पोकरण में बाबा रामदेव की समाधि स्थल के दरवाजे बंद। मेला भी नहीं भरेगा। लेकिन सरकार की व्यवस्था पर आस्था हावी।

7 सितम्बर को राजस्थान के पोकरण स्थित लोक देवता बाबा रामदेव की समाधि स्थल के दरवाजे आगामी 19 सितम्बर तक के लिए बंद हो गए हैं। यानी पोखरण पहुंचने वाले श्रद्धालु अब बाबा की समाधि के दर्शन नहीं कर सकेंगे। दरवाजे बंद करे का निर्णय प्रशासन के आदेश पर समाधि स्थल प्रबंध कमेटी की ओर से लिया गया है। प्रतिवर्ष हिन्दू कैलेंडर के भादवा माह में बाबा रामदेव का मेला भरता है। राजस्थान ही नहीं बल्कि पड़ोसी राज्यों से भी श्रद्धालु पोखरण पहुंच कर बाबा की समाधि के दर्शन करते हैं। इस बार प्रशासन ने बाबा रामदेव का मेला भी रोक दिया है। लेकिन इसके बाद भी 7 सितम्बर को समाधि स्थल के बाहर और पूरे पोखरण में श्रद्धालुओं की जबरदस्त भीड़ देखी गई। इसे व्यवस्था पर आस्था का हावी होना ही कहा जाएगा कि समाधि स्थल के दरवाजे बंद होने के बाद भी श्रद्धालुओं का पोकरण पहुंचना लगातार जारी है। प्रदेशभर में बाबा रामदेव के श्रद्धालुओं का आवागमन हो रहा है। अजमेर के पुष्कर से लेकर पोकरण तक बाबा के जातरुओं को देखा जा सकता है। जातरु यानी श्रद्धालुओं को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता की समाधि स्थल के द्वार बंद हैं, उन्हें तो बस पोखरण तक यात्रा करनी है। ऐसे जातरु प्रदेशभर में मोटर साइकिल तथा अन्य वाहनों पर देखे जा सकते हैं। कुछ तो पैदल ही सफर कर रहे हैं। कोरोना की स्थिति को देखते हुए प्रशासन ने भले ही पोखरण में समाधि स्थल के दरवाजे बंद करवा दिए हों, लेकिन प्रदेशभर में खास कर पुष्कर से पोकरण तक के एक हजार किलोमीटर के मार्ग में जगह जगह भंडारे लगे हुए हैं। बाबा के ऐसे भक्त हैं जो न तो अखबार पढ़ते हैं और न ही टीवी पर न्यूज देखते हैं। ऐसे लाखों श्रद्धालुओं को यह पता ही नहीं कि पोकरण में समाधि स्थल के दरवाजे बंद हो गए हैं। चूंकि समाधि स्थल 6 सितम्बर तक खुला हुआ था इसलिए श्रद्धालुओं का पोखरण पहुंचना जारी है। श्रद्धालुओं की भीड़ को नियंत्रित करने में भी पुलिस को मशक्कत करनी पड़ रही है। चूंकि इन्हीं दस दिनों में बाबा रामदेव का जन्म और पुण्यतिथि मनाई जाती है, इसलिए श्रद्धालुओं की जबरदस्त भीड़ है। कोरोना काल में भीड़ एकत्रित न हो इसलिए समाधि स्थल के दरवाजे 19 सितम्बर तक के लिए बंद करवाए गए हैं। लेकिन दरवाजों के बंद होने का कोई असर श्रद्धालुओं की भीड़ पर नहीं पड़ रहा है। पुष्कर से लेकर पोकरण तक के मार्ग में श्रद्धालुओं के उत्साह और श्रद्धा में कोई कमी नहीं है। बाबा के प्रति श्रद्धा रखने वाले श्रद्धालुओं की धार्मिक भावनाएं पुष्कर से भी जुड़ी हुई है। श्रद्धालु या तो समाधि स्थल के दर्शन से पहले पुष्कर सरोवर में स्नान करने आते हैं या फिर दर्शन के बाद पुष्कर आते हैं। बाबा रामदेव के मेले के कारण ही इन दिनों पुष्कर में भी श्रद्धालुओं की भीड़ है। S.P.MITTAL BLOGGER (07-09-2021)Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogFollow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11Blog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9799123137To Contact- 9829071511

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