आखिर कब सुधरेगी राजस्थान पुलिस।
बलात्कार पीडि़त विकलांग विवाहित की रिपोर्ट तक दर्ज नहीं की।
नागौर एसपी विकास पाठक का दावा पीडि़ता थाने पर नहीं आई। 

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दोनों पैरों से विकलांग विवाहिता अपने साथ हुए बलात्कार की रिपोर्ट लिखवाने के लिए नागौर ने खुनखुना थाने से लेकर एसपी ऑफिस तक चक्कर लगा रही है और पीडि़ता की कोई सुनवाई नहीं हो रही है। चूंकि पीडि़ता के दौनों पैरों में पोलियो है, इसलिए घिटस-घिसट कर चलती है, लेकिन फिर भी निर्दयी पुलिस कर्मियों को दया नहीं आ रही है। पीडि़ता अपने विकलांग पति के साथ चीख-चीख कर बलात्कारी युवक का नाम भी बता रही है। पीडि़ता का आरोप है कि युवक ने उसके पति को अपने शिक्षण संस्थान में नौकरी देने की एवज में धोखे से बलात्कार किया। 20 सितम्बर को जब न्यूज चैनलों में मामला उजागर हुआ तो नागौर के एसपी विकास पाठक ने कहा कि पीडि़ता थाने पर आई ही नहीं, इसलिए रिपोर्ट दर्ज नहीं हुई। जबकि पीडि़ता का कहना रहा कि वह पिछले दो माह से नागौर के खुनखुना थाने से लेकर एसपी ऑफिस तक के चक्कर लगा रही हंू, लेकिन रिपोर्ट नहीं लिखी जा रही है। उल्टे आरोपी युवक धमका रहा है। गंभीर बात तो यह है कि पीडि़ता ने मुख्यमंत्री पोर्टल पर भी शिकायत दर्ज करवाई, लेकिन फिर भी कोई कार्यवाही नहीं हुई। सवाल उठता है कि जो पीडि़ता सरकारी पोर्टल पर शिकायत दर्ज करवा रही है क्या वह थाने पर रिपोर्ट लिखाने नहीं जाएगी? जाहिर है कि पुलस की कथनी और करनी में फर्क हैं। राजस्थान पुलिस के लिए इससे ज्यादा शर्मनाक बात नहीं हो सकती कि बलात्कार की शिकार विकलांग महिला रिपोर्ट लिखाने के लिए दर दर भटकना पड़े। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत स्वयं को गांधीवादी और संवेदनशील मानते हैं। ऐसे सीएम को चाहिए कि जिन पुलिस अधिकारियों ने लापरवाही बरती है उनके खिलाफ सख्त कार्यवाही करें। पुलिस के बड़े अधिकारियों के कथनों पर भरोसा करने के बजाए पीडि़ता की बात को सही माना जाए। कोई विकलांग महिला यूं ही अपनी इज्जत दांव पर नहीं लगाएगी। नागौर पुलिस को भी चाहिए कि पीडि़ता की रिपोर्ट दर्ज कर आरोपी को तत्काल गिरफ्तार करे। प्रदेश के उन न्यूज चैनलों का भी आभार जिन्होंने इस संवेदनशील मामले को प्रमुखता से प्रसारित किया।
एस.पी.मित्तल) (20-09-19)
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