जब भाजपा नामांकन वापस करवा सकती है तो कांग्रेस सहाड़ा उपचुनाव में लादूराम पितलिया को प्रचार करने से क्यों नहीं रोक सकती? यदि मुख्यमंत्री को लिखे पत्र की लिखावट पितलिया की होती तो अब मुकदमा दर्ज हो जाता। गत वर्ष कोरोना की आड़ में ही राजस्थान की सीमाएं दो बार सील की गई थी।

राजस्थान के भीलवाड़ा के सहाड़ा विधानसभा उपचुनाव में भाजपा नेता लादूराम पितलिया को प्रचार करने से रोकने के लिए चिकित्सा विभाग ने पितलिया के घर के बाहर होम क्वारंटीन का नोटिस लगा दिया है। भीलवाड़ा के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर मुस्ताक खान का कहना है कि पितलिया प्रदेश में बाहर से आए हैं। इसलिए राज्य सरकार की कोविड-19 की गाइडलाइन के अनुसार पितलिया को 5 से 19 अप्रैल तक होम क्वारंटीन रहना होगा। इस आदेश से साफ जाहिर है कि पितलिया अब सहारा उप चुनाव में अपनी पार्टी के लिए प्रचार नहीं कर सकेंगे। क्योंकि सहाड़ा में 17 अप्रैल को मतदान हो जाएगा पितलिया का सहाडा में खासा प्रभाव है और गत बार निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़कर 30 हजार वोट प्राप्त किए थे। पितलिया को जबरन होम क्वॉरेंटीन करने पर अब भाजपा को नाराजगी है। लेकिन सवाल उठता है कि जब भाजपा नामांकन वापस करवा सकती है तो क्या सत्तारूढ़ कांग्रेस पितलिया को प्रचार करने से नहीं रोक सकती? सब जानते हैं कि उपचुनाव में भाजपा का उम्मीदवार नहीं बनाए जाने पर पितलिया ने बागी उम्मीदवार के तौर पर नामांकन दाखिल कर दिया था, लेकिन भाजपा ने राजनीति के तौर तरीके अपनाकर पितलिया का नामांकन वापस करवा दिया। अब राजनीति के वही हथकंडे अपनाकर सत्तारूढ़ पार्टी ने पितलिया को प्रचार करने से रोक दिया है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भले ही स्वच्छ राजनीति का दावा करें, लेकिन पितलिया को जबरन होम कोरेंटिन करने से जाहिर है कि सत्ता का दुरुपयोग किस तरह हो रहा है। पितलिया का कहना है कि वह पिछले कई दिनों से राजस्थान से बाहर गए ही नहीं, इसलिए उन पर होम क्वारटीन का नियम लागू नहीं होता है जिस दिन पितलिया ने नामांकन वापस लिया उसी दिन मीडिया में मुख्यमंत्री के नाम लिखा एक पत्र भी वायरल हुआ। इस पत्र को पितलिया द्वारा लिखा गया, यदि है पत्र वाकई पितलिया द्वारा लिखा गया होता तो अब गहलोत सरकार मुकदमा दर्ज कर भाजपा नेताओं की धरपकड़ शुरू करवा देती। इस पत्र में पितलिया ने मुख्यमंत्री से सुरक्षा की मांग की थी। कोई भाजपा नेता सुरक्षा मांगे और मुख्यमंत्री गहलोत न दे ऐसा हो ही नहीं सकता। पूरा प्रदेश जानता है कि गत वर्ष ठीक जुलाई-अगस्त में तब सत्तारूढ़ कांग्रेस के विधायक दिल्ली भाग रहे थे, तब गहलोत सरकार ने कोरोना की आड़ लेकर दो बार प्रदेश की सीमाओं को सील किया था। सरकार का मकसद तो विधायकों को प्रदेश से बाहर जाने से रोकना था, लेकिन इससे आम आदमी बहुत परेशान हुआ लोगों को कलेक्ट्रेट और एसडीएम कार्यालय में लंबी कतार में खड़े होकर बाहर जाने की अनुमति लेनी पड़ी। यह हास्यास्पद स्थिति थी कि बाहर से आने पर कोई प्रतिबंध नहीं था। यानी राजनीति में सारे दांव चलते हैं, इसलिए भाजपा के नेताओं को पितलिया को होम क्वारटीन करने पर नाराज नहीं होना चाहिए।

S.P.MITTAL BLOGGER (06-04-2021)

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