कांग्रेस संवैधानिक संस्थाओं के दुरुपयोग का आरोप लगाती रह गई और समाजवादी पार्टी कपिल सिब्बल को ले उड़ी। अब सपा और उनके नेताओं के लिए भी रात 12 बजे खुल सकेगा सुप्रीम कोर्ट।

कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे राहुल गांधी और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपने हर भाषण में आरोप लगाते हैं कि केंद्र की मोदी सरकार देश की संवैधानिक संस्थाओं का दुरुपयोग कर रही है। संवैधानिक संस्थाओं में सुप्रीम कोर्ट का नाम भी गिनाया जाता है। कांग्रेस ऐसे आरोप लगाती रह गई और अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी कांग्रेस के पूर्व केंद्रीय मंत्री सुप्रीम कोर्ट के दिग्गज वकील कपिल सिब्बल को ले उड़ी। सिब्बल ने 25 मई को राज्यसभा के लिए उत्तर प्रदेश से नामांकन दाखिल कर दिया है। सिब्बल ने भले ही निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर नामांकन किया हो, लेकिन वे सपा विधायकों के वोट से ही राज्यसभा के सांसद चुने जाएंगे। सिब्बल के नामांकन के समय अखिलेश यादव स्वयं विधानसभा में मौजूद रहे। खुला समर्थन देने के लिए सिब्बल ने अखिलेश का आभार भी जताया है। कांग्रेस भले ही मोदी सरकार पर सुप्रीम कोर्ट तक के दुरुपयोग पर का आरोप लगाए, लेकिन कपिल सिब्बल में वह ताकत है जिसके तहत वे रात 12 बजे भी सुप्रीम कोर्ट को खुलवा सकते हैं। सब जानते हैं कि कपिल सिब्बल ने सपा नेता आजम खान से लेकर राम मंदिर प्रकरण तक में पैरवी की है। ये वे ही कपिल सिब्बल हैं जिन्होंने 2017 में सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि निर्णय को मई 2019 तक टाल दिया जाए। सिब्बल का तर्क था कि यदि फैसला लोकसभा चुनाव से पहले आता है तो इसका फायदा भाजपा को मिलेगा। तब सिब्बल कांग्रेस में ही थे, इसलिए अशोक गहलोत से लेकर राहुल गांधी तक खुश थे। कांग्रेस को इस मुद्दे पर विचार करना चाहिए कि जो सिब्बल रात 12 बजे सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई करवा सकते हैं, वह सिब्बल कांग्रेस छोड़कर क्यों चले गए? कांग्रेस का अब क्या होगा, यह तो राहुल गांधी ही बता सकते हैं, लेकिन अब समाजवादी पार्टी को कपिल सिब्बल के तौर पर एक बहुत बड़ा कानूनी सुरक्षा कवच मिल गया है। सब जानते हैं कि समाजवादी पार्टी किन मतदाताओं का प्रतिनिधित्व करती है। अब ऐसे लोगों को भी संरक्षण मिल सकेगा। पिछले दिनों दिल्ली के जहांगीरपुरी में अतिक्रमण हटाने के मामले में भी कपिल सिब्बल ने सीधे सुप्रीम कोर्ट से निर्देश दिलवा दिए। लोगों को मुंसिफ अदालत से निर्णय करवाने में 20-20 वर्ष तक लग जाते हैं, लेकिन कपिल सिब्बल एक स्थानीय निकाय को अतिक्रमण हटाने से रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट से आदेश करवा देते हैं। आम खान पर भले ही आपराधिक प्रवृत्ति के 80 मुकदमें दर्ज हो, लेकिन फिर भी सुप्रीम कोर्ट के दखल से आजम खान जेल से रिहा हो जाते हैं। कपिल सिब्बल जब सुप्रीम कोर्ट में खड़े होते हैं, तो उनकी उपस्थिति को भी चीफ जस्टिस भी गंभीरता से लेते हैं। यह भी सब जानते हैं कि आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के मामले में सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव भी उलझे हुए हैं, लेकिन अब सपा को कपिल सिब्बल के तौर पर बहुत बड़ा पैरवीकार मिल गया है। कांग्रेस के कुछ नेता कह रहे है कि राज्यसभा के सांसद के लालच में सिब्बल ने कांग्रेस छोड़ी है। सवाल उठता है कि जो लोग कांग्रेस में अभी भी सत्ता सुख भोग रहे हैं क्या वे लालची नहीं है? कांग्रेस में अब वो ही नेता रह गए हैं तो सत्ता से चिपके हुए हैं। 

S.P.MITTAL BLOGGER (26-05-2022)
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