राजस्थान के मालपुरा में कफ्र्यू में ढील के दौरान शांति रही।

राजस्थान के मालपुरा में कफ्र्यू में ढील के दौरान शांति रही।
लेकिन जुमे की नजाम घरों में ही पढऩी पड़ी। कफ्र्यू नहीं लगता तो हालात बिगड़ते। 

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11 अक्टूबर को राजस्थान के टोंक जिले के मालपुरा कस्बे में कफ्र्यू में दो घंटे की ढील के दौरान शांति रही। 8 अक्टूबर को दशहरे के दिन राम बारात पर पथराव और निर्धारित समय पर रावण दहन नहीं होने के बाद उपजे हालातों को देखते हुए 9 अक्टूबर की तड़के से ही कफ्र्यू लागू कर दिया था। टोंक के जिला कलेक्टर केके शर्मा ने बताया कि 11 अक्टूबर को प्रात: साढ़े आठ से साढ़े दस बजे तक कफ्र्यू में छूट दी गई। लोगों ने दैनिक उपयोग की वस्तुएं खरीदी। दो घंटे की छूट में कोई अप्रिय घटना नहीं हुई। 12 अक्टूबर को कफ्र्यू में छूट की अवधि को और बढ़ाया जा सकता है। जिला प्रशासन हिन्दू और मुस्लिम प्रतिनिधियों से लगातार सम्पर्क बनाए हुए है।
घरों में ही पढ़ी जुमे की नमाज:
चूंकि कफ्र्यू में छूट की अवधि प्रात: साढ़े  दस बजे ही खत्म हो गई थी, इसलिए मालपुरा के मुस्लिम समुदाय के लोगों ने शुक्रवार को जुमे की नमाज अपने घरों में पढ़ी। नमाज के लिए प्रशासन की ओर से कोई छूट नहीं दी गई। मालपुरा में गत दो दिनों से दैनिक समाचार पत्रों का वितरण भी नहीं हो रहा है। 11 अक्टूबर को ढील के दौरान हॉकरों ने अखबार भी वितरित किए। कफ्र्यू की सख्ती की वजह से दो दिनों तक बच्चों को दूध भी नसीब नहीं हुआ। प्रशासन ने इस बात का ख्याल रखा कि ढील के दौरान लोगों को खाने पीने की सामग्री मांग के अनुरूप मिले।
…नहीं तो हालात बिगड़ते:
प्रशासन के सूत्रों का मानना है कि 9 अक्टूबर को तड़के यदि कफ्र्यू नहीं लगाया जाता तो मालपुरा के हालात बिगड़ते। असल में राम बारात पर पथराव के बाद रावण दहन का कार्यक्रम भी नहीं हो सका था। प्रशासन चाहता था कि रात को ही रावण दहन हो, इसके लिए विधायक कन्हैयालाल एवं अन्य जनप्रतिनिधियों से सहमति भी लगी गई, लेकिन कुछ लोग अपने वायदे से मुकर गए। हालांकि उपखंड के एक वरिष्ठ अधिकारी को हटाने एवं अन्य मांगों पर सहमति भी हो गई थी। कुछ लोग चाते थे कि 9 अक्टूबर को दिन में रावण दहन हो। ऐसे लोगों का तर्क रहा कि यदि  हिन्दू समुदाय अपने धार्मिक कार्यक्रम दिन के उजाले में नहीं कर सकता तो धार्मिक स्वतंत्रता के क्या मायने हैं? प्रशासन को हालातों का अंदाजा था, इसलिए हर स्थिति में रात को ही रावण दहन की योजना बनाई गई। यदि दिन में रावण दहन के कारण हजारों लोग एकत्रित होते तो विवाद हो सकता था। यही वजह रही कि नगर पालिका के कर्मचारियों और आयोजन समिति के कुछ  लोगों की मदद से आधी रात को ही रावण दहन करवा कर 9 अक्टूबर की तड़के मालपुरा में कफ्र्यू लागू कर दिया गया। यानि कफ्र्यू लगने की सूचना लोगों को सुबह उठने पर लगी। यहां यह उल्लेखनीय है कि टोंक के मौजूदा कलेक्टर केके शर्मा जब अजमेर के अतिरिक्त संभागीय आयुक्त थे, तब भी टोंक में कफ्र्यू लगाने पर ड्यूटी देने आए थे। तब शर्मा को टोंक के हालातों को समझने का अवसर मिला। तब विवाद होने पर काफी नुकसान हुआ था, लेकिन इस बार पुराने अनुभव की वजह से प्रशासन हिंसा रोकने में सफल रहा। प्रशासन ने किसी भी उपद्रवी को वारदात करने का अवसर ही नहीं दिया।
एस.पी.मित्तल) (11-10-19)
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