राजस्थान में भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया ने अपनी राजनीतिक काबिलियत दिखाई। कांग्रेस के सत्ता में होने के बाद भी 6 में से 3 जिला परिषदों में भाजपा के जिला प्रमुख। जयपुर की जीत तो बहुत मायने रखती है। भरतपुर में मंत्री सुभाष गर्ग के गुब्बारे की हवा निकली।

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कई मौकों पर भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया को नौसिखिया राजनेता कहा। गहलोत ने कहा कि पूनिया नए नए प्रदेशाध्यक्ष बने हैं, इसलिए भाजपा हाईकमान के समक्ष अपने नंबर बढ़ाने में लगे हुए हैं। पूनिया को मुख्यमंत्री पद का दावेदार बता कर मजाक भी उड़ाया गया। लेकिन उन्हीं सतीश पूनिया ने 6 जिलों के पंचायती राज चुनाव में अपनी राजनीतिक काबिलियत साबित कर दी है। प्रदेश में कांग्रेस के सत्ता में होने और अशोक गहलोत जैसे चतुर मुख्यमंत्री होने के बाद भी 6 में से 3 जिलों में भाजपा के जिला प्रमुख बनवाने में सफलता प्राप्त की है। जिस भरतपुर जिले में भाजपा की स्थिति कमजोर थी उसमें चुनाव से पहले पूर्व विदेश मंत्री कुंवर नटवर सिंह के बेटे जगत सिंह को भाजपा में शामिल करवाया और भाजपा का जिला प्रमुख भी बनवा दिया। भरतपुर जिला परिषद में भाजपा के 17 और कांग्रेस के 14 सदस्य चुने गए। लेकिन जिला प्रमुख के चुनाव में भाजपा को 37 में से 28 वोट मिले। यानी कांग्रेस के सदस्यों ने भाजपा के जगत सिंह को वोट दिया। इस स्थिति से मंत्री सुभाष गर्ग के गुब्बारे की हवा निकल गई। गहलोत मंत्रिमंडल में सुभाष गर्ग भी उन चुनिंदा मंत्रियों में शामिल है जो सत्ता का खूब मजा लूट रहे हैं, लेकिन जिला प्रमुख के चुनाव ने बता दिया कि भरतपुर में उनकी कोई राजनीतिक जमीन नहीं है। गर्ग आरएलडी के विधायक हैं, लेकिन सीएम गहलोत से निकटता के कारण सत्ता की मलाई जमकर खा रहे हैं। पूनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक उपलब्धि राजधानी जयपुर में भाजपा का जिला प्रमुख बनवाना है। पूनिया ने यह काबिलियत तब दिखाई है जब कि जिला परिषद में बहुमत कांग्रेस का था। पूनिया ने न केवल कांग्रेस की फूट का फायदा उठाया, बल्कि अपनी पार्टी के 24 सदस्यों को एकजुट रखा। अशोक गहलोत के मुख्यमंत्री रहते और महेश जोशी जैसे घाघ राजनीतिज्ञ के चुनाव प्रभारी होने के बाद भी पूनिया ने भाजपा सदस्यों के बीच क्रॉस वोटिंग नहीं होने दी। जब कांग्रेस के दो सदस्य बागी हो गए, तब कांग्रेस के भाजपा सदस्यों में बगावत के प्रयास किए, लेकिन पूनिया की किलेबंदी को कांग्रेस भेद नहीं पाई। जयपुर में भाजपा का जिला प्रमुख बनवाकर पूनिया ने आंख से काजल चुराने वाली कहावत को चरितार्थ किया है। अब इसे भले ही सीएम गहलोत हॉर्स ट्रेडिंग कहें, लेकिन पूनिया ने अपनी राजनीतिक काबिलियत गहलोत के सामने दिखा दी है। सवाल यह भी है कि गहलोत कांग्रेस के घोड़ों को बिकने के लिए खुला क्यों छोड़ते हैं? हर बार कांग्रेस के घोड़े ही बाजार में बिकने के लिए क्यों आते हैं? और सिरोही व भरतपुर में बहुमत से भाजपा का जिला प्रमुख बनवाना राजनीतिक दृष्टि से मायने रखता है। पूनिया ने अपने निर्वाचन क्षेत्र आमेर की पंचायत समिति में भी भाजपा का प्रधान बनवा दिया है। यह उन लोगों को भी राजनीतिक जवाब है जो पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के बगैर राजस्थान में भाजपा को अधूरा मानते हैं। 6 जिलों के पंचायती राज चुनाव में राजे और उनके समर्थकों की कोई भागीदारी नहीं थी और न ही चुनाव के बाद राजे की ओर से कोई रणनीति बनाई गई। कहा जा सकता है कि पूनिया ने भाजपा को सफल नेतृत्व दिया है। इस काम में भाजपा विधायक दल के उपनेता राजेन्द्र सिंह राठौड़ का भी सहयोग रहा है। भाजपा की इस सफलता के लिए पूनिया ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कार्यकर्ताओं को समर्पित किया है। S.P.MITTAL BLOGGER (07-09-2021)Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogFollow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11Blog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9799123137To Contact- 9829071511

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