माकपा ने नेता येचुरी सिर्फ हिन्दू धर्म ग्रंथों पर ही कर सकते हैं अमर्यादित टिप्पणी।
by
Sp mittal
·
May 4, 2019
माकपा ने नेता येचुरी सिर्फ हिन्दू धर्म ग्रंथों पर ही कर सकते हैं अमर्यादित टिप्पणी।
लेकिन फिर भी ऐसे लोगों को भारत में नजर आती है असहिष्णुता।
===========
ामाक्र्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के शीर्ष नेता सीताराम येचुरी ने हिन्दुओं के धार्मिक ग्रंथ रामायण और महाभारत का उल्लेख कर हिन्दुओं के हिंसक होने की बात कही है। येचुरी उस विचारधारा के है जिसमें धर्म का कोई स्थान नहीं है, लेकिन फिर भी उन्हें हिन्दुओं के धर्मग्रंथों को लेकर अमर्यादित टिप्पणी की है। सवाल उठता है कि क्या येचुरी किसी अन्य धर्मग्रंथ या धर्मगुरुओं के विचारों पर ऐसी टिप्पणी कर सकते हैं? येचुरी भी इस हकीकत को जानते हैं कि वे हिन्दू धर्म को छोड़ कर अन्य किसी धर्म पर ऐसी टिप्पणी नहीं कर सकते हैं। यदि वे कभी कर भी दें तो उन्हें माफी मांगने की मोहलत भी नहीं मिलेगी। ये भारत के हिन्दू ही है जो अपने धर्मग्रंथों पर अमर्यादित टिप्पणी के बाद भी अपनी अहिंसक प्रवृत्ति की वजह से चुप रहते हैं। मीडिया में भी बार बार येचुरी की टिप्पणी दिखाई जा रही है। यदि ऐसी टिप्पाणी किसी अन्य धर्म को लेकर होती तो मीडिया वाले भी बार बार दिखाने की हिम्मत नहीं करते। येचुरी को यह समझना चहिए कि हिन्दू संस्कृति और उसके धर्म ग्रंथ ही ऐसे हैं जो सभी धर्मों का सम्मान करते हैं। भारत में इससे ज्यादा सहिष्णुता और क्या चाहिए कि येचुरी मध्यप्रदेश के भोपाल में कांग्रेस के उम्मीदवार दिग्विजय सिंह के लिए वोट मांग रहे हैं। येचुरी की सुरक्षा में अनेकों पुलिसकर्मी लगे हुए हैं। दिग्विजय सिंह को भी लगता है कि हिन्दुओं के धर्मग्रंथों पर टिप्पणी करवा कर वे भोपाल के सासंद बन जाएंगे। ये वो ही दिग्विजय सिंह है जिन्होंने डॉ मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के समय हिन्दू आतंकवाद होने की बात कही थी। चूंकि येचुरी और दिग्विजय सिंह के विचार आपस में मिलते हैै, इसलिए येचुरी से भोपाल में कांग्रेस का प्रचार करवाया जा रहा है। अब 23 मई को पता चलेगा कि भोपाल के मतदाताओं ने हिन्दू धर्मग्रंथों पर कोई टिप्पणी का किस प्रकार जवाब दिया है। मालूम हो कि दिग्विजय सिंह का मुकाबला भाजपा की उम्मीदवार साध्वी प्रज्ञा ठाकुर से हो रहा है। प्रज्ञा को हिन्दू आतंकवाद की थ्यौरी के तहत ही गिरफ्तार किया गया था। साध्वी का आरोप है कि महाराष्ट्र की जेलों में उन्हें यातनाएं दी गई।