सत्यपाल मलिक को यह नहीं भूलना चाहिए कि जब अनुच्छेद 370 हटाया गया तब वे ही जम्मू कश्मीर के राज्यपाल थे।

मेघालय के गवर्नर सत्यपाल मलिक ने 7 नवंबर को राजस्थान के जयपुर में जो बयान दिया, उसकी अब देशभर में चर्चा हो रही है। कांग्रेस सहित विपक्षी दलों को लगता है कि केंद्र सरकार की आलोचना करने वाला एक नेता और मिल गया है। मलिक इन दिनों वही बोल रहे हैं जो विपक्ष को अच्छा लगता है। लेकिन मलिक जिस तरह सिक्खों और जाटों को आगे रख कर बयान दे रहे है, वहीं खतरनाक है। हो सकता है कि मलिक की अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से कोई नाराजगी हो, लेकिन मलिक को यह नहीं भूलना चाहिए कि जब 2019 में अनुच्छेद 370 को हटाया गया, तब वे ही जम्मू कश्मीर के राज्यपाल थे। स्वाभाविक है कि केंद्र सरकार के भरोसे के कारण मलिक को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई। जम्मू कश्मीर में उस समय जो हालात थे, उनसे मलिक ने बखूबी निपटा। चूंकि उस समय जम्मू कश्मीर बेहद संवेदनशील राज्य था, इसलिए मलिक के पास अनेक गोपनीय एवं संवेदनशील जानकारियां भी होंगी। कोई नहीं चाहेगा कि मलिक ऐसी जानकारी सार्वजनिक करें। मलिक जब तक जम्मू कश्मीर के गवर्नर रहे, तब तक केंद्र सरकार की नीतियों के प्रशंसक थे, लेकिन जब उन्हे छोटे प्रदेश का राज्यपाल बनाया गया, तभी से उनकी नाराजगी देखने को मिली है। मेघालय का राज्यपाल बनने के बाद तो मलिक ने राज्यपाल पद की सीमाओं से बाहर जाकर बयान दिए हैं। मलिक को अब इस बात का अहसास है कि वे ज्यादा दिनों तक गवर्नर नहीं रहेंगे, इसलिए उन्होंने 7 नवंबर को जयपुर में कहा कि अगली बार आऊंगा तो खुलकर बोलूंगा, क्योंकि तब मैं गवर्नर नहीं रहूंगा। मलिक अब सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी चुनौती दे रहे हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि मलिक ज्यादा दिनों तक गवर्नर के पद पर नहीं रहेंगे। जहां तक केंद्र सरकार का सवाल है तो मलिक को निभाने में कोई कसर नहीं छोड़ी गई है। पिछले एक वर्ष से मलिक के प्रतिकूल बयानों को सहन किया जा रहा है। केंद्र सरकार के किसी भी प्रतिनिधि ने मलिक के बयानों का अभी तक कोई जवाब नहीं दिया है। शायद यह नीति इसलिए ही अपनाई गई कि मलिक जम्मू कश्मीर के राज्यपाल रहे हैं। कोई नहीं चाहता कि सीमावर्ती राज्य से जुड़ी गोपनीय जानकारियां सार्वजनिक हों। यदि किसी नाराजगी की वजह से मलिक जम्मू कश्मीर से जुड़ी गोपनीय जानकारियां उजागर करते हैं तो इससे दुश्मन देश पाकिस्तान और आतंकियों को ही फायदा होगा। यह सही है कि मलिक को गवर्नर पद की परवाह नहीं है, लेकिन हो सकता है कि उनका मन उत्तर प्रदेश के चुनाव के लिए मचल रहा हो। गवर्नर के पद पर रहते हुए मलिक जिस तरह के बयान दे रहे हैं उससे प्रतीत होता है कि वे मार्च में होने वाले यूपी विधानसभा के चुनाव में विपक्षी दलों के साथ मिलकर सक्रिय भूमिका निभाएंगे। वैसे इस मामले में केंद्र सरकार को भी अपनी ओर से पहल करनी चाहिए। मलिक न केवल एक बोल्ड प्रशासक हैं, बल्कि प्रभावशाली राजनेता भी हैं। मलिक के मन में जो नाराजगी है उसे संवाद के जरिए दूर किया जाना चाहिए। S.P.MITTAL BLOGGER (08-11-2021)Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogFollow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11Blog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9799123137To Contact- 9829

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