देश के सबसे बड़े अखबार दैनिक भास्कर की खबर को झूठी बताने और संबंधित व्यक्तियों पर कार्यवाही करने की हिम्मत राजस्थान के चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा ही दिखा सकते हैं। रघु शर्मा ने ऐसी सख्त भाषा का इस्तेमाल गत वर्ष सचिन पायलट के लिए भी किया था। तब पायलट कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष और डिप्टी सीएम के पद पर काबिज थे। भास्कर की खबर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत प्रधानमंत्री को पढ़कर सुनाते हैं।
कांग्रेस शासित राजस्थान के चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा की हिम्मत की भी दाद देनी पड़ेगी। 31 मई को सुबह अखबार में कोरोना वैक्सीन की बर्बादी की खबर प्रकाशित हुई तो शाम होते होते रघु शर्मा ने भास्कर की खबर पूर्णत: तथ्यों से परे और भ्रामक बताते हुए संबंधित व्यक्तियों पर कार्यवाही करने वाला ट्वीट कर दिया। सब जानते हैं कि दैनिक भास्कर अखबार देश का सबसे ज्यादा बिकने वाला अखबार है। देश के हिन्दी अखबारों में भास्कर की सबसे ज्यादा प्रसार संख्या है। राजस्थान में संभाग ही नहीं बल्कि जिला स्तर पर भी प्रसारित होता है। आंकड़ों के अनुसार राजस्थान में भास्कर की प्रतिदिन 16 लाख से भी ज्यादा प्रतियां छपती है। यही वजह रही कि 31 मई के अंक में जब वैक्सीन की बर्बादी की खबर भास्कर में छपी तो केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने भी राजस्थान के चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा से मामले की जांच करवाने वाला पत्र लिख दिया। लेकिन रघु शर्मा ने तो भास्कर की खबर को ही झूठा बता दिया। भास्कर ने दावा किया था कि प्रदेश के आठ जिलों के 35 वैक्सीनेशन सेंटरों के डस्टबिनों से 500 वायल (शीशी)उठाई है और इन वायलों में करीब 2500 कोरोना वैक्सीन के डोज भरे हुए हैं। यानि 2500 डोज बेकार हो गए। डस्टबिनों से वायल उठाने का काम भास्कर के पत्रकारों ने किया, जबकि रघु शर्मा का आरोप है कि इन व्यक्तियों ने स्वयं को सरकारी प्रतिनिधि और डब्ल्यूएचओ का अधिकारी बता कर स्वास्थ्य कर्मियों से वायल प्राप्त की है। भास्कर अपनी खबर और रघु शर्मा अपने आरोपों पर कायम है। भास्कर जैसे अखबार की खबर को झूठा बताने और कार्यवाही करने की बात कहने की हिम्मत रघु शर्मा जैसा दबंग मंत्री ही दिखा सकता है। यह बात अलग है कि इसी भास्कर अखबार में छपी ऑक्सीजन सप्लाई की खबर को पिछले दिनों वीसी में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पढ़कर सुनाया था। तब मुख्यमंत्री को भास्कर की खबर एक दम सच्ची लगी थी, क्योंकि इस खबर में राज्यों को मिलने वाली ऑक्सीजन के आंकड़े थे। तब मुख्यमंत्री की ओर से कहा गया कि संक्रमित मरीजों की संख्या के अनुरूप राजस्थान को केन्द्र से ऑक्सीजन नहीं मिल रहा है, लेकिन अब जब भास्कर ने 500 वायल में बर्बाद हुई 2500 डोजेज की खबर प्रकाशित की तो चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा ने झूठा बता दिया। यह पहला अवसर नहीं है, जब रघु शर्मा ने किसी ताकतवर से टकराने की हिम्मत दिखाई है। जागरूक पाठकों को पता होगा कि 2020 के शुरुआत में कोटा के सरकारी अस्पताल में बड़ी संख्या में नवजात शिशुओं की मौत हुई थी। तब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष और डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने दो मंत्रियों के साथ कोटा के अस्पताल का दौरा किया और चिकित्सा विभाग के कामकाज को लेकर प्रतिकूल टिप्पणी की। तब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत में भी इतनी हिम्मत नहीं थी कि पायलट पर पलटवार करें, तब रघु शर्मा ने ही हिम्मत दिखाई और सचिन पायलट के सार्वजनिक निर्माण विभाग को ही कटघरे में खड़ा कर दिया। रघु का कहना रहा कि मेरे चिकित्सा विभाग ने कोटा के अस्पताल के दरवाजे, खिड़की आदि को ठीक करने का जो काम बताया था, उसे सार्वजनिक निर्माण विभाग ने नहीं किया। यानि यदि नवजात शिशुओं की मौत के लिए चिकित्सा विभाग जिम्मेदार हैं तो पायलट के अधीन आने वाला सार्वजनिक निर्माण विभाग भी दोषी हैं। रघु के पलटवार के बाद पायलट ने कोटा के अस्पताल का मुद्दा नहीं उठाया। इसके बाद अगस्त 2020 में क्या हुआ, यह पूरा प्रदेश जनता है। आज सचिन पायलट सिर्फ एक विधायक बन कर रहे गए हैं, जबकि रघु शर्मा कांग्रेस सरकार के प्रमुख केन्द्र बन गए हैं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भले ही खामोश हो, लेकिन सब को पता है कि रघु की इस दबंगता के पीछे किसकी ताकत है। S.P.MITTAL BLOGGER (01-06-2021)Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogFollow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11Blog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9602016852To Contact- 9829071511