राज्यपाल मलिक ने कहा हमें कश्मीरियों पर गर्व है, तभी अनंतनाग में पांच सीआरपीएफ के जवानों को मौत के घाट उतारा गया।

राज्यपाल मलिक ने कहा हमें कश्मीरियों पर गर्व है, तभी अनंतनाग में पांच सीआरपीएफ के जवानों को मौत के घाट उतारा गया। क्या सकारात्मक पहल से कश्मीर का हल निकल जाएगा?

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13 जून को श्रीनगर में सीआरपीएफ के शहीद जवानों को श्रद्धांजलि दी गई। इसी के साथ जवानों के शव के ताबूत उनके घरों के लिए रवाना कर दिए गए। अंदाजा लगाया जा सकता है कि घर के हालात कैसे होंगे। सीआरपीएफ के जवानों को 12 जून को आतंकियों ने ऑटोमेटिक हथियारों से हमला कर मार डाला। उस समय सीआरपीएफ के जवान गश्त पर थे। अनंतनाग में यह हमला तब किया, जब राज्यपाल सत्यपाल मलिक श्रीनगर में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कश्मीरियों पर गर्व महसूस करने की बात कर रहे थे। मलिक का कहना रहा कि पंचायत और लोकसभा के चुनाव में कश्मीर के मतदाताओं ने उत्साह के साथ भाग लिया। कश्मीर के ग्रामीण विकास के लिए 600 करोड़ रुपए मिल चुके हैं और केन्द्र सरकार से 2000 करोड़ रुपए और आएंगे। मलिक ने यह भी कहा कि उनका मोबाइल फोन चौबीस घंटे चालू रहता है। कोई भी व्यक्ति समस्या बता सकता है। मेरे राज्यपाल बनने के बाद राजभवन में 70 हजार शिकायतें प्राप्त हुई है। ग्रामीणों की समस्याओं को सुनने के लिए राजपत्रित अधिकारी गांवों में ही रात्रि चौपाल लगाएंगे। एक और राज्यपाल जम्मू-कश्मीर के लोगों की सहूलियतों के बारे में बता रहे थे, तो दूसरी ओर अनंतनाग में आतंकी हमारे जवानों पर घात लगाए बैठे थे। सवाल उठता है कि क्या सकारात्मक पहल से कश्मीर समस्या का समाधान हो सकता है? क्या कश्मीर के लोग सरकार की सुविधाओं से संतुष्ट है? कश्मीर की समस्या आजादी के बाद से ही चली आ रही है। 80 के दशक में तो कश्मीर से चार लाख हिन्दुओं को बेघर कर दिया गया। आज कश्मीर घाटी में आतंकियों की दहशत है। राज्यपाल मलिक को लगता है कि राज्यपाल शासन में कश्मीर के हालात सुधर रहे हैं। लेकिन लगातार हो रही हिंसक वारदातें बता रही है कि राज्यपाल की सकारात्मक पहल का असर कश्मीर पर नहीं पड़ रहा है। सब जानते हैं कि कश्मीर की डोर पाकिस्तान में बैठे भारत विरोधी आतंकवादियों के हाथ में है। पाकिस्तान का मसकद कश्मीर को भारत से छीनना है। ऐसे में सरकार के सकारात्मक प्रयास सफल नहीं हो रहे हैं। कश्मीर का स्थायी समाधान तभी होगा, जब चार लाख हिन्दुओं को फिर से घाटी में बसाया जाए।
अमरनाथ यात्रा से पहले हमला:
अनंतनाग के जिस मार्ग पर सीआरपीएफ के जवानों पर हमला किया गया, उसी मार्ग से 17 दिन बाद अमरनाथ यात्रियों को गुजरना है। अमरनाथ यात्रा से पहले सीआरपीएफ पर यह हमला बेहद गंभीर है। अमरनाथ यात्रियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी सीआरपीएफ पर ही है।
मोदी सरकार के लिए चुनौती:
केन्द्र में नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व दोबारा से सरकार बनने के बाद यह पहला अवसर रहा, जब अनंतनाग में सीआरपीएफ पर हमला किया गया है। केन्द्रीय गृहमंत्री अमितशाह लगातार कश्मीर के हालातों पर नजर रखे हुए हैं। अनंतनाग का हमला अमितशाह के लिए भी चुनौती पूर्ण है।
एस.पी.मित्तल) (13-06-19)
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