विधानसभा में भाजपा विधायक वासुदेव देवनानी पर भारी पड़े चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा। सरकारी अस्पतालों में नवजात शिशुओं की मौत का मामला। देश के टॉप टेन राज्यों में राजस्थान नहीं।
16 मार्च को राजस्थान विधानसभा में प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में नवजात शिशुओं की मौत का मामला उठा। आरोप प्रत्यारोपों के दौरान प्रदेश के चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा भाजपा के वरिष्ठ विधायक और पूर्व मंत्री वासुदेव देवनानी पर भारी पड़े। रघु और देवनानी दोनों ही अजमेर जिले के विधायक हैं, इसलिए बहस कुछ ज्यादा ही रौचक रही। देवनानी ने एक सवाल के जरिए पूछा था कि गत दो वर्षों (कांग्रेस के शासन काल में) प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में कितने नवजात शिशुओं की मौतें हुई हैं? इस सवाल का जवाब चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा ने लिखित में दिया। देवनानी ने कहा कि सरकार ने अपने जवाब में हजारों शिशुओं की मौत स्वीकारी है तो फिर सरकार मृत्यु दर को कम करने की कार्यवाही क्यों नहीं करती? देवनानी सरकार पर और आरोप लगा ही रहे थे कि चिकित्सा मंत्री ने सदन में वर्ष 2017 और 2018 (भाजपा शासन के दो वर्ष) के आंकड़े रख दिए। रघु ने साफ कहा कि कांग्रेस के मुकाबले में भाजपा शासन में सरकारी अस्पतालों में शिशुओं की ज्यादा मौतें हुई है। रघु ने देवनानी को जिलावार आंकड़ों का तुलनात्मक अध्ययन करने की भी सलाह दी। रघु के जवाबों से साफ लग रहा था कि वे शिशुओं की मौतों के मामले में पूरी तैयारी करके आए हैं। यही वजह रही कि जब रघु ने भाजपा शासन में हुई मौतों के आंकड़े जिलेवार प्रस्तुत किए तो देवनानी को चुप बैठना पड़ा। रघु ने कहा कि जन्म के बाद शिशुओं की मौत के कई यूनिवर्सल कारण होते हैं, जिनमें मस्तिष्क का बुखार, श्वास नली में गदंगी, शरीर में ऑक्सीजन की कमी आदि प्रमुख है। इन कारणों से शिशुओं की मृत्यु होना स्वाभाविक हैं। इसके अलावा जिला अस्पतालों में ग्रामीण क्षेत्र के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रो से मामले रैफर होकर आते हैं। कई बार एम्बुलेंस नहीं मिलने या अन्य कारणों से मां और नवजात शिशु देर से जिला अस्पताल पहुंचते हैं, इससे शिशु की मौत हो जाती है। यह भी देखा गया है कि प्राइवेट अस्पतालों में जब शिशु की तबीयत ज्यादा खराब हो जाती है तो सरकारी अस्पताल में रैफर कर देते हैं। चूंकि प्राइवेट अस्पताल में समुचित चिकित्सा नहीं मिली, इसलिए सरकारी अस्पताल में भर्ती होने के बाद शिशु की मौत हो जाती है। रघु ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्र के स्वास्थ्य केन्द्रों से बीमार शिशुओं को जल्द से जल्द जिला अस्पतालों में लाने के लिए इस बार अतिरिक्त बजट रखा गया है, इससे चिकित्सा सुविधा युक्त एम्बुलेंस खरीदी जाएगी। देवनानी ने जब कोटा के जेकेलोन अस्पताल में शिशुओं की मौत का मामला उठाया तो रघु ने कहा कि सरकार ने जो जांच करवाई, उसमें किसी को भी दोषी नहीं माना गया। राज्य सरकार की जांच रिपोर्ट की तरह ही केन्द्र सरकार की रिपोर्ट रही है। रघु ने बताया कि जेकेलोन की घटना के बाद केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की एक टीम भी कोटा आई थी, इस टीम की जांच के बाद ही केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अपर सचिव स्तर के एक अधिकारी ने राज्य सरकार को एक पत्र लिख बताया कि कोटा के जेकेलोन अस्पताल के शिशु रोग विभाग में पर्याप्त सुविधाएं हैं। रघु ने कहा कि राजनीतिक कारणों से भाजपा के नेता कुछ भी आरोप लगाएं, लेकिन 2019 में केन्द्र सरकार ने सरकारी अस्पतालों में शिशुओं की मृत्यु दर को लेकर राज्यवार जो सूची जारी की है, उसमें प्रथम दस राज्यों में राजस्थान का नाम शामिल नहीं है। यानि अन्य राज्यों के मुकाबले में राजस्थान में मृत्यु दर कम है। रघु ने कहा कि मैं स्वयं भी अजमेर से ही आता हंू। यदि अजमेर के जवाहरलाल नेहरू अस्पताल और जनाना अस्पताल में शिशु चिकित्सकों की कमी होगी तो उसे जल्द दूर कर दिया जाएगा। रघु के लम्बे जवाब के दौरान जब देवनानी सहित भाजपा के कई विधायक टोका टाकी करने लगे तो अध्यक्ष सीपी जोशी ने साफ कहा कि सवाल किए हैं तो मंत्री का जवाब सुनना ही पड़ेगा। S.P.MITTAL BLOGGER (16-03-2021)Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogFollow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11Blog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9602016852To Contact- 9829071511