सचिन पायलट के लगातार विरोध के बाद भी वापस नहीं हो रहा निकाय चुनाव में हाईब्रिड फैसला।
25 अक्टूबर की शाम तक भी निकाय चुनाव में हाईब्रिड फैसले को गहलोत सरकार ने वापस लेने की कोई घोषणा नहीं की है। इस बीच राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट लगातार अपनी ही सरकार के फैसले का विरोध कर रहे हैं। पायलट का कहना है कि सरकार ने पार्षद चुने बगैर ही निकाय प्रमुख के चुनाव लडऩे का जो फैसला किया, वह पूरी तरह अलोकतांत्रिक और जन भावनाओं के खिलाफ हैं। पिछले पांच दिन में पायलट चार बार मीडिया के सामने नाराजगी जता चुके हैं। पायलट की नाराजगी को देखते हुए कांंग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और प्रदेश के प्रभारी अविनाश पांडे ने नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल को पायलट से मिलने के निर्देश दिए। पायलट से मुलाकात के बाद धारीवाल का कहना रहा कि मैंने सरकार के फैसले से पायलट को अवगत करवा दिया है। मुझे हाई कमान ने फैसले को वापस लेने के कोई निर्देश नहीं दिए हैं। इस बीच सीएम अशोक गहलोत ने भी कहा कि उन्हें अब निकाय चुनाव की आचार संहिता लगने का इंतजार है। यानि प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट को हाईब्रिड फैसले के वापस होने का इंतजार है तो सीएम गहलोत को चुनाव आचार संहिता लगाने का। मालूम हो कि प्रदेश के 49 निकायों के चुनाव नवम्बर में ही होने हैं। ऐसे एक दो दिन में आचार संहिता लग सकती है। यदि हाईब्रिड फैसला वापस नहीं होता है तो फिर 49 निकायों के चुनाव में कांग्रेस संगठन और प्रदेशाध्यक्ष पायलट की क्या भूमिका होगी? जब पायलट सरकार के इस फैसले को जन विरोधी और अलोकतांत्रिक बता रहे हैं, तब क्या इसी फैसले के अनुरूप पायलट चुनाव में कांग्रेस को जीतवाने का काम करेंगे? हालांकि पायलट ने अभी यह तो नहीं बताया कि फैसला वापस नहीं होने पर उनका अलगा कदम क्या होगा, लेकिन इतना जरूरी है कि पायलट के समर्थकों में नाराजगी है। यही नाराजगी चुनावों में कांग्रेस को नुकसान पहुंचाएगी। सवाल यह भी है कि क्या अब कांग्रेस का राष्ट्रीय नेतृत्व पायलट के विरोध को भी गंभीरता से नहीं ले रहा है? इस मुद्दे पर सीएम अशोक गहलोत का पायलट से संवाद नहीं करना भी बहुत मायने रखता है।
मंडावा की जीत से सीएम का प्रभाव बढ़ा:
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष की हैसियत से भले ही सचिन पायलट अपनी ही सरकार के फैसले का विरोध करें, लेकिन प्रदेश के मंडावा उपचुनाव में कांग्रेस की बड़ी जीत से सीएम अशोक गहलोत का प्रभाव बढ़ा है। 24 अक्टूबर को घोषित परिणाम को लेकर 25 अक्टूबर को दैनिक समाचार पत्रों में सीएम अशोक गहलोत की ही प्रतिक्रिया है। जबकि ऐसे मौको पर पार्टी अध्यक्ष की प्रतिक्रिया का महत्व होता है। जानकार सूत्रों के अनुसार मंडावा में कांग्रेस उम्मीदवार रीटा चौधरी की 33 हजार मतों से जीत पर राष्ट्रीय नेतृत्व ने सीएम गहलोत को शाबाशी दी है। इसमें कोई दो राय नहीं कि मंडावा की जीत में सीएम गहलोत की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। कांग्रेस के लिए यह जीत इसलिए भी मायने रखती है कि यहां से गत बार झुंझुनूं के सांसद नरेन्द्र सिंह खीचड़ ने विधानसभा का चुनाव जीता था। यानि सासंद होते हुए भी खीचड़ अपनी पार्टी के उम्मीदवार को अपनी ही सीट पर जीत नहीं दिलवा सके।
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