धौलपुर के राज निवास में व्यस्त होने की वजह से पूर्व सीएम वसुंधरा राजे जयपुर में सतीश पूनिया के पद ग्रहण समारोह में शामिल नहीं हुईं। पूर्व अध्यक्ष कहां गायब हो गए पता ही नहीं चलता-केन्द्रीय मंत्री जावड़ेकर। पूनिया की प्रदेशाध्यक्ष के पद पर नियुक्ति से पहले राष्ट्रीय नेतृत्व ने मुझसे चर्चा की-ओम माथुर।
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9 अक्टूबर को विजया दशमी पर सतीश पूनिया ने राजस्थान प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष का पदग्रहण कर लिया। इस मौके पर केन्द्रीय मंत्री और लोकसभा चुनाव में प्रदेश के प्रभारी प्रकाश जावड़ेकर, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ओम माथुर, विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता गुलाबचंद कटारिया आदि नेता उपस्थित रहे। लेकिन दस वर्ष तक प्रदेश की मुख्यमंत्री रहीं और मौजूदा समय में भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्रीमती वसुंधरा राजे उपस्थित नहीं थीं। बताया गया कि राजे विजयादशमी पर धौलपुर स्थित अपने राज निवास में दशहरे पर आयोजित धार्मिक कार्यक्रमों में व्यस्त हैं। अलबत्ता राजे ने पद ग्रहण पर पूनिया को शुभकामनाएं भिजवाई हैं। राजे की मौजूदगी भाजपा में ही चर्चा का विषय रहीं। एक समय था जब राजे के बगैर राजस्थान भाजपा में पत्ता तक नहीं हिलता था। मुख्यमंत्री के पद पर रहते हुए तो राजे ने भाजपा संगठन को अपनी जेब में रखा। अशोक परनामी नाम मात्र के अध्यक्ष रहे। लेकिन अब बदलते हुए हालातों में प्रदेशाध्यक्ष की ताजपोशी भी राजे के बगैर हो रही हैं। असल में विधानसभा चुनाव में भाजपा की हार के बाद से ही संगठन में राजे की अनदेखी हो रही है। सीएम के पद पर रहते हुए राजे जिस प्रकार राष्ट्रीय नेतृत्व को चुनौती दी, उसी का परिणाम है कि राजे अब भाजपा में अलग थलग हैं। असल में अब राजस्थान में भाजपा संगठन ने राजे के बगैर दौडऩा सीख लिया है। यही वजह रही कि लोकसभा चुनाव में प्रदेश के प्रभारी रहे केन्द्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने सतीश पूनिया के पद ग्रहण पर कहा कि भाजपा ही एक मात्र राजनीतिक पार्टी है, जिसमें साधारण कार्यकर्ता को भी प्रदेशाध्यक्ष और राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने का अवसर मिलता है। जावड़ेकर ने कहा कि पूर्व अध्यक्ष कहां गायब हो गए, पता ही नहीं चलता। भाजपा की ताकत बूथ स्तर का कार्यकर्ता है। भाजपा किसी एक व्यक्ति पर निर्भर नहीं है। जहां तक व्यस्थता का सवाल है तो मैं दिल्ली का चुनाव प्रभारी हंू, लेकिन फिर भी पूनिया के पद ग्रहण के मौके पर आया हंू। वहीं भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ओम माथुर ने कहा कि पूनिया की नियुक्ति से पहले राष्ट्रीय नेतृत्व ने उनसे विचार विमर्श किया था। राष्ट्रीय नेतृत्व जो निर्णय लेता है उसमें मेरी भी भागीदारी होती है। माथुर ने जिस अंदाज में यह बात कही, उससे लग रहा था कि पूनिया की नियुक्ति में माथुर की महत्वपूर्ण भूमिका है। भाजपा की राजनीति में ओम माथुर को वसुंधरा राजे का विरोधी माना जाता है। माथुर भी लम्बे अर्से तक राजस्थान भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष रहे, लेकिन वसुंधरा राजे के विरोध की वजह से माथुर को राजस्थान की राजनीति से दूर जाना पड़ा। लेकिन अब प्रदेश में हालात बदल गए हैं।
एस.पी.मित्तल) (08-10-19)
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