इधर, राष्ट्रपति ने कहा, उधर राज्यसभा में तीन तलाक का बिल पेश हो गया।
हलाला जैसी प्रथाएं भी खत्म हो।
20 जून को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने संसद के संयुक्त अधिवेशन में अपने अभिभाषण में कहा कि तीन तलाक और हलाला जैसी प्रथाएं अब खत्म होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार इन प्रथाओं के उनमुलन की दिशा में प्रभावी काम कर रही है। राष्ट्रपति का अभिभाषण समाप्त होते ही नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने राज्यसभा में तीन तलाक पर कानून बनाने वाला बिल प्रस्तुत कर दिया। मालूम हो कि एनडीए के प्रथम कार्यकाल में भी मोदी सरकार ने तीन तलाक पर बिल रखा था, लेकिन राज्यसभा में इस बिल को मंजूरी नहीं मिल सकी। हालांकि यह बिल लोकसभा से मंजूर हो गया था। राज्यसभा से मंजूरी नहीं मिलने के बाद ही सरकार ने राष्ट्रपति के माध्यम से अध्यादेश जारी करवाया था। यह अध्यादेश मौजूदा समय में भी प्रभावी है। इस बार सरकार ने राज्यसभा में बिल को पहले प्रस्तुत किया है। सरकार का पूरा प्रयास होगा कि इस बार राज्यसभा से बिल को मंजूर करवा लिया जाए। उल्लेनीय है कि तीन तलाक पर कानून बनाने का आदेश सुप्रीम कोर्ट ने दिया है। तीन तलाक से पीडि़त मुस्लिम महिलाओं ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इन्हीं याचिकाओं के आधार पर ही सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक की प्रथा को समाप्त करने का आदेश दिया और सरकार को इस संबंध में कानून बनाने के निर्देश दिए। अब सरकार सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देश के अनुरूप ही तीन तलाक को अपराध मानते हुए कानून बनाने का प्रयास कर रही है। बिल के प्रावधानों में तीन तलाक के आरोपी पति की गिरफ्तारी और सजा का प्रावधान रखा गया है। इसी पर कई मुस्लिम संगठन विरोध भी कर रहे हैं। तीन तलाक के मुद्दे को लेकर देश में कई बार बहस हो चुकी है। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के पदाधिकारी इसे मुस्लिम धर्म में हस्तक्षेप मानते हैं तो वहीं तीन तलाक की पीडि़त महिलाएं चाहती है जिस प्रकार हिन्दू महिलाओं को मुआवजा आदि मिलता है उसी प्रकार मुस्लिम महिलाओं को भी मिले।
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