उच्च शिक्षा मंत्री भंवर सिंह भाटी और तकनीकी शिक्षा मंत्री सुभाष गर्ग की आपसी खींचतान से राजस्थान के कॉलेज शिक्षकों का बुरा हाल। सुभाष गर्ग ने सीएमओ में बढ़ते अपने प्रभाव से 140 शिक्षकों की तबादला सूची पर रोक लगवाई। रोक लगवाने में आरएसएस और भ्रष्टाचार को आगे खड़ा किया?
उच्च शिक्षा मंत्री भंवर सिंह भाटी और तकनीकी शिक्षा मंत्री सुभाष गर्ग की आपसी खींचतान से राजस्थान के कॉलेज शिक्षकों का बुरा हाल है। हालांकि उच्च शिक्षा विभाग की कमान भाटी के पास ही है, लेकिन इस विभाग में सुभाष गर्ग का दखल ज्यादा है। यही वजह रही कि 31 दिसम्बर को कॉलेज शिक्षा के 140 शिक्षकों की जो तबादला सूची जारी हुई उस पर दो जनवरी को रोक लगा दी गई। जानकार सूत्रों के अनुसार यह सुभाष गर्ग ने अपने प्रभाव से सीएमओ से लगवाई। इस रोक से पहले सुभाष गर्ग ने राजस्थान यूनिवर्सिटी एंड कॉलेज टीचर्स एसोसिएशन (रुक्टा) के महामंत्री विजय कुमार से एक बयान दिलवाया। इस बयान में आरोप लगाया गया कि 140 शिक्षकों की तबादला सूची को जारी करने में भ्रष्टाचार हुआ है तथा इस सूची में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े शिक्षक शामिल हैं। बयान में यह भी कहा गया कि एक ओर कांग्रेस के नेता राहुल गांधी संघ से लड़ रहे हैं तो दूसरी ओर राजस्थान में कांग्रेस का नेतृत्व संघ से जुड़े शिक्षकों को उपकृत कर रहा है। सूत्रों की माने तो रुक्टा के महामंत्री का बयान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तक पहुंचया गया। एक शिक्षक नेता के बयान को मुख्यमंत्री तक पहुंचाने में सुभाष गर्ग की ही भूमिका रही। यहां यह खासतौर से उल्लेखनीय है कि सुभाष गर्ग कांग्रेस के विधायक नहीं है। गर्ग आरएलडी के विधायक हैं और कांग्रेस की राजनीति में गर्ग सीएम गहलोत के साथ चिपके हुए हैं। यह बात अपने आप में गंभीर है कि शिक्षकों की तबादला सूची में भ्रष्टाचार के आरोप सुभाष गर्ग के समर्थित संगठन रुक्टा ने ही लगाए। जहां तक संघ से जुड़े शिक्षकों के तबादलों का सवाल है तो राजस्थान में कॉलेज शिक्षा के 480 शिक्षक हैं और इनमें से 450 शिक्षक रुक्टा (राष्ट्रीय) से जुड़े हुए हैं। रुक्टा (राष्ट्रीय) को ही संघ का समर्थक माना जाता है। इसी रुक्टा (राष्ट्रीय) ने पिछले भाजपा शासन में शिक्षकों की मांगों को लेकर प्रदेशभर में आंदोलन चलाया था। कोई भी सरकार जब तबादला सूची निकालेगी तो रुक्टा (राष्ट्रीय) से जुड़े शिक्षकों के नाम आएंगे ही। आमतौर पर सत्ता परिवर्तन के साथ शिक्षकों के तबादले होते ही हैं। यही वजह रही कि रुक्टा (राष्ट्रीय) के अधिकांश पदाधिकारियों के तबादले किए गए। प्रदेशाध्यक्ष दिग्विजय सिंह को तो गत 13 माह से तनख्वाह भी नहीं दी जा रही है। नारायण लाल गुप्ता को डूंगरपुर और सुशील कुमार बिस्सू को कुशलगढ़ कॉलेज में तैनात कर रख है। लेकिन सब जानते हैं कि सरकारी कार्मिक सत्तारूढ़ पार्टी के नेताओं विधायकों मंत्रियों से एप्रोच लगवाकर वापस अपने इच्छित स्थान पर आ जाते हैं। यह एक सामान्य प्रक्रिया है। कांग्रेस की राजनीति से जुड़े अनेक शिक्षक नेताओं ने भाजपा के शासन में मंत्री काली चरण सराफ से सिफारिश कर इच्छित स्थान पर नियुक्ति पाई। भाजपा के शासन में वामपंथी विचारधारा के शिक्षक भी किसी न किसी से अजमेर या अपने पसंदीदा कॉलेज में जमे रहे। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तो कई बार कह चुके हैं कि उनकी सरकार बदले की भावना से कोई काम नहीं करती है। ऐसे में सवाल उठता है कि रुक्टा राष्ट्रीय के पदाधिकारियों के नाम लेकर 140 शिक्षकों की तबादला सूची क्यों रुकवाई गई? तकनीकी शिक्षा मंत्री सुभाष गर्ग की अपनी राजनीति हो सकती है, लेकिन इससे प्रदेशभर के कॉलेज शिक्षकों पर बुरा असर पड़ रहा है। राजनीतिक स्वार्थों के खातिर एक मंत्री दूसरे मंत्री पर गंभीर आरोप लगा रहे हैं। 140 शिक्षकों की तबादला सूची पर रोक लगाने को लेकर उच्च शिक्षा मंत्री भंवर सिंह भाटी की कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है, लेकिन सुभाष गर्ग के दखल से भाटी भी आहत हैं। इस संबंध में भाटी ने सीएम गहलोत से मिलने का समय मांगा है।
S.P.MITTAL BLOGGER (04-01-2021)
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