इसे कहते हैं सत्ता का दंभ। 50 में से 14 निकायों में बहुमत मिला, लेकिन फिर भी कांग्रेस का 40 निकायों में अपना बोर्ड बनाने का दावा। राजस्थान में टिकटों के गलत वितरण ने भाजपा को पीछे किया। सिर्फ 4 निकायों में ही मिला बहुमत।
राजस्थान में 13 दिसम्बर को 43 नगर पालिकाओं और 7 नगर परिषदों के 1775 वार्डों के परिणाम घोषित हुए। इन परिणामों में 50 निकायों में से कांग्रेस को 14 निकायों में बहुमत मिला है, लेकिन परिणाम घोषणा के तुरंत बाद प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि कांग्रेस के 40 निकायों में बोर्ड बनेंगे। असल में 50 में से 32 निकायों में कांग्रेस और भाजपा दोनों को ही बहुत नहीं मिला है। बोर्ड बनाने की चाबी निर्दलीयों के पास है। चूंकि राजस्थान में अशोक गहलोत के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार है, इसलिए बोर्ड बनाने की प्रक्रिया में सत्ता का प्रभाव काम में आएगा। निर्दलीय पार्षदों को किस तरह से कांग्रेस के पाले में लाया जाता है, यह डोटासरा को अच्छी तरह पता है। मतदाताओं ने भले ही चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार को हरा दिया हो, लेकिन निर्दलीय पार्षदों के दम पर कांग्रेस का बोर्ड बनाकर डोटासरा यह दिखाएंगे कि उनके नेतृत्व में कांग्रेस मजबूत हो रही है। कांग्रेस यदि 50 में 40 निकायों में अपना बोर्ड बनाती है तो यह डोटासरा के नेतृत्व को मजबूत करेगा। लेकिन डोटासरा अपने दावे को तभी सफल बना सकते हैं, जब कांग्रेस की सरकार हो। यदि 40 निकायों में कांग्रेस बोर्ड बनता है तो कांग्रेस के अंदर डोटासरा का बचाव होगा। हाल में 21 जिलों में हुए पंचायतीराज के चुनाव में भाजपा के मुकाबले कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा था। भाजपा ने ग्रामीण क्षेत्रों मे तब जीत दर्ज की, जब दिल्ली के बाहर बड़े स्तर पर किसानों का प्रदर्शन हो रहा है।निकाय चुनाव में भाजपा पिछड़ी:पंचायतीराज चुनाव में भाजपा को सिर्फ चार निकायों में ही बहुमत मिला है, जबकि वर्ष 2015 में हुए इन 50 निकायों के चुनाव में भाजपा को 34 निकायों में बहुमत मिला था। यह बात अलग है कि इस बार 50 में से 32 निकायों मे निर्दलीय उम्मीदवारों ने बाजी मारी है। भाजपा की हार का मुख्य कारण टिकटों का गलत वितरण बताया जा रहा है। निकाय के वार्ड स्तर के चुनाव में उम्मीदवार की व्यक्तिगत प्रतिष्ठा को देखा जाता है। मात्र चार निकायों में बहुमत मिलने से प्रतीत होता है कि भाजपा ने उम्मीदवारों का चयन सही ढंग से नहीं किया। जब ग्रामीण क्षेत्रों में भाजपा उम्मीदवार जीत सकते हैं, तब शहर में क्यों नहीं? निकाय चुनाव परिणाम पर प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा है कि भाजपा और निर्दलीय उम्मीदवारों को जोड़ लिया जाए तो शहरी मतदाताओं ने भी कांग्रेस के खिलाफ वोट दिया है। 1775 वार्डों में से कांग्रेस ने सिर्फ 620 वार्डों में जीत दर्ज की है, जबकि निर्दलीयों ने 595 तथा भाजपा 548 में जीत दर्ज की है। यानि कांग्रेस के 620 पार्षदों के मुकाबले निर्दलीय और भाजपा पार्षदों की संख्या एक हजार 143 है। S.P.MITTAL BLOGGER (14-12-2020)Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogBlog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9509707595To Contact- 9829071511