तो अब अशोक गहलोत, सचिन पायलट से आमने-सामने बात करना भी नहीं चाहते। पायलट से बात करने के लिए कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा को जिम्मेदारी दी।

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत 19 दिसम्बर को दिनभर दिल्ली में रहे। गहलोत ने कांगे्रस की राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी के निवास पर हुई दिग्गज नेताओं की बैठक में भाग लिया। इस बीच मीडिया में खबर आई कि प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा भी दिल्ली पहुंच रहे हैं। कहा गया कि अब राजस्थान में मंत्रिमंडल विस्तार, राजनीतिक नियुक्तियां तथा संगठन के पुनर्गठन को लेकर गहलोत, पायलट, डोटासरा और प्रभारी महासचिव अजय माकन के साथ विचार विमर्श होगा, लेकिन 19 दिसम्बर की शाम को जब डोटासरा दिल्ली पहुंचे तो अशोक गहलोत जयपुर लौट आए। अब डोटासरा और अजय माकन के बीच ही विचार विमर्श हो रहा है। हो सकता है इस विचार विमर्श में सचिन पायलट भी शामिल हों। यानि पायलट के साथ गहलोत का बैठना मुश्किल नजर आ रहा है। यहां यह उल्लेखनीय है कि गत 12 अगस्त के बाद गहलोत और पायलट की आमने-सामने वाली कोई मुलाकात नहीं हुई। पायलट जब अपने समर्थक विधायकों के साथ दिल्ली से आए थे, तभी जयपुर में सीएमआर गहलोत से मिलने गए थे। इसके बाद ऐसा कोई मौका नहीं आया, जब दोनों नेता एक साथ बैठे हो। इससे पहले भी जयपुर में डोटासरा ने ही पायलट के घर जाकर प्रदेश संगठन के पुनर्गठन पर विचार किया था। दिल्ली में भी डोटासरा ही प्रदेश प्रभारी माकन से मुलाकात कर रहे हैं। जानकार सूत्रों के अनुसार गहलोत की ओर से डोटासरा को सिर्फ संगठन के पदाधिकारी तय करने का अधिकार दिया गया है। जहां तक मंत्रिमंडल विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियों का सवाल है तो गहलोत अपने नज़रिए से ही करेंगे। इसमें कोई दो राय नहीं कि कांग्रेस में अशोक गहलोत की भूमिका काफी महत्वपूर्ण हो गई है। 19 दिसम्बर को भी दिग्गज कांगे्रसियों की बैठक में गहलोत अकेले कांग्रेस शासित राज्य के मुख्यमंत्री थे। बैठक में गहलोत ने भी अपने विचार रखे। बैठक शुरू होने से पहले ही पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता और महासचिव रणदीप सुरेजवाला ने राहुल गांधी को लेकर जो ट्वीट किया, उसे भी गहलोत की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। सुरजेवाला ने कहा था कि 99 प्रतिशत कांग्रेसी चाहते हैं कि राहुल गांधी ही कांग्रेस के अध्यक्ष बने। एक तरह से सुरजेवाला ने अध्यक्ष पद के लिए राहुल गांधी का नाम प्रस्तावित कर दिया। अब राहुल गांधी ने भी कहा है कि पार्टी जो जिम्मेदारी देगी, उसे निभाऊंगा। यानि जनवरी में राहुल गांधी ही कांग्रेस के पूर्णकालीक अध्यक्ष बनेंगे। राहुल गांधी की सहमति के बाद राजस्थान में भी कई अटकलों को विराम लग गया है, क्योंकि राहुल गांधी के बाद कांग्रेस का अध्यक्ष बनने के लिए सबकी जुबान पर अशोक गहलोत का नाम ही आता है। हालांकि राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने से गहलोत पहले ही इंकार कर चुके हैं। गहलोत की रुचि प्रदेश का मुख्यमंत्री बने रहने में ही हैं। अब देखना है कि सचिन पायलट के कितने समर्थकों को संगठन और सरकार में एडजस्ट किया जाता है। 
S.P.MITTAL BLOGGER (20-12-2020)
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