अजमेर सहित राजस्थान की छह सीटों के उम्मीदवारों से राहुल गांधी उत्साहित नहीं।
गहलोत, पायलट और पांडे अचानक दिल्ली पहुंचे।
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6 अप्रैल को राजस्थान में कांग्रेस की राजनीति में उस समय हलचल बढ़ गई, जब राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रदेश के सीएम अशोक गहलोत, डिप्टी सीएम सचिन पायलट और प्रभारी महासचिव अविनाश पांडे को दिल्ली तलब किया। कांग्रेस ने प्रदेश की सभी 25 सीटों पर उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं, लेकिन हाईकमान के पास कुछ उम्मीदवारों का फीडबेक अच्छा नहीं पहुंचा। जानकार सूत्रों के अनुसार राहुल जानना चाहते हैं कि जब घोषित उम्मीदवार से ज्यादा जीताऊ उम्मीदवार मौजूद थे, तो फिर कमजोर को क्यों उतारा गया। सूत्रों के अनुसार अजमेर से रिजु झुनझुनवाला, जयपुर शहर से श्रीमती ज्योति खंडेवाल, जयपुर ग्रामीण से कृष्णा पूनिया, झालावाड़ से प्रमोद शर्मा और राजसमंद से देवकीनंदन गुर्जर को लेकर हाईकमान उत्साहित नहीं था। इन सीटों पर उम्मीदवारों को फिलहाल कमजोर माना गया। अजमेर में तीन हजार करोड़ रुपए के कारोबारी रिजु झुनझुनवाला का बाहरी का ठप्पा शुरू से ही लग गया। सोशल मीडिया में जिस तरह रिजु के फोटो वायरल हुए उसे भी कांग्रेस की संस्कृति के अनुरूप नहीं माना गया। हालांकि ऐसे फोटो के संदर्भ में रिजु का कहना था कि ये उनके निजी जीवन से जुड़ी फोटो हैं, जिन्हें चुनावी मुद्दा नहीं बनाया जाना चाहिए। वैसे भी रिजु ने भीलवाड़ा से टिकिट मांगा था, लेकिन प्रदेशाध्यक्ष पायलट और चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा के दखल की वजह से अजमेर से उम्मीदवार बना दिया गया। राहुल के पास पहुंचे फीडबैक के अनुसार अजमेर से रघु शर्मा जीताऊ उम्मीदवार है। हालांकि अभी रिजु ने नामांकन नहीं भरा है। अजमेर के बाद सबसे ज्यादा चिंता जयपुर शहर को लेकर है। घोषित उम्मीदवार पूर्व मेयर ज्योति खंडेलवाल भी एक स्टिंग आॅपरेशन में उलझ गई हैं। यहां कांग्रेस की प्रदेश प्रवक्ता अर्चना शर्मा, मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास और महेश शर्मा को जीताऊ उम्मीदवार माना गया है। इसी प्रकार जयपुर ग्रामीण से घोषित कृष्णा पूनिया के मुकाबले मंत्री लालचंद कटारिया और बाॅक्सर विजेन्द्र सिंह को जीताऊ उम्मीदवार माना गया। बांरा-झालावाड़ से घोषित उम्मीदवार प्रमोद शर्मा के मुकाबले उर्मिला जैन को प्रभारी उम्मीदवार माना जा रहा है। राजसमंद के घोषित उम्मीदवार देवकीनंदन गुर्जर को लेकर भी हाईकमान उत्साहित नहीं। अब देखना है कि जब पहले दौर के मतदान के लिए 9 अप्रैल को नामांकन की अंतिम तिथि है, तब क्या कोई बदलाव होगा? सूत्रों के अनुसार हाईकमान ने अपनी राय से प्रदेश के नेताओं को अवगत करवा दिया है। उम्मीदवारों को जीताने की जिम्मेदारी सीएम गहलोत और पायलट पर डाली गई है। सवाल यह भी महत्वपूर्ण रहा कि विधानसभा चुनाव में जब कांगेस के सभी दिग्गजों को मैदान में उतार दिया गया, तब लोकसभा चुनाव में दिग्गज नेताओं को क्यों नहीं उतारा? अजमेर जैसी सीटों पर मंत्रियों की उम्मीदवार से परहेज क्यों किया गया? मंत्री चुनावी नहीं लड़ेंगे इस निर्णय से भी राहुल गांधी खुश नहीं थे। राहुल का मानना रहा कि जब मंत्री जीतने की स्थिति में थे तो उन्हें ही उम्मीदवार बनाया जाना चाहिए था। आखिर मंत्री भी तो कांग्रेस की सरकार में ही बने हैं?
रणनीति पर विचार-पांडे:
बैठक समाप्ति के बाद राहुल गांधी के आवास से बाहर निकले प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे ने मीडिया से कहा कि आज की बैठक में उम्मीदवारों को लेकर कोई विचार नहीं हुआ। बैठक में चुनाव रणनीति पर विचार हुआ है।