पुष्कर भाजपा में कमल पाठक के नेतृत्व को फिलहाल कोई चुनौती नहीं।

पुष्कर भाजपा में कमल पाठक के नेतृत्व को फिलहाल कोई चुनौती नहीं।
मेरी भूमिका पूरे पुष्कर में है-भाजपा विधायक अनिता भदेल।
कांग्रेस के सबसे मजबूत उम्मीदवार के सामने चुनाव लडूंगा-पाठक। 

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अजमेर जिले की पुष्कर नगर पालिका के 25 वार्डों के चुनाव नवम्बर में होने हैं, इसलिए पुष्कर में राजनीतिक गतिविधियां तेज हो गई हैं। 22 अक्टूबर को ही पूर्व मंत्री और भाजपा विधायक श्रीमती अनिता भदेल ने पुष्कर पहुंच कर हालातों का जायजा लिया है। प्रदेश नेतृत्व ने पुष्कर में अनुसूचित जाति के मतदाताओं को एकजुट करने की जिम्मेदारी भदेल को दी है। भाजपा नेताओं की बैठक के बाद भदेल ने कहा कि नगर पालिका के मौजूदा अध्यक्ष कमल पाठक के नेतृत्व में ही आगामी चुनाव लड़ा जाएगा। हालांकि पालिकाध्यक्ष के चुनाव में भाजपा का उम्मीदवार कौन होगा, यह प्रदेश नेतृत्व तय करेगा, लेकिन भाजपा के जिलाध्यक्ष बीपी सारस्वत का भी मानना है कि पालिका का चुनाव मौजूदा अध्यक्ष के कामकाज को सामने रख ही लड़ा जाएगा। कमल पाठक के पालिकाध्यक्ष पद पर रहते हुए पुष्कर में ऐतिहासिक विकास हुआ है। पुष्कर के अंतर्राष्ट्रीय महत्व को देखते हुए ही विश्वविख्यात ब्रह्मा मंदिर के परिसर को अंतर्राष्ट्रीय स्तर का बनाया गया है। पुष्कर के क्षेत्रीय भाजपा विधायक सुरेश सिंह रावत तो पहले ही कमल पाठक के साथ हैं। पूरे पांच वर्ष पाठक और रावत में तालमेल बना रहा। रावत भी अब इस तालमेल को तोडऩा नहीं चाहेंगे। पुष्कर भाजपा संगठन भी पूरी तरह पाठक के साथ खड़ा है। मौजूदा परिस्थितियों में पुष्कर भाजपा में पाठक के नेतृत्व को कोई चुनौती नहीं है।
कांग्रेस को चुनौती :
पुष्कर के राजनीतिक माहौल से उत्साहित पालिकाध्यक्ष कमल पाठक ने सीधे कांग्रेस को चुनौती दे दी है। पाठक ने कहा है कि कांग्रेस के सबसे मजबूत उम्मीदवार के सामने वे पार्षद का चुनाव लड़ेंगे। इसमें चाहें पुष्कर के दिग्गज कांग्रेसी दामोदर शर्मा हों या फिर पूर्व विधायक श्रीमती नसीम अख्तर का कोई समर्थक। उन्हें पुष्कर के किसी भी सामान्य वर्ग के वार्ड से चुनाव लडऩे में कोई परेशान नहीं है। वे कांग्रेस के हाईब्रिड फैसले के तहत की मेहरबानी नहीं लेना चाहते। वे पार्षद का चुनाव जीत कर ही फिर से पालिकाध्यक्ष बनेंगे। हालांकि पालिकाध्यक्ष के बारे में प्रदेश नेतृत्व का फैसला मान्य होगा, लेकिन प्रदेश नेतृत्व भी जानता है कि गत बार पुष्कर के 20 वार्डों में से 19 वार्डों में भाजपा उम्मीदवारों की जीत हुई थी। इस बार पुष्कर नगर पालिका में 25 वार्ड हैं। भाजपा के उम्मीदवार सभी 25 वार्डों में जीतेंगे। कांग्रेस भले ही कोईसा भी फार्मूला लगा लें। पुष्कर के मतदाताओं को पता है कि कमल पाठक ने कितना काम किया है। पूरे पांच वर्ष पालिका में कोई हंगामा नहीं हुआ। सभी मतदाताओं का कार्य बिना भेदभाव के किया गया। पालिका द्वारा करवाए गए विकास कार्यों के अलावा भाजपा की केन्द्र सरकार ने कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने का जो फैसला किया है, उसका भी पुष्कर के मतदाताओं पर असर है। इसलिए इस बार पुष्कर में मिशन 25 का लक्ष्य रखा गया है।
पालिका में पाठक का एक छत्र राज।
पुष्कर नगर पालिका में पूरे पांच वर्ष कमल पाठक का एक छत्र राज रहा। चूंकि 20 में से 19 पार्षद भाजपा के थे, इसलिए पालिका की साधारण सभा में भी वो ही प्रस्ताव पास हुए जो कमल पाठक ने चाहे। पालिका के काम काज को लेकर कभी भी किसी भी पार्षद ने नाराजगी नहीं जताई। यहां तक कि पुष्कर सरोवर में पूजा अर्चना करवाने वाले तीर्थ पुरोहित भी पांच वर्ष शांत रहे। सभी तीर्थ पुरोहितों ने एक स्वर से पाठक के काम काज की प्रशांसा की है। भाजपा में तो पाठक का विरोध देखा ही नहीं गया। साथ ही कांग्रेस ने भी मुखर विरोध करने की हिम्मत नहीं जुटाई। पिछले दस माह से प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है, लेकिन इसके बावजूद भी पाठक के नेतृत्व को कोई चुनौती नहीं मिली है। यही वजह है कि नवम्बर में होने वाले पालिका चुनाव को लेकर कमल पाठक एक बार फिर सक्रिय हो गए हैं। उन्हें दोबारा से पालिका का अध्यक्ष बनने में कोई रुकावट नजर नहीं आती है।
एस.पी.मित्तल) (23-10-19)
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