अब राष्ट्रभक्त मुसलमानों को भी खुश होना चाहिए।
जम्मू कश्मीर का अब तेजी से विकास होगा। आजादी का ख्वाब छोड़ दें नेता।
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पूरा देश जानना चाहता था कि 6 अगस्त की सुबह जम्मू कश्मीर के हालात कैसे हैं? इसे जानने की ललक को ध्यान में रखते हुए ही अधिकांश न्यूज चैनलों ने अपने संवाददाता नियुक्त कर दिए। सरकार ने भले ही यहां इंटरनेट सेवाएं बंद कर रखी हों, लेकिन सैटेलाइट के जरिए चैनलों पर लाइव प्रसारण हो रहा है। यदि कहीं कोई गड़बड़ी की आशंका होती तो सरकार कभी भी जम्मू कश्मीर से लाइव प्रसारण की इजाजत नहीं देती। यह माना कि अभी जम्मू कश्मीर खासकर कश्मीर घाटी में कफ्र्यू जैसे हालात हैं, लेकिन सरकार को भी कोई बड़ी गड़बड़ी की आशंका नहीं है। सवाल उठता है कि गड़बड़ी हो भी क्यों? केन्द्र सरकार ने अनुच्छेद 370 में बदलाव जम्मू कश्मीर की बेहतरी के लिए किया है। जिस तरह से कुछ स्वार्थी नेताओं ने अनुच्छेद 370 में राष्ट्रपति और विधानसभा के जरिए बदलाव किए उसी प्रकार अब केन्द्र सरकार ने राष्ट्रपति और संसद के माध्यम से बदलावों को बदल दिया। अब हर प्रावधनों के अंतर्गत कश्मीर के लोगों को भूखमारी ही मिली। अब्दुल्ला और मुफ्ती के खानदानों ने मजे किए। स्वयं के बच्चों को तो विदेश में पढ़ाया और कश्मीर के आम युवा के हाथ में बंदूक और पत्थर दे दिए। अब जम्मू कश्मीर के मुसलमानों का नहीं है, बल्कि देश के आम मुसलमानों का है। अनुच्छेद 370 के प्रावधानों की वजह से देशभर में साम्प्रदायिक तनाव हुए हैं। अब समय आ गया है, जब राष्ट्र भक्त मुसलमान सड़कों पर आकर खुशी मनाएं। 370 के प्रावधानों से देश के आम मुसलमान को क्या फायदा हो रहा था? उल्टे इन प्रावधानों की वजह से जम्मू कश्मीर पूरे देश से कटा हुआ था। अजमेर में रहने वाले मुसलमान भी धरती के स्वर्ग कहे जाने वाले कश्मीर में निवास कर सकते हैं। देश का कोई राष्ट्रभक्त मुसलमान नहीं चाहेगा कि जम्मू कश्मीर भारत से अलग हो जाए। केन्द्र सरकार ने 370 को बदल कर जम्मू कश्मीर को भारत में बनाए रखने की कवायद की है। अब तक अब्दुल्ला, मुफ्ती के परिवार और कांग्रेस 370 को लेकर डराते रहे। ऐसा माहौल बनाया गया कि 370 को बदलने पर विचार भी किया गया तो देश में आग लग जाएगी। लेकिन पूरा देश देख रहा है कि पांच अगस्त से ही देश में जश्न का माहौल है। अब इस जश्र में मुसलमानों को भी शामिल होना चाहिए। जो नेता अब कश्मीर की आजादी का ख्वाब देख रहे थे, उन्हें ताजा घटनाक्रम से सबक लेना चाहिए। दरअसल कांग्रेस के 55 वर्षों के शासन में केन्द्र में कमजोर सरकारें रहीं। तुष्टिकरण की वजह से केन्द्र की सरकार अब्दुल्ला और मुफ्ती परिवारों के सामने झुकती रहीं। लेकिन अब केन्द्र में नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में मजबूत सरकार है। इसमें कोई दो राय नहीं कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री अमितशाह ने बोल्ड फैसला किया है।