प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फोन पर बात करने के बाद महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरि ने श्रद्धालुओं से बड़ी संख्या में कुंभ में न आने की अपील की। राजनीति में रह कर धर्म के क्षेत्र में ऐसी पहल नरेन्द्र मोदी ही कर सकते हैं।

17 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने धर्मगुरु महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरि से फोन पर बात की। मोदी ने  अवधेशानंद जी को बताया कि देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर तेजी से फैल रही है, इसलिए हरिद्वार में पवित्र गंगा नदी पर भर रहे कुंभ को अब प्रतीकात्मक किया जाए। प्रधानमंत्री से बात करने के बाद महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरि ने बयान जारी कर कहा कि अब लोगों की जान बचाना जरूरी है। उन्होंने श्रद्धालुओं से अपील की कि वे अधिक संख्या में हरिद्वार न आएं। साधु संतों से भी संयम बरतने की अपील की। मालूम हो कि कुंभ में जुटने वाली लाखों की भीड़ से भी कोरोना वायरस को फैलने का मौका मिल रहा है और इस वायरस की चपेट में आकर कई संतों का निधन भी हो गया है, लेकिन कोरोना पर श्रद्धालुओं की आस्था भारी है। कुंभ के 29 अप्रैल तक चलने की स्थिति को देखते हुए पीएम मोदी ने 17 अप्रैल को स्वामी अवधेशानंद से संवाद किया। सनातन संस्कृति में भरोसा रखने वाले जानते हैं कि कुंभ का अपना धार्मिक महत्व है। हरि के द्वार पर गंगा नदी में स्नान करने के लिए कुंभ का वर्षों तक इंतजार किया जाता है और जब इस बार हरिद्वार में कुंभ हो रहा है, तब लोगों की आस्था चरम पर है। ऐसे माहौल में श्रद्धालुओं को कुंभ में आने से रोकने की अपील करना आसान काम नहीं है। राजनीति में रहने वालों के लिए तो यह और भी कठिन काम है। और जब पश्चिम बंगाल जैसे राज्य में चुनाव हो रहे हों, तब किसी राजनेता की ऐसी पहल सेल्फ गोल भी हो सकता है। लेकिन सभी दबावों को परे ढकेलते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐसी पहल की है। मोदी के आलोचक माने या नहीं, लेकिन ऐसी पहल मोदी ही कर सकते हैं। राजनीति में रहते हुए मोदी ने वो हिम्मत दिखाई है जो मानव को बचाने के लिए जरूरी है, देश के और किसी राजनेता में इतनी हिम्मत नहीं थी कि वह धर्म के क्षेत्र में दखल दें। इसे मोदी की बुद्धिमत्ता ही कहा जाएगा कि पहले महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरि से संवाद किया। इसमें कोई दो राय नहीं कि स्वामी अवधेशानंद जी का हिन्दू समाज पर खासा प्रभाव है। प्रधानमंत्री की पहल पर जब स्वामी अवधेशानंद गिरि ने कुंभ पर अपील की है तो इसका व्यापक असर होने लगा है। अब अन्य साधु संत भी प्रतीकात्मक कुंभ के समर्थन में आए हैं। जहां तक देश के साधु संतों का कुंभ में स्नान करने का सवाल है तो अब तक तीन शाही स्नान हो चुके हैं। अधिकांश साधु संतों ने हरिद्वार में बहती गंगा में स्नान कर लिया है। 
S.P.MITTAL BLOGGER (17-04-2021)Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogFollow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11Blog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9602016852To Contact- 9829071511

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