पश्चिम बंगाल में एनआरसी और सीएए के लिए मेरी लाश से गुजरना होगा।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का तीसरे दिन भी कोलकाता की सड़कों पर पैदल मार्च।
सुप्रीम कोर्ट का रोक लगाने से इंकार
18 दिसम्बर को भी लगातार तीसरे दिन पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी के विरोध में कोलकाता की सड़कों पर पैदल मार्च किया। 18 दिसम्बर को ममता ने कहा कि पश्चिम बंगाल में एनआरसी और नागरिकता कानून लागू करने से पहले मेरी लाश पर से गुजरना होगा। उन्होंने कहा कि मेरे जिंदा रहते ये दोनों कानून पश्चिम बंगाल में लागू नहीं होंगे। पश्चिम बंगाल में सवा वर्ष बाद चुनाव होने हैं, तब ममता बनर्जी की क्या राजनीतिक हैसियत रहेगी, यह चुनाव परिणाम ही बताएंगे, लेकिन हाल ही के लोक सभा चुनाव में पश्चिम बंगाल की 42 सीटों में से ममता बनर्जी की टीएमसी को मात्र 22 सीटें मिली हैं। 18 सीटों पर भाजपा को जीत मिली है। एनआरसी और सीएए भाजपा के नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार ने ही लागू किया है। ममता बनर्जी अकेली मुख्यमंत्री नहीं हंै जिन्होंने एनआरसी और सीएए का विरोध किया है। कांग्रेस शासित राज्यों ने भी दोनों कानूनों का विरोध किया है। यह बात अलग है कि दोनों कानून भारत के किसी भी धर्म के नागरिक के खिलाफ नहीं है। दोनों कानून को लेकर बेवजह भ्रम फैलाया जा रहा है। हो सकता है कि ऐसे विरेध से समुदाय विशेष के वोट मिल जाएं, लेकिन यह देश के लिए घातक होगा। ऐसे विरोध के दुष्परिणाम भविष्य में देखने को मिलेंगे। अच्छा हो कि राजनीतिक दल देश को मजबूत करने में ताकत लगाएं। सवाल यह भी है कि पाकिस्तान और अफगानिस्तान में जिन हिन्दुओं को धर्म के आधार पर प्रताडि़त किया जा रहा है उन्हें भारत में शरण नहीं देंगे तो कहां देंगे? क्या हिन्दुओं को अपने ही देश में शरण देने के लिए अब पहले अससुद्दीन औवेसी, ममता बनर्जी, अशोक गहलोत अरविंद केजरीवाल जैसे नेताओं से अनुमति लेनी होगी? पाकिस्तान और अफगानिस्तान की नहीं बल्कि दुनिया के किसी देश का हिन्दू भारत में नागरिकता का अधिकार रखता है। सनातन संस्कृति को मानने वाले हर व्यक्ति का अधिकार भारत पर है। संविधान में धर्म निरपेक्ष शब्द लिख देने का मतलब यह नहीं कि भारत में हिन्दू ही नागरिकता नहीं ले सके। जब भारत में किसी भी व्यक्ति को अपने धर्म के अनुरूप रहने का संवैधानिक अधिकार है,तब हिन्दुओं को नागरिकता देने पर क्यों एतराज किया जा रहा है। नागरिकता कानून से देश के किसी भी मुसलमान के हितों और अधिकारों पर कोई असर नहीं पड़े, इस सच्चाई को मुसलमानों को भी समझना चाहिए। नरेन्द्र मोदी और अमितशाह क्या कोई भी ताकतवर व्यक्ति अब भारत में मुसलमानों के अधिकारों में कटौती नहीं कर सकता है। लेकिन भारत में हिन्दुओं को भी सम्मान के साथ रहने का अधिकार है।
रोक से कोर्ट का इंकार:
18 दिसम्बर को सुप्रीम कोर्ट ने नागरिकता संशोधन कानून पर रोक लगाने से इंकार कर दिया है। इस कानून पर रोक लगाने के लिए अनेक जनहित याचिकाएं दायर की गई थी। कोर्ट ने अब सभी याचिकाओं पर आगामी 22 दिसम्बर को सुनवाई के निर्देश दिए हैं।
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