पंचायतीराज के चुनाव परिणाम ने कांग्रेस के लिए सचिन पायलट का कथन सही साबित किया। 222 पंचायत समितियों में से कांग्रेस को मात्र 81 में ही बहुमत। 21 जिला परिषदों में से सिर्फ 5 में बनेंगे कांग्रेस के जिला प्रमुख। राजस्थान में 17 दिसम्बर को हो रहे हैं अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार को दो वर्ष। जश्न फीका रहेगा।

राजस्थान में अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार को 17 दिसम्बर को दो वर्ष पूरे होने जा रहे हैं। दो वर्ष का कार्यकाल पूरा होने पर सरकार और कांग्रेस संगठन जश्न मनाने की तैयारियां की हैं। सरकार की उपलब्धियों को गिनाने की योजना भी है। लेकिन पंचायतीराज के चुनाव परिणामों ने मुख्यमंत्री मंत्रियों और प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के मंसूबों पर पानी फेर दिया है। 21 जिलों की 222 पंचायत समितियों में से मात्र 81 में ही कांग्रेस को बहुमत मिला है। इसी प्रकार 21 जिला परिषदों में से सिर्फ 5 में ही कांग्रेस के जिला प्रमुख बन पाएंगे। पंचायतीराज के चुनाव में सत्तारुढ़ कांग्रेस को तगड़ा झटका लगा है। सचिन पायलट ने प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष और डिप्टी सीएम के पद पर रहते हुए कई बार कहा कि सरकार को जनता से किए वायदे पूरे करने चाहिए। यदि हमने वायदे पूरे नहीं किए तो फिर जनता की नाराजगी का सामना करना पड़ेगा। पायलट ने कहा था कि गत विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस ने जो वायदे किए थे उन्हें पूरा नहीं किया जा रहा है। पायलट अपनी मांगों को लेकर कांग्रेस के 18 विधायकों के साथ दिल्ली भी गए, लेकिन मांगों के पूरा होने के बजाए पायलट को ही डिप्टी सीएम और प्रदेशाध्यक्ष के पद से बर्खास्त कर दिया। पायलट की बर्ख़ास्तगी के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा की ओर से कहा कि चुनाव में जो वायदे किए गए थे, उनमें 75 प्रतिशत वायदे पूरे कर दिए गए हैं, लेकिन अब पंचायतीराज के चुनाव परिणाम बताते हैं कि सचिन पायलट का कथन सही है। यदि चुनावी वायदू पूरे किए जाते तो आज कांग्रेस की यह हालत नहीं होती। गहलोत और डोटासरा माने या नहीं, लेकिन सचिन पायलट को जिस तरह दरकिनार किया गया है, उसका ख़ामियाज़ा भी पंचायतीराज के चुनाव में कांग्रेस ने भुगता है। सीएम की कुर्सी पर रहते हुए अशोक गहलोत ने सचिन पायलट को गद्दार, धोखेबाज़, मक्कर, नकारा तक कहा। ऐसे गाली-गलौज वाले शब्द पायलट के समर्थकों को हमेशा चुभते हैं, क्योंकि गहलोत ने इन शब्दों के लिए अभी तक भी खेद प्रकट नहीं किया हे। सब जानते हैं कि वर्ष 2009 से 2013 तक अशोक गहलोत ही राजस्थान के मुख्यमंत्री थे। गहलोत ने जिस तरह से शासन किया, उसी का नतीजा रहा कि विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस को मात्र 21 सीटें मिी। 200 में से 21 सीटें मिलने से कांग्रेस की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। राजस्थान में कांग्रेस की ऐसी स्थिति करने के बाद गहलोत तो राष्ट्रीय राजनीति में सक्रिय हो गए और राजस्थान की कमान पायलट को सौंप दी गई। भाजपा शासन में पायलट ने लगातार संघर्ष किया और दिसम्बर 2018 के चुनाव कांग्रेस को बहुमत मिल गया। पायलट को उम्मीद थी कि कांग्रेस आला कमान उन्हें ही मुख्यमंत्री बनाएगा, लेकिन पायलट के हक को छीन कर गहलोत को मुख्यमंत्री बनाया गया। पंचायतीराज के ताजा परिणाम बताते हें कि राजस्थान में कांग्रेस 2013 वाली स्थिति में पहुंच रही है। हालांकि पंचायतीराज चुनाव के परिणाम पर अभी पायलट की कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है, लेकिन पायलट का कथन सही साबित हो रहा है। 

S.P.MITTAL BLOGGER (09-12-2020)

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