फोन टैपिंग के मामले को लेकर राजस्थान विधानसभा में हंगामा। भाजपा विधायकों ने कांग्रेस सरकार को कटघरे में खड़ा किया। विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी की तल्ख टिप्पणी।

गत वर्ष जुलाई-अगस्त में हुए राजनीतिक संकट के समय राजस्थान के सांसदों, विधायकों और भाजपा से जुड़े नेताओं के कथित तौर पर फोन टेप करने के मामले में 16 मार्च को राजस्थान विधानसभा में जोरदार हंगामा हुआ। इस हंगामे की वजह से कई बार विधानसभा को स्थगित करना पड़ा। प्रश्न काल के बाद फोन टैपिंग के मामले को प्रतिपक्ष के नेता गुलाब चंद कटारिया ने उठाया। कटारिया ने कहा कि गत वर्ष जुलाई-अगस्त में जब कांग्रेस में आंतरिक विवाद हुआ तब विधायकों के फोन टेप करने के आरोप लगे थे। लेकिन सरकार के मुख्य सचेतक ने साफ कहा कि किसी विधायक का फोन टेप नहीं किया गया है। लेकिन 15 मार्च को भाजपा विधायक कालीचरण सराफ के सवाल के जवाब में सरकार ने माना कि लोक सुरक्षा के मद्देनजर फोन टेपिंग हुई है, और उसके लिए नियमों के अंर्गत गृह विभाग से अनुमति ली गई है। सरकार के इस जवाब से जाहिर है कि जुलाई अगस्त में सांसदों, विधायकों आदि के फोन टेप किए गए। यह सरकार का दोहरा चरित्र उजागर करता है। अब हम यह जानना चाहते हैं कि आखिर सरकार ने राजनीतिक संकट के समय किन किन व्यक्तियों के फोन टेप कराए। आमतौर पर किसी अपराधी को पकडऩे के लिए फोन टेप करवाए जाते हैं, लेकिन राजस्थान में जनप्रतिनिधियों के फोन टेप कराए गए। भाजपा के विधायकों ने स्थगन प्रस्ताव रख कर फोन टैपिंग के मामले में चर्चा कराने की मांग की। लेकिन अध्यक्ष सीपी जोशी ने स्थगन प्रस्ताव को खारिज करते चर्चा करवाने से इंकार कर दिया। जोशी का कहना रहा कि सदस्य जो सवाल पूछा था, उसका जवाब सरकार ने दे दिया है, इसलिए अब चर्चा की कोई जरूरत नहीं है। विधानसभा की कार्यवाही अपने पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार ही चलेगी। अध्यक्ष के इस निर्णय के बाद भाजपा के विधायक वेल में आकर नारेबाजी करने लगे। विधायकों की नारेबाजी पर अध्यक्ष जोशी ने तल्ख टिप्पणी की। जोशी ने कहा कि आप लोग संसदीय इतिहास में काला अध्यय डाल रहे हैं, यह संसदीय परंपराओं का चरित्र हनन है। उन्होंने कहा कि जब अध्यक्ष ने अपना निर्णय दे दिया है, तो इस मामले में किसी भी सदस्य को बोलने का अधिकार नहीं है। अध्यक्ष की तल्ख टिप्पणी के बाद भी जब विधायकों की नारेबाजी जारी रही तो अध्यक्ष को विधानसभा की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी।एफआईआर भी दर्ज हुई थी:गत वर्ष जुलाई माह में जब सचिन पायलट के नेतृत्व में कांग्रेस के 18 विधायक दिल्ली चले गए थे, तब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आरोप लगाया था कि उनकी सरकार गिराने की साजिश हो रही है। तब देशद्रोह के आरोप को लेकर एक एफआईआर भी दर्ज की गई। कहा जा रहा है कि इस एफआईआर के आधार पर ही नेताओं के फोन टेप किए गए। इसमें केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री और जोधपुर के सांसद गजेन्द्र सिंह शेखावत का फोन टैपिंग का मामला भी चर्चित रहा। तब गहलोत का आरोप रहा कि भाजपा के नेता कांग्रेस के विधायकों को 35-35 करोड़ रुपए में खरीद रहे हैं। गहलोत ने यह भी दावा किया कि खरीद फरोख्त के सबूत सरकार के पास हैं। इस मामले में तब तीन-चार व्यक्ति की गिरफ्तारी भी हुई थी। विधायकां के फोन टेपिंग की खबर को प्रकाशित करने और आगे बढ़ाने के आरोप में गहलोत सरकार ने आज तक न्यूज चैनल के संवाददाता शरद कुमार और सचिन पायलट के मीडिया सलाहकार लोकेन्द्र सिंह के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज किया। लोकेन्द्र सिंह को तो गिरफ्तार से बचने के लिए हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत करवानी पड़ी। हालांकि बाद में इस मुकदमे को वापस ले लिया गया। S.P.MITTAL BLOGGER (16-03-2021)Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogFollow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11Blog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9602016852To Contact- 9829071511

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