अजमेर नगर निगम की साधारण सभा बुलाने पर मेयर और आयुक्त में फिर टकराव।
निगम में तो उल्टी गंगा बह रही है-मेयर धर्मेन्द्र गहलोत।
नियमों के तहत ही हो रहा है कामकाज-उपायुक्त रलावता।
अजमेर नगर निगम की साधारण सभा बुलाने पर एक फिर मेयर धर्मेन्द्र गहलोत और आयुक्त सुश्री चिन्मयी गोपाल में टकराव हो गया है। साधारण सभा बुलाने को लेकर आयुक्त गोपाल ने 10 जनवरी को नोटशीट मेयर गहलोत के पास भेजी थी। 11 व 12 जनवरी के अवकाश के बाद 13 जनवरी को मेयर ने नोटशीट पर लिखे प्रस्ताव का आयुक्त को करारा जवाब दिया है। मेयर ने लिखा कि साधारण सभा बुलाने के लिए 25 सितम्बर और 13 नवम्बर 2019 को अलग अलग आदेश जारी किए थे, लेकिन तब आपने (आयुक्त) ने साधारण सभा नहीं बुलाई। अब जब राज्य सरकार ने 15 फरवरी से पूर्व बजट के लिए साधारण सभा बुलाने के लिए पाबंद किया है तो मेरे 25 सितम्बर और 13 नवम्बर वाले आदेशों का हवाला देते हुए साधारण सभा बुलाने का प्रस्ताव किया गया है। यह पूरी तरह नगर पालिका अधिनियमों के विरुद्ध है। नगर निगम का संचालन पालिका नियमों के तहत होना चाहिए, लेकिन आप (आयुक्त) अपनी मनमर्जी से संचालन कर रही हैं। चूंकि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है, इसलिए आपको यह भ्रम हो गया है कि अजमेर नगर निगम के भाजपा बोर्ड की कोई सुनवाई नहीं होगी। आप चाहे जैसे निगम का संलचान करें, लेकिन शायद आपकी कार्यशैली से मुख्यमंत्री आदरणीय अशोक जी गहलोत अवगत नहीं है। यदि मुख्यमंत्री जी को पता होता तो आपको मनमर्जी नहीं करने देते। आप अपने अहंकार में जन प्रतिनिधियों का भी सम्मान नहीं कर रही हैं। भाजपा ही नहीं बल्क कांग्रेस के पार्षदों के साथ आपका व्यवहार अच्छा नहीं है। आमतौर पर साधारण सभा बुलाने से मेयर कतराते हैं, लेकिन अजमेर नगर निगम में तो उल्टी गंगा बह रही है। साधारण सभा बुलाने के लिए मेयर बारबार आदेश जारी कर रहे हैं और आयुक्त साधारण सभा नहीं बुला रहीं। साधारण सभा नहीं बुलाना भी पालिका नियमों के विरुद्ध है। चूंकि आयुक्त का पद नियमों से बंधा है, इसलिए आपको ही नियमों की पालना करनी है। आयुक्त के नाते साधारण सभा बुलाने की जिम्मेदारी आपकी बनती है। साधारण सभा न बुलाकर आम जनप्रतिनिधियों को उनके अधिकारों से वंचित कर रही हैं। मेयर गहलोत ने अपने नोट में लिखा है कि साधारण सभा के लिए कोई मुझे एजेंडा भी नहीं बताया है और न ही पार्षदों के प्रस्तावों के बारे में जानकारी है। एजेंडे और पार्षदों के प्रस्तावों की जानकारी दी जाए, ताकि साधारण सभा की तिथि निर्धारित हो सके।
मेयर और आयुक्त में फिर टकराव:
साधारण सभा बुलाने को लेकर मेयर और आयुक्त में एक बार फिर टकराव हो गया है। इससे पहले भी नक्शों की स्वीकृति और अन्य मुद्दों को लेकर दोनों में टकराव होता रहा है। हालात इतने खराब हैं कि एक ही भवन में बैठने के बाद भी मेयर और आयुक्त में शिष्टाचार संवाद भी नहीं होता। मेयर का आरोप है कि आयुक्त नियमों के तहत कार्य नहीं कर रही है,जिसकी वजह से नगर निगम प्रशासन के हालात बिगड़े हुए हैं। अधिकारियों और कर्मचारियों में दहशत का माहौल है, इसलिए कोई भी विरोध करने की स्थिति में नहीं है। आयुक्त के व्यवहार की वजह से निगम का सामान्य कामकाज भी प्रभावित हो रहा है।
सरकार के दिशा निर्देशों के अनुरूप कार्यवाही:
वहीं दूसरी ओर निगम के उपायुक्त गजेन्द्र सिंह रलावता का कहना है कि साधारण सभा बुलाने का निर्णय राज्य सरकार के दिशा निर्देशों के अनुरूप लिया गया है। निगम में नियमों के तहत ही काम काज हो रहा है। चूंकि 15 फरवरी से पूर्व बजट पर साधारण सभा बुलानी है, इसलिए मेयर के समक्ष प्रस्ताव रखा गया है। साधारण सभा की तिथि निर्धारित होने के बाद पार्षदों से प्रस्ताव आमंत्रित किए जाएंगे। यदि 15 फरवरी से पूर्व साधारण सभा बुलाकर बजट स्वीकृत नहीं किया गया तो फिर बजट स्वीकृति का अधिकार स्वायत्त शासन विभाग के पास चला जाएगा। साधारण सभा बुलाने का निर्णय अजमेर के नागरिकों के हित में लिया गया है। मेयर और निगम प्रशासन के अधिकारियों के बीच विभागीय कार्यवाही गोपनीय रहनी चाहिए, लेकिन इन दिनों विभागीय कार्यवाही अधिकारियों के पास पहुंचने से पहले मीडिया के पास पहुंच जाती है। निगम प्रशासन के हित में यह उचित नहीं है।
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