एनपीआर पर एनडीटीवी का वीडियो ही देखे और सुने, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत।

एनपीआर पर एनडीटीवी का वीडियो ही देखे और सुने, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत। तब क्या मनमोहन सिंह की सरकार ने मुसलमान विरोधी निर्णय लिया था? 

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27 दिसम्बर को जयपुर में अखिल भारतीय महिला फैडरेशन के समारोह में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने स्वभाव के मुताबिक राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) का विरोध किया। गहलोत ने कहा कि नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार लगातार मुसलमान विरोधी फैसले कर रही है, जिससे देश का माहौल खराब हो रहा है। गहलोत केन्द्र सरकार और नरेन्द्र मोदी पर हमला करने का कोई मौका नहीं छोड़ते हैं। समारोह देश के न्यायिक अधिकारियों का हो या महिलाओं का। सभी जगहों पर गहलोत  देश में भय और डर का माहौल बताते हैं। 27 दिसम्बर को भी महिलाओं के समारोह में गहलोत ने कहा कि मीडिया भी डरा हुआ है। देश में एनडीटीवी अकेला न्यूज चैनल है जो केन्द्र सरकार के खिलाफ बोलता है।  गहलोत ने एनडीटीवी को सच्चा और निष्पक्ष न्यूज चैनल बताया। यदि गहलोत को एनडीटीवी न्यूज चैनल निष्पक्ष नजर आता है तो गहलोत को इसी चैनल की 2010 की न्यूज का वीडियो भी देखना और सुनना चाहिए। 2010 में जब केन्द्र में डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व में यूपीए की सरकार चल रही थी, तब देश भर में एनपीआर यानि राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर की घोषणा की गई। तब अंगुलियों के निशान तक लेने का प्रावधान किया गया था। तब सरकार की ओर से कहा गया कि इन आंकड़ों के आधार पर नागरिकता पहचान पत्र बनेगा। इससे विदेशी नागरिकों के घुसपैठ पर भी रोक लगेगी। यूपीए सरकार की एनपीआर योजना को लेकर ही तब एनडीटीवी ने न्यूज चलाई थी। चैनल की एंकर निधि ने विस्तार से एनपीआर के बारे में जानकारी दी। एनडीटीवी की न्यूज का वीडियो  ही अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। यह वीडियो मेरे फेसबुक पेज www.facebook.com/SPMittalblog  पर भी है। मेरा सीएम गहलोत से विनम्र आग्रह है कि इस वीडियो को जरूर देखे और तब अपनी प्रतिक्रिया दें। यदि एनपीआर की घोषणा डॉ. मनमोहन सिंह की सरकार करे तो सही है और इसी घोषणा को नरेन्द्र मोदी की सरकार आगे बढ़ाए तो मुसलमान विरोधी है। क्या यह दोगली नीति नहीं है? एनपीआर हो या सीएए दोनों को लेकर मुस्लिम समुदाय में बेवजह भ्रम फैलाया जा रहा है। सीएए में हिन्दू, सिक्ख, ईसाई, बौद्ध, जैन व पारसी समुदाय के प्रताडि़त लोगों को भारत की नागरिकता देना है। लेकिन इसके बावजूद भी कहा जा रहा है कि सीएए से मुसलमानों की नागरिकता पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। जो राजनेता मुसलमानों को गुमराह कर रहे हैं उन्हें भी पता है कि मुस्लिम राष्ट्रों के मुकाबले में मुसलमान भारत में ज्यादा सुकून और तरक्की के साथ रह रहा है।
एस.पी.मित्तल) (27-12-19)
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