पंजाब के कट के बाद सीएम अशोक गहलोत को भी राजस्थान में पेट्रोल डीजल पर वैट घटाना पड़ेगा। पंजाब में पेट्रोल 95 रुपए प्रति लीटर, जबकि राजस्थान में एक लीटर पेट्रोल की कीमत 115 रुपए। दोनों राज्यों में कांग्रेस का शासन है।

तीन नवंबर को जब केंद्र की भाजपा सरकार ने पेट्रोल डीजल पर एक्साइज ड्यूटी घटाई तो भाजपा शासित राज्यों ने भी पेट्रोल डीजल पर वैट कम कर दिया, लेकिन तब कांग्रेस शासित राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने वैट घटाने से साफ इंकार कर दिया, लेकिन अब जब कांग्रेस शासित पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने पेट्रोल पर 10 रुपए और डीजल पर पांच रुपए वैट कम कर दिया है तो राजस्थान में भी सीएम गहलोत को पेट्रोल डीजल पर वैट कम करना पड़ेगा। ऐसा नहीं हो सकता कि कांग्रेस शासित पंजाब में वैट घट जाए तो राजस्थान में नहीं। सीएम गहलोत अब ज्यादा घंटों तक वैट में कटौती को नहीं टाल सकते हैं। पंजाब में वैट में कटौती के बाद अब पेट्रोल 95 रुपए और डीजल 84 रुपए प्रति लीटर मिल रहा है, जबकि राजस्थान में पेट्रोल 115 रुपए और डीजल 100 रुपए प्रति लीटर बिक रहा है। पंजाब और राजस्थान में कांग्रेस पार्टी का ही शासन है। अब पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी को यह बताना चाहिए कि पंजाब और राजस्थान की दरों में इतना अंदर क्यों हैं? जब पंजाब में वैट कम किया जा सकता है, तब राजस्थान में क्यों नहीं? यह सही है कि पंजाब में पांच माह बाद विधानसभा के चुनाव होने हैं, इसलिए वैट घटाने का ज्यादा दबाव पंजाब में है, जबकि राजस्थान में दो वर्ष बाद विधानसभा के चुनाव होने हैं। सीएम अशोक गहलोत की यह मांग सही है कि केंद्र सरकार को एक्साइज ड्यूटी में और कमी करनी चाहिए, लेकिन अच्छा होता कि यह मांग राजस्थान में वैट में कमी करने के बाद की जाती। सीएम गहलोत को यह बता भी ध्यान रखनी चाहिए कि देश में सर्वाधिक वैट राजस्थान में ही है, इससे सबसे ज्यादा महंगा पेट्रोल डीजल राजस्थान में है। इससे राजस्थान सरकार के राजस्व में भी कमी हो रही है। जो वाहन पड़ोसी राज्यों से आते हैं वो राजस्थान में प्रवेश से पहले ही पेट्रोल डीजल भरवा लेते हैं। यही वजह है कि पंजाब की सीमा से लगे गंगानगर हनुमानगढ़, बीकानेर आदि जिलों के पेट्रोल पंप बंद होने के कगार पर है। यही स्थिति गुजरात की सीमा से लगे जिलों की भी है। अब जब पंजाब में 20 रुपए प्रति लीटर सस्ता मिल रहा है, तब कोई राजस्थान में वाहनों में पेट्रोल क्यों भरवाएगा? एक लीटर पेट्रोल पर 20 रुपए का अंतर बहुत ज्यादा है। सीएम गहलोत को राजस्व में हो रही कमी की तो चिंता करनी ही चाहिए। सीएम के पद पर रहते हुए गहलोत ने तेल मूल्यवृद्धि के विरोध में स्वयं प्रदर्शन किया है, लेकिन अब जब स्वयं पर वेट कटौती की जिम्मेदारी आई तो अशोक गहलोत बहानेबाजी कर रहे हैं। इसे कहते हैं कथनी और करनी में अंतर। S.P.MITTAL BLOGGER (08-11-2021)Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogFollow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11Blog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9799123137To Contact- 9829071511

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