दिल्ली हिंसा पर सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई में पूर्व आईएएस हर्षमंदर का वीडियो मुद्दा बना।

दिल्ली हिंसा पर सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई में पूर्व आईएएस हर्षमंदर का वीडियो मुद्दा बना। संसद और सुप्रीम कोर्ट पर आपत्तिजनक बयान।
सोनिया गांधी की अगुवाई वाली राष्ट्रीय सलाहकार परिषद के सदस्य रहे हैं हर्षमंदर।
लगातार तीसरे दिन भी नहीं चली संसद। 

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4 मार्च को सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली हिंसा को लेकर सुनवाई हुई। यह सुनवाई पूर्व आईएएस हर्षमंदर की याचिका पर थी, जिसमें केन्द्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर, भाजपा सांसद प्रवेश वर्मा और पूर्व विधायक कपिल मिश्रा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की गई थी। सुनवाई शुरू होते ही सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि कोर्ट को याचिकाकर्ता हर्षमंदर का 16 दिसम्बर का बयान भी देखना चाहिए। इस बयान में हर्षमंदर ने सुप्रीम कोर्ट और संसद पर प्रतिकूल टिप्पणी की है। बयान में हर्ष मंदर ने कहा है कि कश्मीर और अयोध्या में मंदिर प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट ने इंसानियत और सेकुलरिज्म की रक्षा नहीं की, इसलिए संशोधित नागरिकता कानून के मुद्दे पर सड़क पर निपटा जाएगा। हर्षमंदर ने यह बयान दिल्ली की जामिया मिलिया यूनिवर्सिटी के द्वार पर दिया। कोर्ट को हर्षमंदर का यह बयान संज्ञान में लेना चाहिए। तुषार मेहता के कथन को गंभीरता से लेते हुए कोर्ट ने हर्षमंदर को अलग से नोटिस जारी कर अपने 16 दिसम्बर के बयान पर स्थिति स्पष्ट करने के लिए कहा। साथ ही अगली सुनवाई के लिए 6 मार्च की तारीख निर्धारित की। कोर्ट ने हर्षमंदर के वीडियो की स्क्रीप्ट पर तलब की है। सोशल मीडिया पर प्रसारित हर्षमंदर का वीडियो  सुप्रीम कोर्ट और संसद की अवमानना वाला तो है ही साथ भड़काऊ भी है। हर्षमंदर जो स्वयं भड़काऊ भाषण दे रहे हैं, वो ही दूसरों के बयान पर एफआईआर दर्ज करने की मांग कर रहे हैं।
सोनिया गांधी की सलाहकार टीम:
सब जानते हैं कि दस वर्ष तक देश में जब डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व में यूपीए की सरकार थी, तब सरकार से ऊपर सोनिया गांधी की अध्यक्षता में राष्ट्रीय सलाहकार परिषद बनी हुई थी। हर्षमंदर इसी परिषद के प्रभावशाली सदस्य थे। माना जाता है कि हर्षमंदर सोनिया गांधी के प्रमुख यूनिवर्सिटी के गेट पर हर्षमंदर ने अपनी सोच के अनुरूप ही भाषण दिया।
तीसरे दिन भी संसद ठप:
दिल्ली हिंसा पर चर्चा कराने की मांग को लेकर विपक्षी दलों ने चार मार्च को लगातार तीसरे दिन भी संसद को बंधक बना रखा। संसद के दोनों सदनों में विपक्ष के हंगामे के कारण कोई कामकाज नहीं हो सका। विपक्षी सांसद लगातार मांग कर रहे हैं सबसे पहले दिल्ली हिंसा पर चर्चा करवाई जाएगी। जबकि सरकार का कहना है कि होली पर्व के बाद सदन में दिल्ली हिंसा पर चर्चा करवाई जाएगी। होली से पहले चर्चा करना माहौल को खराब कर सकता है। एक ओर जब दिल्ली के हिंसा ग्रस्त क्षेत्रों में पूरी तरह शांति हो गई है तब संसद के माध्यम से आरोप प्रत्यारोप की बात नहीं होनी चाहिए। चूंकि संसद की कार्यवाही का लाइव प्रसारण होता है, इसलिए दिल्ली का माहौल बिगड़ सकता है। होली से पहले संसद की कार्यवाही छह मार्च तक चलेगी। हालांकि दोनों सदनों की कार्यवाही को पांच मार्च को 11 बजे तक के लिए स्थगित किया गया है। माना जा रहा है कि यदि पांच मार्च को भी संसद का सूचारू संचालन नहीं हो सकता तो संसद की कार्यवाही को 10 मार्च के तक के लिए स्थगित किया जा सकता है। होली के बाद 11 मार्च को संसद की कार्यवाही शुरू होगी।
(एस.पी.मित्तल) (04-03-2020)
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