जब 23 लाख रुपए की रिश्वत लेते पकड़े गए जूनियर अकाउंटेंट सज्जन सिंह गुर्जर पर एसीबी की कार्यवाही के बाद ही कुछ नहीं हुआ तो अब सत्तारूढ़ कांग्रेस की पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष डोटासरा के पुत्र के साले और साली के आरएएस में चयन पर सवाल क्यों?

सचिन पायलट को हटा कर राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बने और प्रदेश के स्कूली शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा के पुत्र के साले गौरव और साली प्रभा के आरएएस परीक्षा 2018 में चयन होने पर अब राजनीतिक क्षेत्रों में सवाल उठाए जा रहे हैं। अखबारो के साथ साथ सोशल मीडिया पर प्रसारित खबरों में साले साली के चयन को गोविंद सिंह डोटासरा के राजनीतिक रुतबे से जोड़ कर देखा जा रहा है। डोटासरा ने सफाई भी दी है कि उनके रिश्तेदारों का चयन उनकी वजह से नहीं नहीं बल्कि अभ्यर्थियों की योग्यता की वजह से हुआ है। डोटासरा जैसे ताकतवर राजनीतिज्ञ के पुत्र के साले और साली का राज्य प्रशासनिक सेवा (आरएएस) में चयन का मामला अपनी जगह है, लेकिन सब जानते हैं कि जब राजस्थान लोक सेवा आयोग के अजमेर स्थित मुख्यालय में आरएएस भर्ती परीक्षा के इंटरव्यू चल रहे थे, तभी गत 9 जुलाई को एसीबी ने बड़ी कार्यवाही करते हुए आयोग के ही जूनियर अकाउंटेंट सज्जन सिंह गुर्जर को एक अभ्यर्थी से 23 लाख रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा था। अगले दिन गुर्जर के सहयोगी नरेन्द्र पोसवाल को भी गिरफ्तार कर लिया। दोनों ने स्वीकार किया कि यह रिश्वत आयोग के ही सदस्य श्रीमती राजकुमारी गुर्जर के लिए ली जा रही थी। यह राशि श्रीमती गुर्जर तक उनके पति रिटायर आईपीएस भैरो सिंह गुर्जर के माध्यम से पहुंचनी थी। एसीबी के पास वे सारे रिकॉर्ड आज भी मौजूद है, जिनसे पता चलता है कि आरएएस के इंटरव्यू में अच्छे अंक दिलवाने के नाम पर रिश्वत खोरी हो रही थी। एसीबी ने समाचार पत्रों के माध्यम से सारे सबूत आयोग के सामने रख दिए थे, लेकिन ऐसे सभी सबूतों को नजरअंदाज कर आयोग ने 13 जुलाई को आरएएस का परिणाम घोषित कर दिया। अब पता चल रहा है कि किन किन अभ्यर्थियों का चयन हुआ। सत्तारूढ़ पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष और मंत्री डोटासरा के रिश्तेदारों के चयन पर सवाल उठाने वालों को पहले एसीबी की कार्यवाही का अध्ययन करना चाहिए। जब एसीबी की इतनी बड़ी कार्यवाही के बाद भी परिणाम जारी हो गया, तब डोटासरा पर संदेह कर बेमानी है। हालांकि एसीबी को उम्मीद थी कि रिश्वतखोरी के प्रकरण की जांच पूरी होने तक परिणाम घोषित नहीं होगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। एसीबी चाहे कुछ भी कहे, लेकिन आयोग के अध्यक्ष भूपेन्द्र यादव ने साफ कहा है कि आरएएस के इंटरव्यू में अभ्यर्थियों को अंक देने में कोई प्रभाव काम में नहीं आया है। इंटरव्यू की प्रक्रिया फुलप्रूफ रही है। यानी जूनियर अकाउंटेंट सज्जन सिंह गुर्जर ने जो 23 लाख रुपए की रिश्वत ली, उसका इंटरव्यू में अच्छे अंक दिलवाने से कोई संबंध नहीं है। सब जानते हैं कि आयोग का अध्यक्ष बनने से पहले तक भूपेन्द्र यादव राज्य के पुलिस महानिदेशक के पद पर तैनात थे। अब यह देखना होगा कि जब आयोग अध्यक्ष ने इंटरव्यू की प्रक्रिया को फुलप्रूफ बता दिया है, तब एसीबी अपनी जांच को आगे कैसे बढ़ाती है। वैसे आरएएस के इंटरव्यू में आयोग की सदस्य राजकुमारी गुर्जर भी शामिल रही हैं। S.P.MITTAL BLOGGER (21-07-2021)Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogFollow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11Blog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9799123137To Contact- 9829071511

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