संघ समर्थक भारतीय मजदूर संघ भी निजीकरण के पक्ष में नहीं है। सरकार की नीतियों और लालफीताशाही की वजह से घाटे में चलते हैं सरकारी संस्थान। मजदूर संघ के दो दिवसीय प्रदेश सम्मेलन में राष्ट्रीय संगठन मंत्री बी सुरेंद्रन भी मौजूद रहे। 5 मई को जयपुर में प्रदेशभर के विद्युत श्रमिक प्रदर्शन करेंगे।

7 मार्च को अजमेर में भारतीय मजदूर संघ का दो दिवसीय प्रदेश सम्मेलन सम्पन्न हो गया। सम्मेलन में दोनों दिन मजदूर संघ के राष्ट्रीय संगठन मंत्री और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक बी सुरेन्द्रन भी उपस्थित रहे। इस अवसर पर 7 मार्च को बी सुरेन्द्रन से मेरा राष्ट्रीय मुद्दों पर संवाद हुआ। सुरेन्द्रन ने कहा कि जब कोई सरकारी संस्थान घाटे में चलता है तो उसके लिए श्रमिकों को जिम्मेदार ठहरा दिया जाता है, जबकि घाटे का कारण सरकार की नीतियां और लालफीताशाही होती है। सरकार यदि श्रमिकों के हितों का ध्यान रखते हुए नीतियां बनाए तो कोई भी सरकारी संस्थान घाटे में नहीं जा सकता। सुरेन्द्रन ने कहा कि रेलवे, एयरपोर्ट बीएसएनएल आदि संस्थानों का तेजी से निजीकरण कर रही है। सरकार की यह नीति देश हित में नहीं है। इससे बेरोजगारी बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि भारतीय मजदूर संघ विदेशी निवेश के विरुद्ध नहीं है, लेकिन ऐसा निवेश तकनीक के लिए होना चाहिए। बहुराष्ट्रीय कंपनियां संस्थानों का मशीनीकरण कर भारत के युवाओं को बेरोजगार कर रही है। सरकार की नीतियों के खिलाफ भारतीय मजदूर संघ समय समय पर आंदोलन करता रहता है, लेकिन सुरेन्द्रन ने देश में डिजिटल तकनीक क्रांति की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर देशभर में डिजिटल तकनीक को बढ़ावा दिया गया है। इसका फायदा श्रमिकों खासकर असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए केन्द्र सरकार ने अनेक कल्याणकारी योजनाएं शुरू कर रखी है। मजदूर संघ से जुड़े श्रमिकों को डिजिटल तकनीक के प्रति जागरूक किया जा रहा है। आजकल हर श्रमिक एंड्रॉयड फोन रखता है और घर की महिलाएं ऑनलाइन प्लेटफार्म पर फिल्में और धारावाहिक देखती हैं। समाज का हर वर्ग डिजिटल तकनीक का उपयोग करने लगा है। भारतीय मजदूर संघ संगठनात्मक दृष्टि से भी डिजिटल तकनीक का उपयोग कर रहा है। संघ की नीतियों के बारे में तो सदस्यों को अवगत कराया ही जा रहा है, साथ ही बैठकें भी ऑनलाइन होने लगी हैं। पदाधिकारियों से कहा गया है कि प्रदेश और जिला स्तर की बैठकें ऑनलाइन करें। जहां तक तीन कृषि कानूनों का सवाल है तो किसानों का एक वर्ग ही दिल्ली की सीमाओं पर बैठा है। सरकार ने सभी शंकाएं समाप्त कर दी हैं। उनका मानना है कि इन कानूनों से किसान और उपभोक्ता के बीच के मध्यस्थों की श्रृंखला समाप्त होगी। मौजूदा व्यवस्था में किसान और उपभोक्ता के बीच दलालों की श्रृंखला है जो किसान उसकी मेहनत का लाभ नहीं लेने देती। आज देश के कृषि क्षेत्रों को तकनीक और खुले बाजार की जरूरत है। इन सबको ध्यान में रखते हुए कृषि कानून बनाए गए हैं। किसानों का ख्याल रखते हुए सरकार को न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी भी देनी चाहिए।

5 मई को जयपुर में प्रदर्शन:

मजदूर संघ के जिलाध्यक्ष विनीत कुमार जैन ने बताया कि प्रदेशभर के विद्युत श्रमिक 5 मई को जयपुर में विरोध प्रदर्शन करेंगे। राजस्थान में भी विद्युत निगमों में निजीकरण को बढ़ावा दिया जा रहा है। कई शहरों में विद्युत वितरण का काम निजी कंपनियों को दे दिया गया है। जबकि निगमों में अधिकांश कार्य ठेके पर करवाया जा रहा है। संघ के प्रदेश प्रभारी भोलानाथ आचार्य ने बताया कि प्रदेश सम्मेलन में संगठन को मजबूत बनाने जैसे कार्य करने का निर्णय हुए हैं। सम्मेलन की व्यवस्था के लिए अजमेर इकाई का आभार प्रकट किया गया। 

S.P.MITTAL BLOGGER (07-03-2021)

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