकार जिम्मेदार हैं। असल में राजस्थान में सत्ता बदलती है, व्यवस्था नहीं। गत बीस वर्षों में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों की दशा सुधारने के लिए करोड़ों नहीं, अरबों रुपए खर्च हुआ है, लेकिन जाहिर है कि व्यवस्था में सुधार नहीं हुआ। भास्कर की रिपोर्ट यदि नवम्बर 2018 में प्रकाशित होती तो अशोक गहलोत सीधे मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे पर हमला करते। गहलोत का कहना होता कि वसुंधरा राजे तो महारानी हैं और ग्रामीण महिलाओं की पीड़ा से कोई सरोकार नहीं होता है। घाटोल की यह शर्मनाक घटना के लिए अशोक गहलोत भाजपा सरकार को बेशर्म सरकार तक कह देते। लेकिन अब तो गहलोत स्वयं सीएम हैं देखना होगा कि उनकी क्या प्रतिक्रिया होती है। अलबत्ता इस घटना पर प्रदेश के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा का अजीब बयान आया है। शर्मा का कहना है कि अफसरों की एक टीम निजी अस्पतालों के लेबर रूप का अध्ययन कर रही है। अफसरों की रिपोर्ट के बाद सरकारी अस्पतालों के लेबर रूम की दशा भी सुधारी जाएगी। स्वास्थ्य मंत्री की इस समझ को भगवान ही समझ सकते हैं। यानि सरकार के डाॅक्टर अस्पतालों के लेबर रूम की दशा नहीं सुधार सकते? जबकि निजी अस्पतालों के डाॅक्टर भी सरकारी मेडिकल काॅलेजों में पढ़कर डाॅक्टर बने हैं। सरकार को जब अपने लेबर रूम सुधारने के लिए निजी अस्पतालों के अध्ययन की जरुरत हो, तब ऐसे चिकित्सामंत्री की अक्ल पर तरस ही आएगा। यही वजह है कि व्यवस्था नहीं बदली है और रघु शर्मा जैसे मंत्री सत्ता का भोग करके चले जाते हैं। सवाल यह भी है कि केन्द्र सरकार का जो अरबों का बजट जाता है वह कहां जाता? जब स्वास्थ्य केन्द्रों पर प्रसव करवाने की समुचित सुविधा नहीं है तब इन केन्द्रों पर पानी की तरह पैसा कयों बहाया जा रहा है।
एस.पी.मित्तल) (10-02-19)
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