आखिर यह कौन सी विचारधारा है जो मुसलमानों को मस्जिद में चैन से नमाज भी नहीं पढऩे देती। अफगानिस्तान में लगातार दूसरे शुक्रवार को शिया समुदाय की मस्जिदों में बम विस्फोट। भारत में अनेक मुस्लिम विद्वानों ने अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे का समर्थन किया था।

15 अक्टूबर को लगातार दूसरा शुक्रवार रहा जब अफगानिस्तान में शिया समुदाय की मस्जिद में नमाज पढ़ते मुसलमानों को मौत के घाट उतार दिया गया। 15 अक्टूबर को कंधार की मस्जिद में हुए बम विस्फोट में शिया समुदाय के 47 नमाजी मारे गए, जबकि 75 नमाजी घायल हो गए। इससे पहले 8 अक्टूबर वाले शुक्रवार को कुंदुज की मस्जिद में जुमे की नमाज पढ़ते 100 नमाजियों को मार डाला गया। सवाल उठता है कि आखिर ऐसी कौन सी विचारधारा है जो मस्जिद में नमाज पढ़ते मुसलमानों को मारने की सीख देती है? सब जानते हैं कि अफगानिस्तान एक मुस्लिम राष्ट्र है और दूसरा पक्ष भी मुस्लिम ही होता है। पिछले दिनों जब अफगानिस्तान पर चरमपंथी मुस्लिम संगठन तालिबान का कब्जा हुआ तो भारत में रह रहे अनेक मुस्लिम विद्वानों ने कहा कि अब अफगानिस्तान अमरीका की गुलामी से मुक्त हो गया है। ऐसे ही लोगों ने तालिबान को धर्म से जुड़ा एक अच्छा संगठन बताया। ऐसे लोगों का दावा रहा कि अब आम अफगानी नागरिक आजादी के साथ रह सकेंगे। लेकिन देखा जा रहा है कि तालिबान के कब्जे के बाद आम अफगानी नागरिक का जीवन मुश्किल भरा हो गया है। जब मस्जिद में नमाज पढ़ते मुसलमानों को मारा जा रहा है, तब अफगानिस्तान के हालातों का अंदाजा लगाया जा सकता है। अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद ही भारत के कश्मीर में हिन्दुओं को चुन चुन कर मारा जा रहा है। भारत में ऐसे राजनीतिक दल हैं जो कश्मीर में भी अलगाव वादियों के समर्थक हैं। ऐसे लोगों को अब यह बताना चाहिए कि ऐसी कौन सी विचारधारा है जो मस्जिद में नमाज पढ़ते मुसलमानों को मारने की सीख देती है? अफगानिस्तान में होने वाली घटनाओं का असर भारत पर पड़ता है। पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर की सीमा अफगानिस्तान से लगी हुई है। सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि तालिबान लड़ाकों की सक्रियता हमारे कश्मीर में भी बढ़ी है। अलगाववादी तत्व कश्मीर की आजादी चाहते हैं। ऐसे तत्व अफगानिस्तान के हालात देख लें। आतंकी कश्मीर में सिर्फ हिन्दुओं को टारगेट कर हिन्दू मुस्लिम फसाद करवाना चाहते हैं, लेकिन यह भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था ही है जो दोनों समुदायों में सद्भावना बनाए रखे हुए हैं। हिन्दुओं को टारगेट करने पर अभी कुछ लोग खुश हो सकते हैं, लेकिन ऐसे लोग अफगानिस्तान में हर शुक्रवार को हो रहे मस्जिदों में विस्फोट को देख लें। ऐसे लोग यह समझ लें कि आतंकवादियों का कोई मजहब नहीं होता है। भारत में हिन्दुओं के साथ रहने पर आम मुसलमान सुरक्षित हैं, जबकि अफगानिस्तान और पाकिस्तान में मुसलमान अपने ही मुसलमानों के साथ रहने पर भी सुरक्षित नहीं है। भारत के मुसलमानों को भी यह बात अच्छी तरह समझनी चाहिए। S.P.MITTAL BLOGGER (16-10-2021)Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogFollow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11Blog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9799123137To Contact- 9829071511

Print Friendly, PDF & Email

You may also like...