ममता बनर्जी का अब सीमा की सुरक्षा करने वाले जवानों पर हमला। आखिर पश्चिम बंगाल में कश्मीर जैसे हालात क्यों उत्पन्न किए जा रहे हैं। पश्चिम बंगाल में पहले राज्य पुलिस के हालात बदलने की जरुरत। पुलिस के संरक्षण में हिंसा।

देश की सुरक्षा के लिहाज से पश्चिम बंगाल के हालात बेहद खराब हैं। बंगाल में इसी वर्ष मई में विधानसभा के चुनाव होने हैं। टीएमसी की नेता और मौजूदा सीएम हर हालात में लगातार तीसरी बार चुनाव जीतना चाहती हैं। ममता के भरोसेमंद मंत्री फिरहाद हाकिम ने आरोप लगाया है कि बीएसएफ़ के जवान भाजपा को वोट डालने के लिए दबाव बना रहे हैं। इस गंभीर आरोप के बाद बीएसएफ़ को सफाई देनी पड़ी है। बीएसएफ़ के अधिकारियों ने आरोपों को गलत बताया है। सब जानते हैं कि पश्चिम बंगाल की सीमा बांग्लादेश, भूटान आदि देशों में लगी हुई है और इन सीमाओं की रक्षा करने की जिम्मेदारी बीएसएफ़ के जवानों की ही है। हमारे जवान किन विपरीत परिस्थितियों में सीमाओं की रक्षा करते हैं यह भी सबको पता है। यदि हमारे जवान रक्षा में कौताही बरते तो ममता बनर्जी जैसे राजनेता सुरक्षित नहीं रह पाएं। सुरक्षा बलों को राजनीति से कोई सरोकार नहीं होता है। लेकिन जिस तरह बीएसएफ़ पर आरोप लगाए गए, उससे प्रतीत होता है कि टीएमसी के नेता पश्चिम बंगाल में कश्मीर जैसे हालात उत्पन्न कर रहे हैं। कश्मीर में भी शुरू में सुरक्षा बलों पर आरोप लगए गए थे। लेकिन अनुच्छेद 370 के हटने के बाद पता चल रहा है कि कश्मीर के राजनेताओं ने सत्ता का कितना दुरुपयोग किया। पश्चिम बंगाल की पुलिस किस नजरिए से काम कर रही है, इसे पूरा देश देख रहा है। चुनाव से पहले बंगाल में लगातार हिंसा हो रही है। भाजपा के कार्यकर्ताओं को लगातार मौत के घाट उतारा जा रहा है। भाजपा के नेताओं को केन्द्रीय सुरक्षा बलों का संरक्षण लेना पड़ रहा है। ऐसे बीएसएफ़ पर आरोप लगाना उचित नहीं है। यह आरोप सिर्फ दबाव बनाने के लिए लगाया जा रहा है। ममता बनर्जी लोकतांत्रिक प्रक्रिया के तहत मुख्यमंत्री बनी हैं,इसलिए उन्हें पश्चिम बंगाल को अपनी जागीर नहीं समझना चाहिए। अब यदि बंगाल की जनता ममता से नाराज़ है तो उन्हें जनता की नाराज़गी का गुस्सा बीएसएफ़ पर नहीं उतारना चाहिए। बीएसएफ़ के जवान तो सीमा की सुरक्षा करने के लिए है। बंगाल में चुनाव से पहले जो घुसपैठ होती है उसे बीएसएफ़ शायद इस बार नहीं होने दे। पश्चिम बंगाल में पहले ही बड़ी संख्या में बंग्लादेशियों की घुसपैठ हो रही है। ममता बनर्जी को बीएसएफ़ पर अंगुली उठाने से पहले अपनी पुलिस के हालातों को सुधारना चाहिए। बंगाल की पुलिस एकतरफा होकर काम कर रही है। पुलिस का पूरी तरह राजनीतिकरण हो चुका है। इस संबंध में राज्यपाल जगदीप धनकड़ ने भी समय समय पर केन्द्र सरकार को रिपोर्ट भेजी है। 

S.P.MITTAL BLOGGER (22-01-2021)

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