राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने निर्दलीय विधायकों से कहा-मैं अहसान फरामोश नहीं हो सकता। आखिर मार्बल कारोबारी अनिल भक्कड़ से निर्दलीय विधायकों को फोन कौन करवा रहा है? राज्यसभा की चार सीटों में से तीन पर कांग्रेस की जीत तय। भाजपा की कांग्रेस की फूट पर नजर।

राजस्थान में राज्यसभा की चार सीटों के लिए आगामी 10 जून को मतदान होना है। राजस्थान में 200 विधायकों में से 13 निर्दलीय है। 23 मई को राज्यसभा चुनाव के मद्देनजर 13 में से 11 विधायकों ने जयपुर में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मुलाकात की है। विधायक बलजीत यादव और राजकुमार गौड़ ने मुलाकात में अनुपस्थित रहने की वजह बता दी। यानी सभी 13 निर्दलीय विधायक पूरी तरह कांग्रेस के साथ है। 23 मई को मुलाकात में निर्दलीय विधायक महादेव सिंह खंडेला, ओम प्रकाश हुडला, रमिला खड़िया, रामकेश मीणा, सुरेश टाक, आदि ने गहलोत से कहा कि कांग्रेस सरकार के मौजूदा कार्यालय में राज्यसभा का चुनाव अंतिम अवसर है, जब निर्दलीय विधायकों की जरूरत होगी। ऐसा न हो कि 10 जून के बाद सरकार में निर्दलीय विधायकों का महत्व खत्म हो जाए। सभी निर्दलीयों ने कहा कि हम अशोक गहलोत के साथ हमेशा खड़े हैं। राज्यसभा के चुनाव में भी हम सभी आपके (गहलोत) के निर्देश पर मताधिकार का उपयोग करेंगे। निर्दलीय विधायकों के समर्थन और आशंका पर सीएम गहलोत ने कहा- मैं अहसान फरामोश नहीं हूं। मैं आप लोगों (निर्दलीय विधायक) की वजह से ही मुख्यमंत्री हंू। मैंने पिछले साढ़े तीन साल में कांग्रेस और निर्दलीय विधायकों में कोई भेद नहीं किया। 2018 में शपथ ग्रहण के बाद जब राहुल गांधी ने आभार प्रकट करने के लिए जयपुर आए थे, तब मैं चाहता था कि निर्दलीय विधायक भी कांग्रेस विधायकों के साथ ही बैठे, लेकिन तब के प्रदेशाध्यक्ष इस पर सहमति नहीं जताई, इसलिए आप लोगों के लिए अलग से छोटा मंच बनाया गया। मेरी नजर में यह गलत था। मैं तो आप लोगों को कांग्रेस का ही विधायक मानता हंू। गहलोत ने इस बार पर अफसोस जताया कि हमारी ही पार्टी के कुछ लोग आरोप लगाते हैं कि कांग्रेस प्रत्याशी को हराने के लिए मैंने चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार खड़े करवाए। गहलोत ने कहा कि मैंने कभी कांग्रेस को कमजोर करने वाला कार्य नहीं किया। आप सभी 13 निर्दलीय विधायकों का समर्थन भी इसलिए लिया, ताकि प्रदेश में कांग्रेस सरकार मजबूती के साथ चल सके। गहलोत ने कहा कि जब तक मैं मुख्यमंत्री हूं, तब तक किसी भी निर्दलीय विधायक को अपने हितों की चिंता करने की जरुरत नहीं है। गहलोत ने कहा कि आम लोग तो यह बताइए कि आप अगले वर्ष दोबारा से चुनाव कैसे जीत सकते हैं? इस पर संयम लोढ़ा जैसे विधायकों ने कहा कि इस बार उन्हें कांग्रेस का उम्मीदवार बनाया जाए। गहलोत ने कहा कि टिकट वितरण के समय सभी निर्दलीय विधायकों का ख्याल रखा जाएगा। 
भक्कड़ के फोन:
मुलाकात से कुछ निर्दलीय विधायकों ने सीएम गहलोत को बताया कि उनके पास राज्यसभा चुनाव के मद्देनजर दिल्ली के मार्बल कारोबारी अनिल भक्कड़ के फोन आ रहे हैं। विधायकों ने सीएम को भक्कड़ के मोबाइल नंबर भी दिए। इस पर सीएम ने मुस्कुराते हुए कहा कि मेरी सब पर नजर है। मुझे यह भी पता है कि अनिल भक्कड़ को किस विधायक ने क्या जवाब दिया है। सीएम गहलोत के इस कथन के बाद निर्दलीय विधायकों में यह चर्चा है कि आखिर अनिल भक्कड़ से फोन कौन करवा रहा है? क्या निर्दलीय विधायकों की ईमानदारी परखी जा रही है? विधायकों ने माना कि अशोक गहलोत जैसा चतुर राजनीतिज्ञ कांग्रेस पार्टी में और कोई नहीं है। इस चतुराई का ही परिणाम है कि राज्यसभा की चार में से तीन सीट पर कांग्रेस की जीत तय है। कांग्रेस को तीन सीटों पर जीत के लिए 123 वोट चाहिए। कांग्रेस के स्वयं के 108 और 13 निर्दलीय विधायकों के वोटों की संख्या 121 होती है। कम्युनिस्ट पार्टी और बीटीबी के दो दो विधायक कांग्रेस उम्मीदवारों को वोट देने के लिए तैयार बैठे हैं। ऐसे में कांग्रेस के तीनों उम्मीदवारों को प्रथम वरीयता के 41-41 वोट आसानी से मिल जाएंगे। 
भाजपा की फूट पर नजर:
भाजपा के 71 विधायक हैं। ऐसे में एक सीट भाजपा की पक्की है, लेकिन भाजपा ने दूसरा उम्मीदवार भी खड़ा करने की घोषणा कर दी है। भाजपा की नजर कांग्रेस की फूट पर लगी हुई हे। अपने एक उम्मीदवार को प्रथम वरियता के 41 वोट दिलवाने के बाद भी भाजपा के पास शेष 30 वोट शेष रहेंगे। भाजपा को लगता है कि कांग्रेस ने जो 125 वोटों का जुगाड़ किया है, उसमें से 10-12 वोट अलग हो जाएंगे। ऐसे में भाजपा का दूसरा उम्मीदवार भी चुनाव जीत जाएगा। राज्यसभा चुनाव के लिए 24 मई से नामांकन शुरू हो गए हैं। 

S.P.MITTAL BLOGGER (24-05-2022)
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