महाराष्ट्र में भाजपा की इस किरकिरी का जिम्मेदार कौन?

महाराष्ट्र में भाजपा की इस किरकिरी का जिम्मेदार कौन?
आखिर जल्दबाजी में क्यों बनाई सरकार?
अब उद्धव ठाकरे बनेंगे मुख्यमंत्री। 

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26 नवम्बर को दोपहर साढ़े तीन बजे देवेन्द्र फडऩवीस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा देने की घोषणा कर दी। इससे कुछ समय पहले अजीत पवार ने भी उपमुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था। फडनवीस ने पवार के दम पर ही राज्यपाल के समक्ष सरकार बनाने का दावा पेश किया था। इसके बाद अजीत पवार के साथ ही फडऩवीस ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। लेकिन अजीत पवार अपने साथ एनसीपी के विधायकों को नहीं ला सके, यही वजह रही कि फडऩवीस ने बहुमत खो दिया। हालांकि देखा जाए तो जिस पत्र के आधार पर बहुमत का दावा किया गया था, वह पत्र सही मायने में धोखा था। देवेन्द्र फडऩवीस को भी पता था कि अजीत पवार समर्थन का जो पत्र दे रहे हैं वह सही नहीं है। लेकिन फडऩवीस और अजीत पवार को उम्मीद थी कि सरकार बन जाने के बाद एनसीपी के विधायक साथ में आ जाएंगे, लेकिन इन दोनों को ही शरद पवार की ताकत का अंदाजा नहीं था। शरद पवार ने एक बार फिर यह साबित किया है कि वे महाराष्ट्र के छत्रप हैं और उनके बगैर सरकार चलाना मुश्किल है। कांग्रेस से अलग होने के बाद भी महाराष्ट्र में कांग्रेस की जो सरकारें बनी उनमें शरद पवार का सहयोग रहा। पांच वर्ष पहले 2014 में जब देवेन्द्र फडऩवीस की सरकार बनी तब भी शरद पवार का ही सहयोग रहा। यदि शरद पवार के विधायक विधानसभा का बहिष्कार नहीं करते तो फडऩवीस को सदन में बहुमत हासिल नहीं हो सकता था। चूंकि इस बार शरद पवार भाजपा के साथ नहीं थे, इसलिए देवेन्द्र फडनवीस को इस्तीफा देना पड़ा है। भाजपा को उम्मीद थी कि शरद पवार के भतीजे अजीत पवार के दम पर सरकार बना ली जाएगी। लेकिन शरद पवार ने यह दर्शाया दिया कि उनके बगैर सरकार नहीं बनाई जा सकती है। अब चूंकि शरद पवार, शिवसेना के साथ हैं, इसलिए शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बनेंगे। शरद पवार शिवसेना और कांग्रेस का गठबंधन पहले ही हो चुका है। अब सवाल उठता है कि महाराष्ट्र में भाजपा की जो किरकिरी हुई है उसका जिम्मेदार कौन है? सब जानते हैं कि भाजपा की राजनीति में महत्वपूर्ण निर्णय राष्ट्रीय अध्यक्ष अमितशाह ही करते हैं। अब देखना होगा कि इस मुद्दे पर अमित शाह की सफाई क्या आती है। वैसे ताजा हालातों में भाजपा की प्रतिष्ठा को जबर्दस्त धक्का लगा है। अब यह माना जा रहा है कि राज्यपाल के समक्ष गलत तथ्य प्रस्तुत कर महाराष्ट्र में सरकार बनाई गई। असल में फडऩवीस के इस्तीफे के पीछे 26 नवम्बर की सुबह सुप्रीम कोर्ट का अंतरिम फैसला भी रहा। कोर्ट ने सुबह ही कह दिया कि फडऩवीस को 27 नवम्बर को सायं पांच बजे बहुमत साबित करना होगा। इससे पहले प्रोटेम स्पीकर विधायकों को शपथ दिलवाए। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि प्रोटेम स्पीकर ही बहुमत परीक्षण की कार्यवाही को करवाएगा। यानि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भाजपा पर और दबाव बढ़ गया। इस बीच शरद पवार की पत्नी यानि अजीत पवार की चाची ने अपने भतीजे को समझाने में पूरी ताकत लगा दी। शरद पवार की बेटी सुप्रिया सूले ने भी अजीत पवार से मुलाकात की। अजीत पवार को समझाया गया कि राजनीति से पहले परिवार है। और परिवार में राजनीतिक के कारण फूट नहीं होनी चाहिए। इमोशनल बातचीत के बाद ही अजीत पवार ने डिप्टी सीएम के पद से इस्तीफा दे दिया।
एस.पी.मित्तल) (26-11-19)
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