किसानों के पड़ाव सिंधु बॉर्डर पर मंच के निकट एक युवक का शव बैरिकेड पर लटका मिला। शव के पास ही युवक का कटा हुआ हाथ भी लटका था। यह तो तालिबान जैसा कृत्य है। किसान यूनियन के नेता बताएं कि क्या यह उचित है? हमारा आंदोलन तो गांधीवादी है-शिवकुमार कक्का।

15 अक्टूबर को हरियाणा की सोनीपत पुलिस ने किसानों के पड़ाव सिंधु बॉर्डर से एक 35 वर्षीय युवक लखबीर सिंह का शव बरामद किया है। यह शव आंदोलनकारी किसानों के मंच के निकट पुलिस के बैरिकेड पर लटका मिला। शव के पास ही युवक का कटा हुआ हाथ भी लटका हुआ था। मृतक लखबीर सिंह के शरीर पर धारदार हथियार के निशान थे, जिससे प्रतीत होता है कि युवक को निर्ममता के साथ मारा गया। पुलिस युवक की पहचान करने में लगी हुई है। चूंकि युवक का शव आंदोलनकारी किसानों के मंच के निकट मिला है, इसलिए युवक की हत्या के बारे में सिंधु बॉर्डर पर बैठे लोगों से ही पूछताछ होनी है? युवक का शव मिलने से सिंधु बॉर्डर पर हड़कंप मच गया है। संयुक्त किसान मोर्चा के पदाधिकारी शिवकुमार कक्का ने कहा कि हमारा आंदोलन गांधीवादी तरीके से चल रहा है और इसमें हिंसा की कोई गुंजाइश नहीं है। युवक का शव किन परिस्थितियों में लटका मिला है, इसकी जानकारी जुटाई जाएगी। किसान नेता अब कुछ भी कहें, लेकिन हाथ काट कर शव को सार्वजनिक तौर पर लटकाना तो तालिबान जैसा कृत्य है। अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद तालिबान जिस तरह अपने विरोधियों को सजा दे रहा है। सवाल यह भी है कि सिंधु बॉर्डर पर जिस स्थान पर किसानों ने पड़ाव लगा रखा है, वहां कोई विरोधी कैसे घुस सकता है? जब सशस्त्र पुलिस ही कुछ नहीं कर पा रही है, तब कोई युवक कैसे घुसपैठ कर सकता है? भारत में लोकतांत्रिक व्यवस्था है और यहां संविधान में उल्लेखित कानून के अनुसार अपराधी को सजा मिलती है। यह बात अलग है कि लखीमपुर खीरी में चार युवकों की पीट पीट कर मारने के प्रकरण में किसान नेता राकेश टिकैत ने एक्शन पर रिएक्शन की बात कर चार युवकों की मौत को जायज ठहरा रहे हैं तो किसान यूनियन के दूसरे बड़े नेता शिव कुमार  कक्का।   आंदोलन को गांधीवादी बता रहे हैं। पिछले एक वर्ष में किसान आंदोलन के दौरान कई बार हिंसा हुई है। गत 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में हिंसा तो खुलेआम हुई, जिसमें कई पुलिस कर्मी जख्मी हुए, जबकि महात्मा गांधी ने हिंसा की दुहाई देकर कई बार स्वतंत्रता आंदोलन को स्थगित कर दिया था। गांधीवादी आंदोलन और तीन कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे आंदोलन में बहुत फर्क है। 
S.P.MITTAL BLOGGER (15-10-2021)Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogFollow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11Blog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9799123137To Contact- 9829071511

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