राजस्थान में कांग्रेस सरकार बचाने की कीमत बाबा विजयदास को अपनी जान गवां कर चुकानी पड़ी। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पहले ही कहा था कि सरकार को बचाने वाले विधायकों को ब्याज सहित भुगतान करुंगा। इसलिए अब वैध और अवैध खनन को नहीं रोका जा सकता। राज्यमंत्री जाहिदा खान के बेटे से लेकर खनन मंत्री प्रमोद जैन भाया तक गंभीर आरोप।

हिन्दुओं की धार्मिक भावनाओं से जुड़े राजस्थान के भरतपुर के गोवर्धन क्षेत्र के पहाड़ आदि बद्री और कनकाचल पर खनन कार्यों को रोकने की मांग को लेकर क्षेत्र के प्रमुख संत बाबा विजय दास ने गत 20 जुलाई को केरोसिन डालकर स्वयं को आग के हवाले कर दिया। बेहतर इलाज के लिए बाबा को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल ले जाया गया। जहां इलाज के दौरान 23 जुलाई की तड़के बाबा का निधन हो गया। बाबा को आत्मदाह इसलिए करना पड़ा कि पिछले डेढ़ वर्ष से हो रहे साधु संतों के आंदोलन की ओर अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार कोई सुध नहीं ले रही थी। डेढ़ वर्ष से पर्वतों को बचाने के लिए चल रहे आंदोलन की सुध नहीं लेने के पीछे गहलोत सरकार की राजनीति मजबूरी रही। असल में इन्हीं धार्मिक पर्वतों पर गहलोत सरकार की राज्य मंत्री जाहिदा खान के बेटे और पहाड़ी पंचायत समिति के प्रधान साजिद खान के नाम भी दो लीज आवंटित हैं। मंत्री के बेटे को खनन में कोई परेशानी न हो इसलिए खान विभाग ने पर्वतों को वन विभाग को नहीं सौंपे। यदि हिन्दुओं की धार्मिक भावनाओं से जुड़े पर्वतों को वन विभाग को सौंप दिया जाता तो अपने आप खनन पर रोक लग जाती। रोक लगने के बाद साजिद खान जैसे प्रभावशाली व्यक्ति भी खनन कार्य अथवा क्रेशर नहीं लगा सकते थे। सवाल उठता है कि आखिर खान विभाग ने वन विभाग को पर्वतों क्यों नहीं सौंपे? इस सवाल का जवाब जुलाई 2020 में ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने दे दिया था। सब जानते हैं कि प्रतिद्वंदी नेता सचिन पायलट जब 18 विधायकों को लेकर दिल्ली चले गए थे, तब सीएम गहलोत ने अपने समर्थक विधायकों को जयपुर और जैसलमेर की होटलों में बंद कर दिया था। इन्हीं होटलों में गहलोत ने कहा कि जो विधायक आज मेरे साथ हैं, उन्हें ब्याज सहित भुगतान करूंगा। कामा की विधायक जाहिदा खान भी गहलोत के साथ थीं। जब जाहिदा खान ने गहलोत की सरकार बचाई है तब साजिद खान को पर्वतों से खनन से कैसे रोका जा सकता है? ब्याज सहित भुगतान का मतलब यही तो होता है। जुलाई 2020 में गहलोत ने कहा था कि कांग्रेस के विधायकों को 35-35 करोड़ रुपए में खरीदा जा रहा है। हालांकि विधायकों को खरीदने के सबूत गहलोत ने आज तक नहीं दिए। लेकिन ब्याज सहित भुगतान के सबूत सबके सामने हैं। ब्याज सहित वसूलने वाले विधायक और उनके रिश्तेदार 35 करोड़ नहीं बल्कि 35 सौ करोड़ वसूल रहे हैं। सीएम गहलोत ने प्रमोद जैन उर्फ भाया इसलिए खनन मंत्री बना रखा है ताकि जाहिद खान जैसे विधायक ब्याज सहित वसूली कर सके। भाया तो खनन कार्यों के सरगना है। यह बात भाजपा के किसी नेता ने नहीं बल्कि कांग्रेस के विधायक भरत सिंह ने कही है। भरत सिंह का कहना है कि भाया सबसे भ्रष्ट मंत्री हैं, लेकिन फिर भी अशोक गहलोत ने उन्हें अपने मंत्रिमंडल में शामिल कर रखा है। भाया की करतूतों को लेकर भरत सिंह ने सीएम गहलोत को भी कटघरे में खड़ा किया है। भरत सिंह का कहना है कि यदि मेरे आरोप झूठे हैं तो प्रमोद जैन को मेरे खिलाफ मानहानि का दावा करना चाहिए। सीएम गहलोत माने या नहीं लेकिन सरकार बचाने की एवज में संबंधित विधायक सौ प्रतिशत की दर से ब्याज की वसूली कर रहे हैं। यही वजह है कि प्रदेश में प्राकृतिक संसाधनों की लूट के सारे रिकॉर्ड टूट गए हैं। जाहिद खान अकेली विधायक नहीं है बल्कि खनन कार्य में कई विधायक लगे हुए हैं। सरकार बचाने की असली कीमत तो बाबा विजय दास ने अपनी जान गवां कर दी है। क्या यही गांधीवादी चेहरे की असलियत है?

S.P.MITTAL BLOGGER (23-07-2022)
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