शी जिनपिंग के साथ नरेन्द्र मोदी की डोनाल्ड ट्रंप जैसी दोस्ती नहीं दिखी।

शी जिनपिंग के साथ नरेन्द्र मोदी की डोनाल्ड ट्रंप जैसी दोस्ती नहीं दिखी।
लेकिन इमरान खान की चिल्ल पौं के बीच कश्मीर पर खामोशी रही।
यह भारत की कूटनीतिक सफलता है। 

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कोई 26 घंटे भारत में गुजराने के बाद चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग 12 अक्टूबर को विदा हो गए। भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जिनपिंग के लिए तमिलनाडु के समुद्र तक के किनारे महाबलीपुरम में शानदार इंतजाम किए। 26 घंटे में से आठ घंटे मोदी और जिनपिंग साथ रहे। टीवी चैनल वाले बता रहे हैं कि दोनों ने कितनी बार हाथ मिलाया या फिर कितनी बार हंसे। लेकिन इस दौरे में अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप जैसी दोस्ती देखने को नहीं मिली। हाल में जब नरेन्द्र मोदी हाउडी मोदी जैसे प्रोग्राम में भाग लेने के लिए अमरीका गए थे, तब दुनिया ने ट्रंप और मोदी की दोस्ती देखी। कहा जा सकता है कि जिनपिंग की यात्रा अनौपचारिक थी, इसलिए अमरीका जैसा माहौल देखने को नहीं मिला। सवाल उठता है कि क्या चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी फालतू हैं जो चेन्नई में समुन्द्र किनारे पिकनिक मनाने के लिए आ गए? यह यात्रा कितनी महत्वपूर्ण थी इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि मोदी के साथ भारत के विदेश मंत्री, राष्ट्रीय सुरक्षा सलहाकार जैसे तमाम अधिकारी मौजूद रहे। शी जिनपिंग  के साथ भी पूरा दल आया था। हालांकि मोदी के अमरीका दौरे से पहले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने ट्रंप से मुलाकात कर कश्मीर का मुद्दा उठाया था, लेकिन नरेन्द्र मोदी से मुलाकात के समय ट्रंप ने कश्मीर पर भारत के रुख का समर्थन करते हुए मुस्लिम आतंकवाद का मुद्दा उठा कर पाकिस्तान को झटका दे दिया। जिनपिंग के भारत आने से पहले इमरान खान ने चीन में जिनपिंग से मुलाकात की थी और भारत दौरे में कश्मीर का मुद्दा उठाने का आग्रह किया, लेकिन जिनपिंग ने मोदी के सामने कश्मीर का मुद्दा नहीं उठाया। यह भारत की कूटनीतिक सफलता है। भले ही ट्रंप जैसी दोस्ती नहीं दिखी हो, लेकिन मोदी की कूटनीति जिनपिंग पर हावी रही। दोनों नेताओं के बीच ग्लोबल आतंकवाद से लेकर व्यापार बढ़ाने तक पर चर्चा हुई। जिनपिंग ने भले ही कश्मीर का मुद्दा नहीं उठाया हो लेकिन मोदी ने पाकिस्तान में पनप रहे आतंकवाद का मुद्दा उठाया। पाकिस्तान चीन को अपना हमदर्द समझता है, लेकिन अब इमरान को अपनी कमजोर स्थिति का अंदाजा लगा लेना चाहिए। आज भारत की कूटनीति के आगे पाकिस्तान कहीं भी टिक नहीं पा रहा है। अनुच्छेद 370 को हटाने के बाद से कश्मीर का मुद्दा समाप्त हो गया है।
एस.पी.मित्तल) (12-10-19)
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