जायरीन की सहूलियत सर्वोपरि हो।

जायरीन की सहूलियत सर्वोपरि हो।
ख्वाजा साहब के उर्स का झंडा 25 फरवरी को चढ़ेगा।
छह दिवसीय उर्स में लाखों जायरीन जियारत के लिए आते हैं। 

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अजमेर स्थित सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के सालाना उर्स का झंडा दरगाह के बुलंद दरवाजे पर 25 फरवरी को चढ़ेगा। ख्वाजा के उर्स की तैयारियों को लेकर जिला प्रशासन ने बैठकें भी शुरू कर दी है। 20 जनवरी को ही जिला कलेक्टर विश्वमोहन शर्मा की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय बैठक हुई। इस बैठक में प्रशासनिक अधिकारियों के साथ-साथ दरगाह से जुड़ी संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया। हर वर्ष उर्स से पहले ऐसी बैठकें होती हैं और उर्स के समापन पर जायरीन की सहूलियतों का मुद्दा हमेशा छाया रहता है। आम शिकायत रहती है कि जायरीन को पर्याप्त सुविधाएं नहीं मिलीं। ख्वाजा साहब को गरीब नवाज भी कहा जाता है। उर्स में बड़ी संख्या में गरीब तबके के जायरीन अजमेर आकर जियारत करते हैं। मान्यता है कि छह दिन के उर्स के दौरान जियारत करने और दरगाह में नमाज पढऩे से तकलीफें दूर होती है। ख्वाजा साहब का करम सब पर बरसता है। यही वजह है कि उर्स में लाखों जायरीन आते हैं। जायरीन को दरगाह से कोई 10 किलोमीटर दूर बनी कायड़ विश्राम स्थली में ठहराया जाता है। एक विश्राम स्थली में लाखों जायरीन के ठहरने को लेकर प्रशासन को इंतजाम भी करने होते हैं। विश्राम स्थली पर ठहरने वाले गरीब तबके के जायरीन को बिजली, पानी रियायती दर पर भोजन परिवहन, सुरक्षा आदि की सुविधाएं मिलें, यह पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। पैसे वाले जायरीन तो दरगाह के आसपास खादिमों के गेस्ट हाउस तथा होटलों में ठहर जाते हैं, लेकिन गरीब जायरीन तो कायड़ विश्राम स्थली में ही ठहरता है। ऐसे में प्रशासन की प्राथमिकता गरीब जायरीन की सहूलियतों पर होनी चाहिए। ख्वाजा साहब की दरगाह को देश दुनिया की प्रमुख दरगाहों में से एक माना जाता है। कहा तो यह भी जाता है कि जो मुसलमान किन्हीं कारणों से हज पर नहीं जा पाता, वह ख्वाजा साहब के दर पर ही हाजरी लगाता है। दरगाह का खादिम समुदाय भी उर्स का वर्ष भर इंतजार करता है। उर्स को सम्पन्न करवाने में खादिम समुदाय की भी खास भूमिका होती है। दरगाह के अंदर सभी धार्मिक रस्में खादिम समुदाय के द्वारा ही करवाई जाती है। हालांकि केन्द्र सरकार के अधीन काम करने वाली दरगाह कमेटी भी जायरीन की सुविधाओं का ख्याल रखती है लेकिन कमेटी को केन्द्र या राज्य सरकार से कोई बजट नहीं मिलता है। जायरीन खासकर गरीब जायरीन सुकून के साथ उर्स में जियारत कर सके, इसके लिए प्रशासन को पुख्ता इंतजाम करने चाहिए।
एस.पी.मित्तल) (21-01-2020)
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