कोरोना की वजह से न सीकर में खाटूश्याम का फाल्गुनी मेला भरेगा न अजमेर में ख्वाजा साहब उर्स का मेला। मेला अवधि में 14 से 26 मार्च तक बंद रहेगा खटूश्याम का मंदिर। जबकि अजमेर में उर्स के दौरान भीड़ को एकत्रित नहीं होने दिया जाएगा। अजमेर और सीकर का प्रशासन दोनों धार्मिक स्थल पर कोविड-19 की गाइड लाइन का पालना करवाएगा।

कोरोना संक्रमण का प्रभाव कम होने पर सरकार ने भले ही सबकुछ खोल दिया हो, लेकिन राजस्थान में अभी भी धार्मिक स्थलों पर मेले भरने पर रोक लगी हुई है, यही वजह है कि फरवरी में अजमेर में भरने वाले उर्स मेले और मार्च में सीकर के खाटू में भरने वाले श्याम बाबा के फाल्गुनी मेले पर असर पड़ा है। अजमेर और सीकर के प्रशासन ने मेला अवधि में कोविड-19 की गाइड लाइन को लागू किया है। सीकर के खाटू में श्याम बाबा के मंदिर में प्रति वर्ष हिन्दू माह फाल्गुन में फाल्गुनी लक्खी मेला भरता है, इसमें 20 लाख से भी ज्यादा श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। इतनी बड़ी संख्या को देखते हुए प्रशासन ने अब निर्णय लिया है कि मेला अवधि में 14 से 26 मार्च तक मंदिर बंद रहेगा, यहां तक कि ऑनलाइन दर्शन भी नहीं होंगे। मंदिर के 350 साल के इतिहास में यह पहला अवसर है, जब फाल्गुनी मेले के अवसर पर मंदिर को बंद रखा जा रहा है। प्रशासन ने श्याम बाबा के भक्तों से अपील की है कि वे इस बार फाल्गुनी मेले में नहीं आएं। मंदिर बंद करने का निर्णय लेकर प्रशासन ने अपना सख्त रवैया पहले ही दर्शा दिया है। हालांकि अभी सामान्य दिनों में ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के आधार पर मंदिर में दर्शन करवाए जा रहे हैं। लेकिन उस में भी प्रतिमाह एकादशी और बारस के दिन मंदिर को बंद रखा जा रहा है। एकादशी और बारस पर खाटूश्याम के दर्शन का धार्मिक महत्व है, प्रतिमाह एकादशी और बारस पर भी एक लाख से ज्यादा श्रद्धालु खाटू में एकत्रित होते हैं, इसलिए कोरोना काल में इन दोनों दिन मंदिर को बंद रखा गया है। फाल्गुनी मेले की अवधि में मंदिर बंद होने से श्रद्धालुओं को निराशा हुई है।अजमेर में भी नहीं भरेगा उर्स का मेला:मुस्लिम माह रज़ब की पहली तारीख से लेकर छह तारीख तक अजमेर में सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती का सालाना उर्स मनाया जाता है। चाँद दिखने पर अंग्रेजी तारीख के हिसाब से ख्वाजा उर्स 12 फरवरी से शुरू होगा। उर्स में शरीक होने के लिए लाखों जायरीन देशभर से अजमेर आते हैं। लेकिन इस बार उर्स के अवसर पर मेला भराने की प्रशासन ने इंकार कर दिया है। हालांकि छह दिवसीय उर्स की अवधि में ख्वाजा साहब की दरगाह में सभी धार्मिक रस्में होंगी और जायरीन जियारत भी कर सकेगा। लेकिन भीड़ को एकत्रित नहीं होने दिया जाएगा। जिला प्रशासन ने दरगाह के खादिमों से भी गुज़ारिश की है कि उर्स में आने वाले जायरीन को रोका जाए। उर्स के मौके पर प्रशासन की ओर से प्रति वर्ष जयपुर रोड स्थित कायड़ विश्राम स्थली पर इंतजाम किए जाते हैं। लेकिन इस बार प्रशासन विश्राम स्थली पर कोई इंतजाम नहीं करेगा। खादिमों की प्रतिनिधि संस्था अंजुमन सैय्यद जादगान के सचिव वाहिद हुसैन अंगाराशाह ने भी उर्स के मौके पर आने वाले जायरीन से कोविड-19 के नियमों का पालन करने का आग्रह किया है। उन्होंने बच्चों और बुजुर्गों से उर्स में नहीं आने की अपील की है। अंगाराशाह ने माना कि कोरोना संक्रमण की वजह से दरगाह में जायरीन की आवक कम है,इसलिए खादिम समुदाय को लेकर अजमेर के व्यापारियों को भी आर्थिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि उर्स मेले को लेकर प्रशासन ने जो दिशा निर्देश दिए हैं उनका पूरी तरह पालन किया जाएगा। S.P.MITTAL BLOGGER (30-01-2021)Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogFollow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11Blog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9509707595To Contact- 9829071511

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