अब स्वयं को घरों पर कैद रखना जरूरी। बाहर से आने वाले व्यक्ति घर में भी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें। अजमेर के जेएलएन अस्पताल के सहायक आचार्य और कोरोना वायरस के विशेषज्ञ डॉ. अनिल सामरिया ने मास्क के उपयोग के नए तरीके भी बताए।

17 अप्रैल को अजमेर में भी पूरी तरह लॉकडाउन रहा। जिला कलेक्टर प्रकाश राजपुरोहित और पुलिस अधीक्षक जगदीश चन्द्र शर्मा ने बाजारों का दौरा कर लॉकडाउन का जायजा लिया। हालांकि सड़कों पर कुछ लोगों का आवागमन रहा, लेकिन आमतौर पर लॉकडाउन को सफल माना जा सकता है। इसमें कोई दो राय नहीं कि देशभर में कोरोना वायरस तेजी से फैल रहा है। दूसरी लहर के प्रभाव का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि प्रतिदिन दो लाख से ज्यादा व्यक्ति कोरोना संक्रमित हो रहे हैं। अजमेर से लेकर जयपुर दिल्ली, लखनऊ, अहमदाबाद आदि शहरों के श्मशान स्थल और कब्रिस्तान में शवों को जलाने या दफनाने के लिए लोगों को इंतजार करना पड़ रहा है। ऐसे भयावह माहौल के बीच ही मैंने कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों पर अजमेर स्थित जेएलएन अस्पताल के सहायक आचार्य और पिछले एक वर्ष से कोरोना संक्रमित मरीजों का इलाज करने वाले चिकित्सक अनिल सामरिया से बात की। डॉ. सामरिया ने कहा कि सरकार अपने स्तर पर इलाज के पर्याप्त इंतजाम कर रही है और लोगों की जान बचाने के लिए लॉकडाउन, कर्फ्यू जैसे कदम भी उठाए जा रहे हैं, लेकिन लोगों को स्वयं सतर्कता बरतने की जरूरत है। बुजुर्ग व्यक्तियों को तो घरों से बाहर ही नहीं निकलना चाहिए। यदि कोई व्यक्ति किसी कारण से घर से बाहर निकलता है और फिर वापस आता है तो उसे अपने घर में भी सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालना करना चाहिए। जरा सी भी लापरवाही जानलेवा साबित हो सकती है। ताजा अध्ययन में माना जा रहा है कि कोरोना वायरस हवा में भी फैल रहा है। इसलिए घर से बाहर निकलने पर मास्क लगाना अनिवार्य हो गया है। यदि कोई व्यक्ति अकेला सड़क पर चल रहा है तो उसे मास्क लगाना ही चाहिए। मास्क सिर्फ दिखावे के लिए नहीं बल्कि कोरोना वायरस से बचने के लिए लगाना चाहिए। मास्क से नाक और मुंह पूरी तरह ढका हुआ होना चाहिए। डॉक्टर सामरिया ने बताया कि संक्रमण के दौर में चिकित्सा कर्मियों को 18-18 घंटे ड्यूटी देनी पड़ रही है। लगातार 18 घंटे मास्क लगाए रखना चिकित्सा कर्मियों के लिए मुश्किल हो रहा है। लेकिन लोगों की जान बचाने के लिए चिकित्सा कर्मी लगातार 18 घंटे तक मास्क लगा रहे हैं। डॉ. सामरिया ने कहा कि आमतौर पर देखा गया है कि लोग कपड़े का मास्क पहन रहे हैं। इस मास्क को कई दिनों तक यूज किया जाता है, उन्होंने कहा कि सांस लेने, छोड़ने छींक आने आदि से भी वायरस मास्क पर जमा हो जाते हैं। लोग ऐसे मास्क को मोड़कर अपनी जेब में भी रख लेते हैं। इस स्थिति के कारण मास्क में वायरस चारों तरफ जमा हो जाते हैं। कोरोना काल में सभी वायरस स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर डालते हैं। अब जब यह माना जा रहा है कि वायरस हवा में भी फैल रहा है, तो व्यक्ति को मास्क का एक बार ही उपयोग करना चाहिए। जो लोग कपड़े का मास्क का उपयोग कर रहे हैं,उन्हें अपना मास्क प्रतिदिन धोना चाहिए। अच्छा हो कि सर्जिकल मास्क का उपयोग सिर्फ एक बार किया जाए। चूंकि कोरोना वायरस तेजी से फैल रहा है, इसलिए वायरस की चैन को तोडऩा जरूरी है। चैन को तभी तोड़ा जा सकता है, जब लोग अपने घरों में कैद रहे। डॉ. सामरिया ने कहा कि दूसरी लहर का वायरस पहले से ज्यादा खतरनाक और प्रभावी है। अब एक संक्रमित व्यक्ति कई लोगों को संक्रमित कर रहा है। लोगों को अपने रिश्तेदारों से मिलने में भी परहेज करना चाहिए। डॉ. सामरिया ने कहा कि अप्रैल और मई माह में अधिक सावे हैं, इसलिए शादी ब्याह का आयोजन हो रहे हैं। लोगों को ऐसे समारोह में शामिल नहीं होना चाहिए। लोगों को पब्लिक ट्रांसपोर्ट के इस्तेमाल से भी बचना चाहिए। संभव हो तो अपने घरों में वायरस कैचर इलेक्ट्रॉनिक उपकरण लगाने चाहिए। कई बार दरवाजा खुलने पर वायरस घर के अंदर प्रवेश कर जाता है। डॉ. सामरिया ने कहा कि यदि घर में पर्याप्त संख्या में कमरे हो, तो कुछ दिनों के लिए लोगों को अलग अलग कमरों में रहना चाहिए। सरकार ने लॉकडाउन और कर्फ्यू में कई लोगों को बाहर निकलने की छूट दी है, यह छूट लोगों की सुविधाओं के लिए दी गई है। लेकिन अच्छा हो लोग किसी भी कारण से घर से बाहर नहीं निकलें। लोग जितना अपने घर में कैद रहेंगे उतनी जल्दी कोरोना वायरस की चैन को तोड़ा जाए। 

S.P.MITTAL BLOGGER (17-04-2021)

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